धनत्रयोदशी (Dhanteras) का त्योहार 22 अक्टूबर को परम्परानुसार मनाया जाएगा। हिन्दी कैलेण्डर के अनुसार कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को यह त्योहार मनाया जाता है। साधारणतः इसे लोग धनतेरस कहते हैं। इस दिन बर्तन, सोना-चांदी खरीदने की परम्परा रही है।
लेकिन अब लोग मोटर वाहन, इलेक्ट्रानिक्स सामान भी खरीदते हैं। इसके अलावा दीपावली पूजन में लगने वाला सारा सामान भी लोग इसी दिन खरीद लाते हैं। धनतेरस की खरीदारी को देखते हुए दुकानदारों ने भी कमर कस ली है। अपनी दुकानें सजा ली है। बड़ी-बड़ी बर्तन और ज्वैलर्स की दुकानों में बिजली की झालरों से सजावट भी की गई है। धनवन्तरी जयंती भी इसी दिन मनाई जाती है।
पौराणिक मान्यता है कि इस त्योहार का सम्बंध मृत्यु के देवता यमराज से है। इस कारण से इस दिन यमदीप दान किया जाता है। उन्होंने बताया कि शाम को प्रदोष काल में आटे या मिट्टी का चौमुखी दीपक प्रज्जवलित कर घर के मुख्यद्वार पर रखना चाहिए। मान्यता है कि इस दीपदान से असामयिक मृत्यु का भय समाप्त होता है। धनतेरस पूजा का शुभ मुहूर्त शाम को 6:05 मिनट से 7:58 तक है। इस अवधि में दीपक प्रज्जवलित करना शुभ होगा। चूंकि यमुना यमराज की बहन है, इस कारण से इस तिथि यमुना नदी में स्नान का भी महत्व है।
धनवन्तरी जयंती
भगवान धनवन्तरी की जयंती भी इसी दिन होती है। पौराणिक मान्यता है कि इस दिन आयुर्वेद के जन्मदाता भगवान धनवन्तरी का समुद्र मंथन से प्राकट्य हुआ था। माना जाता है कि भगवान धनवन्तरी तांबे के कलश में सभी रोगियों के निदान के लिए अमृत लेकर प्रकट हुए थे। इस दिन भगवान धनवन्तरि की पूजा की जाती है और उनसे आरोग्य की कामना की जाती है। वैद्य लोग धनवन्तरी भगवान की पूजा करते हैं। आयुर्वेद चिकित्सालयों में इस दिन पूजा की जाती है।
धनतेरस (Dhanteras) शुभ मुहूर्त
धनत्रयोदशी या धनतेरस के दौरान लक्ष्मी पूजा को प्रदोष काल के दौरान किया जाना चाहिए जो कि सूर्यास्त के बाद प्रारम्भ होता है। धनतेरस की पूजा शनिवार, अक्टूबर 22, 2022 को होगी। धनतेरस का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 44 मिनट से 6 बजकर 5 मिनट तक रहेगा। इसकी अवधि 21 मिनट तक रहेगी। प्रदोष काल का समय शाम 5 बजकर 44 मिनट से 8 बजकर 16 मिनट तक रहेगा। वृषभ काल का समय शाम 6 बजकर 58 मिनट से 8 बजकर 54 मिनट तक रहेगा।