लखनऊ। ईद-उल अजहा यानी बकरीद (Bakrid) इस साल 29 जून को मनाई जाएगी। बकरीद मुस्लिम समुदाय के लोगों के लिए एक अहम त्योहारों में से एक है। इस त्योहार को बलिदान का प्रतीक भी माना जाता है। बकरीद के त्योहार पर मुस्लिम समुदाय के लोग सबसे पहले मस्जिद में जाकर नमाज अदा करते हैं। इसके बाद जानवर की कुर्बानी देते हैं। हालांकि कुर्बानी को लेकर इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया (Islamic Center of India) ने एडवाइजरी जारी की।
जारी एडवाइजरी में कहा है कि कुर्बानी उन्हीं जानवरों की करें, जिन पर कानूनी बंदिश न हो। जारी एडवाइजरी में मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि कुर्बानी सार्वजनिक जगहों पर हरगिज न की जाए। मुस्लिम समुदाय के लोग कुर्बानी का वीडियो और फोटो सोशल मीडिया पर कतई न डालें। साथ ही कहा कि नमाज ईदगाह और मस्जिद में अदा करें, सड़कों पर अदा न करें। नमाज के समय देश की तरक्की और खुशहाली के लिए दुआ करें।
बता दें कि ईद उल-फित्र (ईद) के बाद ईद-उल अजहा (Bakrid) मुसलमानों का दूसरा बड़ा त्योहार है, जिसे मुस्लिम लोग बड़े ही धूम-धाम के साथ मनाते हैं। इस दिन मुस्लिम लोग पहले ईदगाह और मस्जिद में नमाज अदा करते हैं। इसके बाद जानवरों की कुर्बानी देते हैं। बकरीद पर सबसे अधिक कुर्बानी बकरों की होती है। इसलिए बकरे की मंडियां भी जगह-जगह पर सजी दिखाई देती हैं।
नगर निगम के कूड़ेदान में ही फेंके जानवर के अपशिष्ट
मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि कुर्बानी के बाद जानवर के अपशिष्ट को किसी भी पब्लिक प्लेस पर न फेंके। इसका विशेष ध्यान रखें। नगर निगम की टीम इस दिन जगह-जगह पर कूड़ेदान रखती है। लोग वहीं पर अपशिष्टों को फेंके। उन्होंने कहा कि हमारा देश एक लोकतांत्रिक देश है। यहां सभी धर्मों के लोग रहते हैं। उनकी भावनाओं का भी हमें ख्याल रखना है।
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गरीब और जरूरतमंदों की मदद करें
मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि हम लोगों को यह भी ध्यान रखना है कि कुर्बानी के बाद जानवरों के खून को नालियों में न बहाएं। जो एडवाइजरी इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया की तरफ से जारी की जा रही हैं, उसका ध्यान रखें। यह खुशी का त्योहार है। इस दिन हम सब देश की सलामती के लिए अल्लाह से दुआ करें। साथ ही गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करें।