वास्तु शास्त्र के अनुसार अग्नि से संबंधित जितना भी कार्य है, उन सबके लिये दक्षिण दिशा सबसे उपयोगी है। क्योंकि दक्षिण दिशा का संबंध अग्नि से है और हवनकुंड (Havankund) का संबंध भी अग्नि से है। अतः आप दक्षिण दिशा में अग्निकुंड बनवा सकते हैं।
इसके अलावा आप आग्नेय कोण, यानी दक्षिण-पूर्व दिशा में भी अग्निकुंड (Havankund) का निर्माण करवा सकते हैं। चूंकि आग्नेय कोण, यानी दक्षिण-पूर्व दिशा का संबंध काष्ठ तत्व से है और किसी भी हवन कार्य के लिये लकड़ी आदि का इस्तेमाल तो किया ही जाता है। अतः इस दिशा में हवनकुंड बनाने से आपको हवन करते समय इस दिशा के वास्तु की भी मदद मिलेगी।
इस दिशा में हवन करने से आपके परिवार के सब लोगों का स्वास्थ्य अच्छा रहेगा और आपके परिवार पर कभी कोई संकट नहीं आयेगा। साथ ही जब कभी आप हवन करें, तो उसकी आहुति पूर्व दिशा की ओर मुंह करके दें।