प्रयागराज। कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन को भेजे पत्र में कहा है कि अनेक रिपोर्ट के अनुसार करेंसी नोट्स कोविड सहित अन्य संक्रामक रोगों के वाहक हैं जो बेहद चिंता का विषय है।
कैट के प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र गोयल ने बुधवार को कहा कि करेंसी नोट विभिन्न लोगों के माध्यम से बड़ी संख्या में लोगों तक पहुँचते है, ऐसे में क्या इनके जरिये भी कोरोना फ़ैल सकता है, इस पर सरकार को एक प्रामाणिक स्पष्टीकरण जारी करना चाहिए।
कैट ने इस सम्बन्ध में डॉ हर्षवर्धन का ध्यान सार्वजनिक रूप से उपलब्ध तीन रिपोर्टों की ओर दिलाया है जो करेंसी नोटों को वायरस के वाहक के रूप में साबित करती हैं। इस सन्दर्भ में कैट ने कहा कि किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ द्वारा वर्ष 2015 के एक अध्ययन से पता चला है कि 96 बैंक नोटों और 48 सिक्कों का लगभग पूरा नमूना वायरस, फंगस और बैक्टीरिया से दूषित था जबकि 2016 में तमिलनाडु में किए गए एक अध्ययन में 120 से अधिक नोट डॉक्टरों, गृहिणियों, बाज़ारों, कसाई, क्षेत्रों से एकत्र किये गए जिसमें से 86.4 फीसदी नोट संक्रमण से ग्रस्त थे।
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वहीं वर्ष 2016 में कर्नाटक में हुए एक अध्ययन की रिपोर्ट में 100 रुपये, 50 रुपये, 20 और 10 रुपये के नोटों में से 58 नोट दूषित थे।
कैट ने डॉ. हर्षवर्धन से आग्रह किया है की इस महत्वपूर्ण मुद्दे को तुरंत प्राथमिकता के आधार पर लिया जाए और सरकार यह स्पष्ट करे की करेंसी नोटों के माध्यम से कोविड सहित अन्य वायरस और बैक्टीरिया फैलते हैं अथवा नहीं। उन्होने कहा की यदि करेंसी नोट संक्रामक रोगों के वाहक हैं तो इससे बचने के क्या उपाय हैं। केवल व्यापारियों के लिए ही नहीं बल्कि देश के आम लोगों के लिए भी यह जानकारी बेहद जरूरी है जिससे मुद्रा नोटों के माध्यम से कोरोना फैलाने की किसी भी संभावना पर रोक लगाई जा सके।
यह इसलिए भी आवश्यक है की देश में नकद का प्रचलन ख़ास तौर पर छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रो में बहुत ज्यादा है।