श्रीहरिकोटा। Chandrayaan-3 को लेकर एक बड़ा खुलासा हुआ है। ISRO अब विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर (Pragyan Rover ) को सुलाने वाला है। ये काम वो एक-दो दिन में कर देगा। ये बात कही है इसरो के प्रमुख डॉ एस सोमनाथ ने। उन्होंने आदित्य-L1 की सफल लॉन्चिंग के बाद ये जानकारी दी।
चंद्रमा पर 5-6 तारीख तक अंधेरा छाने लगेगा। सूरज ढल जाएगा। फिर लैंडर और रोवर (Pragyan Rover ) अगले 14-15 दिन तक रात में रहेंगे। यानी चांद की रात शुरू होने वाली है। लेकिन अभी चांद पर दिन है या रात। चंद्रयान-3 23 अगस्त 2023 की शाम छह बजकर चार मिनट पर चांद के दक्षिणी ध्रुव के पास उतारा गया। उस समय वहां पर सूरज उग रहा था।
इसरो की प्लानिंग थी कि चांद के जिस हिस्से पर लैंडर-रोवर (Pragyan Rover ) उतरें, वहां अगले 14-15 दिनों तक सूरज की रोशनी पड़ती रहे। यानी अभी वहां पर दिन है। जो अगले चार-पांच दिन ही और रहेगी। उसके बाद अंधेरा होने लगेगा। सूरज की रोशनी लैंडर-रोवर पर नहीं पड़ेगी। ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि पहले ही बैटरी को पूरी तरह से चार्ज करके सिस्टम बंद कर दिए जाएं। ताकि बाद में जरुरत पड़ने पर उन्हें फिर से ऑन किया जा सके।
सूर्य तिलक के लिए निकला Aditya L-1, श्रीहरिकोटा से ISRO की कामयाब लॉन्चिंग
लैंडर और रोवर (Pragyan Rover ) मे सोलर पैनल लगे हैं। वो सूरज से ऊर्जा लेकर चार्ज होते हैं। जब तक सूरज की रोशनी मिलेगी, उनकी बैटरी चार्ज होती रहेगी। वो काम करते रहेंगे। अंधेरा होने के बाद भी कुछ दिन या घंटे तक रोवर और लैंडर काम कर सकते हैं। ये उनके बैटरी की चार्जिंग पर निर्भर करता है। लेकिन इसके बाद वो अगले 14-15 दिनों के बाद सूरज उगने का इंतजार करेंगे। हो सकता है सूरज उगने के बाद वो फिर से एक्टिव हो जाएं। अगले 14-15 दिन काम करने के लिए।
चंद्रमा पर हर 14-15 दिन में सूरज उगता है। फिर इतने ही दिन अस्त रहता है। यानी वहां इतने दिनों तक रोशनी रहती है। चंद्रमा अपनी धुरी पर घूमते हुए धरती का चक्कर लगाता रहता है। इसलिए उसका एक हिस्सा सूरज के सामने आता है, तो दूसरा पीछे चला जाता है। इसलिए हर 14-15 दिन पर सूरज की आकृति भी बदलती रहती है। इसरो इस बात को लेकर भरोसा जता रहा है कि सूरज की रोशनी मिलने पर लैंडर-रोवर फिर से एक्टिव हो जाएंगे।