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ISIS ने तीन चरण में ऑन लाइन ट्रेनिंग दी थी मुर्तजा को

लखनऊ। गोरखनाथ मंदिर पर हमले के आरोपी अहमद अब्बासी मुर्तजा (murtaza) से पूछताछ में एक के बाद एक नये खुलासे हो रहे हैं। पूछताछ में उसे ऑन लाइन ट्रेनिंग दिये जो की बात सामने आयी है। बताया जा रहा है कि आईएसआईएस आकाओं ने उसे 3 चरणों  में ट्रेनिंग  दी थी। दूसरे चरण की ट्रेनिंग में ही उसने गोरखनाथ मंदिर में हमला किया था। आईएसआईएस से जुड़े लोगों ने उसे द बी नामक किताब भी पढ़ने के लिए कहा था। उसे अरबी शब्दों को जहन में हर वक़्त याद रखने के लिए कहा गया था।

एटीएस मुख्यालय में मुर्तजा से लगातार पूछताछ की जा रही है। उससे एनआईए और अन्य खुफिया एजेंसियों के अधिकारी भी पूछताछ कर रहे हैं। अब से खुलासा हुआ है कि मुर्तजा को आईएसआईएस के आतंकी आॅन लाइन ट्रेनिंग दे रहे थे। इसी दौरान उसे हमला करने के लिए भी प्रेरित किया गया था।

एटीएस के एक वरिष्ठ  अधिकारी ने बताया कि पूछताछ में उससे जो तथ्य सामने आ रहे हैं, उसे तस्दीक किया जा रहा है।

उधर, अहमद मुर्तजा अब्बासी घातक फिदायीन है या फिर मानसिक रोगी? एटीएस इसका पता लगाने में जुट गई है। मुर्तजा की बीमारी का दावा उसके घरवालों ने किया है। एक दिन पहले एटीएस ने मुर्तजा के पिता मुनीर अहमद अब्बासी से घंटों पूछताछ की थी। इस दौरान उन्होंने बार-बार बेटे को बीमार बताया। मुर्तजा के पिता मुनीर ने एटीएस को बताया कि उनका बेटा हाइपोमेनिया और बाइपोलर डिसआॅर्डर का शिकार है। उसका लंबे समय से इलाज चल रहा है। इसकी वजह से वो अक्सर ऐसी हरकतें करता है जो कभी-कभी बेहद खतरनाक होती हैं। मुनीर ने उसके इलाज के कुछ पर्चे भी एटीएस को दिए। इसमें उसकी दवाएं लिखी हैं, लेकिन बीमारी और इलाज की थ्योरी कितनी सही है एटीएस अब इसका पता लगाएगी।

लखनऊ के विशेषज्ञ डॉक्टर करेंगे जांच

दरअसल, एटीएस की अब तक की जांच में मुर्तजा के दुनिया के खूंखार आतंकी संगठनों से कनेक्शन सामने आए हैं। एटीएस उसे अदालत में कड़ी से कड़ी सजा दिलाने में कोई कसर नही छोड़ना चाहती है। ऐसे में उसकी बीमारी का दावा कोर्ट में बचाव के लिए मुफीद न साबित हो, इसलिए एटीएस पहले ही इसकी सच्चाई सामने लाना चाहती है। एटीएस ने मुर्तजा के परीक्षण के लिए केजीएमयू और पीजीआई के डॉक्टरों से संपर्क किया है। केजीएमयू और पीजीआई के डॉक्टरों का पैनल उनकी बीमारी और सनकी व्यवहार के बारे में पता लगाएगा।

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मुनीर अहमद अब्बासी ने बेटे को ऐसी बीमारी से ग्रसित बताया जिसका किसी पैथालॉजी या डायग्नोस्टिक सेंटर में पता नही लगाया जा सकता। मनोचिकित्सक डॉ. आशुतोष के मुताबिक हाइपोमेनिया एक तरह का मेंटल डिसआॅर्डर है जो रोगी के व्यवहार से ही पता चल सकता है। इस बीमारी को न तो एकाएक पकड़ा जा सकता है, न ही उसका कोई तात्कालिक इलाज होता है।

डॉ. आशुतोष के मुताबिक, बाइपोलर डिसआॅर्डर वैश्विक आबादी के करीब 2.7 फीसदी लोगों को प्रभावित करता है। बाइपोलर डिसआॅर्डर एक तरह का मूड डिसआॅर्डर है। इसमे व्यक्ति का मूड बार-बार बदल सकता है। वहीं, हाइपोमेनिया में चिड़चिड़ापन और एकाएक आक्रामकता होती है। कभी जरूरत से ज्यादा खुशी तो कभी दुख होता है। सिर्फ यही नहीं, इससे पीड़ित व्यक्ति बिना सोचे-समझे किसी काम को कर जाता है।

हाइपोमेनिया के कारण

डॉ आशुतोष कुमार के मुताबिक, दिमाग में सिरोटोनिन, डोपामाइन और न्यूरोटेंसिन हार्मोन का अधिक बनना और जेनेटिक कारण इसकी मुख्य वजह हैं। अगर परिवार के किसी सदस्य को बाइपोलर डिसआॅर्डर रहा हो, तो हाइपोमेनिया की आशंका रहती है। इसके अलावा उच्च स्तर का तनाव रहना, नींद पूरी न लेना, स्टेरॉएड्स का इस्तेमाल, दवाएं या अल्कोहल का अधिक सेवन इसके कारण हो सकते हैं।

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