ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ की सातवीं पुण्यतिथि पर शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि श्रद्धांजलि का हेतु अपने पूर्वजों के प्रति श्रद्धा है। उनके आदर्शों से उनके विराट व्यक्तित्व और कृतित्व से प्रेरणा प्राप्त करने की कोशिश है।
कहा कि हमारा सौभाग्य है कि सनातन हिंदू धर्म में पितृपक्ष अपने पितरों को समर्पित करते हैं। यह श्राद्ध का पक्ष है। इसी पक्ष में गोरक्षपीठ के आचार्य ने अपने भौतिक शरीर को छोड़कर गोरक्षपीठ और संपूर्ण योगी समाज के लिए कुछ मूल्यों और आदर्शों की स्थापना की।
उन्होंने कहा कि गोरक्षपीठ आज से 50 वर्ष पहले से ही एक ऐसी रचना को आगे बढ़ाने में योगदान देने की कोशिश में जुट गया, जो समाजहित में था। ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज जी ने भूमिका रची। नींव रखी और ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ जी महाराज ने भव्य मंदिर या भवन के निर्माण को गति दिया।
उन्होंने कहा कि मैं पिछले 25 वर्षों से गोरक्षपीठ से जुड़ा हूं। अब नेतृत्व का सौभाग्य प्राप्त हुआ है, लेकिन वर्ष 1932 में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना होना, वर्ष 1945-46 में महिला शिक्षा के लिए स्कूल और कॉलेज की स्थापना होना, वर्ष 1956 में महाराणा प्रताप पॉलिटेक्निक की स्थापना, संस्कृत के उच्च अध्ययन के केंद्र के रूप में गुरु गोरखनाथ विद्यापीठ की स्थापना, भारत की प्राचीन आरोग्य पद्धति आयुर्वेद हॉस्पिटल और आयुर्वेद कॉलेज की स्थापना के लिए कदम बढ़ाना एक बड़ा कार्य रहा।
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उन्होंने कहा कि आयुष की इस ताकत को आज दुनिया महसूस कर रही है। वहां तक पहुंचाने वाला कोई इसके पहले नहीं था। प्रधानमंत्री मोदी का आभार जताते हुए कहा कि मोदी ने योग और आयुर्वेद को एक वैश्विक मान्यता उपलब्ध कराने में अपना योगदान दिया। अब 21 जून को विश्व योग दिवस के रूप में मनाया जा रहा है।
हजारों वर्षों की विरासत है योग
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि योग, हजारों वर्षों की विरासत है। लेकिन यह ”योग संस्थान”, गोरक्षपीठ में पहले से चलता है। यह मूलतः योगपीठ है। करोना महामारी के आयुष काढ़ा, आयुष कवच और आयुर्वेद से जुड़े हुए वे तमाम नुस्खे लोगों के लिए हितकारी साबित हुआ। व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाये रखा। इसे दुनिया ने भी माना है। इस दौरान अमेरिका से उनसे मिलने आये एक व्यक्ति की आस्था के बारे में भी चर्चा की। दुनिया को होने वाले तुलसी की पौधे के शक्ति के एहसास को साझा किया।
श्रीरामजन्म भूमि मसले पर कहा, ”गोरक्षपीठ-मोदी पर कोई संदेह नहीं कर सकता”
मुख्यमंत्री ने कहा कि श्रीराम जन्मभूमि के लिए गोरक्षपीठ में समर्पण भाव रहा। यह हर व्यक्ति जानता है। किसी को कोई संदेश नहीं है। मोदी जी पर भी कोई संदेह नहीं कर सकता है। उन्होंने जो कहा है, वह करके दिखाया है। योगी ने अयोध्या दीपोत्सव पर भी खुल कर बात की। उन्होंने कहा कि अयोध्या के दीपोत्सव ने देश व दुनिया के अंदर एक उत्साह जगाया। सब के मुंह से अयोध्या की चर्चा सुनकर मन प्रफुल्लित हो रहा था। अब, अयोध्या सही मायने में ”अयोध्या” बन गई है। इसके वैदिक और पौराणिक स्वरूप को बनाए रखना हर भारतीय का कर्तव्य है।
यूनेस्को ने ”कुम्भ” को ”अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर”
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों से आज भारतीय संस्कृति का डंका दुनिया में बज रहा है। जनता ने मोदी जी के नेतृत्व के रूप में देश को एक यशस्वी पीएम दिया है। यही कारण है कि दुनिया के अंदर कुंभ को मान्यता मिली। यूनेस्को ने इसे अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर माना। योगी ने कुम्भ की पहले की दयनीय स्थिति और आज की भव्यता और दिव्यता का बखान भी किया।