नई दिल्ली| कोरोना महामारी से सोने के भाव में रिकॉर्ड तेजी जारी है। इसका फायदा सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड के निवेशकों को जबदरस्त मिल रहा है। निवेशकों को सिर्फ 20 दिनों में 12% का रिटर्न मिला है। वहीं, बीते चार साल में करीब 80% का रिटर्न मिला है। इसको ऐसे समझें कि गोल्ड बॉन्ड सीरीज-4 में प्रति ग्राम सोने की कीमत 4,852 रुपये ग्राम तय की गई थी। वहीं, 3 अगस्त से खुलने वाले सीरीज-5 में कीमत 5,334 रुपये प्रति ग्राम तय की गगई है। वहीं, सोने का भाव शुक्रवार 54,538 रुपये प्रति दस ग्राम पहुंच गया है। इस तरह बाजार भाव से सॉवरेन बॉन्ड में सोना एक हजार रुपये से सस्ता मिल रहा है।
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वहीं, जब पहली बार 2015 में सॉवरेन बॉन्ड शुरू किया गया था तो एक ग्राम सोने की कीमत उस समसय 2682 रुपये तय की गई थी। करीब चार साल बाद अब कीमत दोगुनी से अधिक होने जा रही है। ऐसे में अगर आप पिछली बार सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड निवेश करने से चूक गए तो फिर मौका मिल रहा है। 3 से 5 अगस्त तक एक बार फिर से निवेश कर सकते हैं। आप कॉमर्शियल बैंक, कुछ चुनिंदा डाकघरों और शेयर बाजारों के माध्यम से बॉन्ड खरीद सकते हैं। आठ साल का लॉकइन पीरियड: आपको निवेश के पहले यह जानना जरूरी है कि सॉवरेन बॉन्ड में लॉकइन पीरियड कितने साल का है। लॉकइन का मतलब होता है कि उससे पहले पैसा नहीं निकाल सकते हैं। गोल्ड बॉन्ड में आठ साल का लॉकइन पीरियड है। हालांकि, पांचवे साल से यूनिट्स बेचकर पैस निकाल सकते हैं।
गोल्ड बॉन्ड की खरीदारी ऑनलाइन करने और डिजिटल भुगतान करने वाले निवेशकों को 50 रुपये प्रति ग्राम की छूट मिलती है। साथ ही अभी तक जितनी भी गोल्ड बॉन्ड स्कीम जारी की गई है उसमें सोने की कीमत बाजार भाव से कम रहे हैं। यानी बाजार कीमत से सस्ते में आप सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड के जरिये सोने में निवेश कर सकते हैं। बांड में निवेश करने पर सोने की कीमतों के बढ़ने से मिलने वाले फायदे के अलावा सालाना 2.50% ब्याज भी मिलता है। ब्याज का भुगतान छह महीने में होता है। इन बॉन्ड में निवेश की न्यूनतम सीमा एक ग्राम है।
विशेशज्ञों का कहना है कि मौजूदा समय में निवेशकों को अपना पोर्टफोलियो बैलेंस करने के लिए कुल अलोकेशन का पांस से 10 फीसदी सोने में रखना चाहिए। इसके लिए गोल्ड बांड बेहतर विकल्प है। इसकी सबसे यूनिक क्वालिटी है कि यह केंद्र सरकार द्वारा समर्थित है, जिसे आरबीआई द्वारा जारी किया जाता है। इसमें सालाना 2.5 फीसदी की दर से ब्याज भी मिलता है। वहीं इसमें फिजिकल गोल्ड की तरह मैनेज करने का झंझट नहीं होता है।
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परिपक्वता अवधि पूरी होने के बाद गोल्ड बॉन्ड से होने वाले मुनाफे पर पूंजीगत लाभ कर ( कैपिटल गेन टैक्स) नहीं लगता है। हालांकि, परिपक्वता से पहले शेयर बाजार के जरिए गोल्ड बॉन्ड बेचने पर यह छूट लागू नहीं होती है। अगर खरीद के तीन साल के भीतर गोल्ड बॉन्ड को बेचा जाता है तो उसपर छोटी अवधि का पूंजीगल लाभ कर लगता है। गोल्ड बॉन्ड के ब्याज पर आयकर श्रेणी के हिसाब से कर लगता है। साथ ही इस पर जीएसटी भी नहीं लगता है और न ही निवेश करने पर टीडीएस कटता है।