लाइफ़स्टाइल डेस्क। छींक आते ही बच्चों को एंटीबायोटिक खिलाने वाले मां-बाप जरा संभल जाएं। अमेरिका स्थित मेयो क्लीनिक के हालिया अध्ययन में उन बच्चों के आगे चलकर अस्थमा, एक्जीमा सहित अन्य एलर्जी का सामना करने की आशंका ज्यादा मिली है, जिन्हें दो साल से कम उम्र में ही एंटीबायोटिक दवाएं खिलाई जाने लगती हैं।
शोधकर्ता 14500 बच्चों की सेहत से जुड़े रिकॉर्ड का जायजा लेने के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं। इनमें से 70 फीसदी को दो साल से कम उम्र से ही एंटीबायोटिक खिलाना शुरू कर दिया गया था। उन्हें कम उम्र में एंटीबायोटिक के इस्तेमाल और लंबे समय तक परेशान करने वाली बीमारियों (अस्थमा, एक्जीमा, फ्लू, मोटापा, एकाग्रता में कमी, आक्रामता) के खतरे में सीधा संबंध देखने को मिला।
मुख्य शोधकर्ता नाथन ली ब्रेजर के मुताबिक एंटीबायोटिक का निर्माण बैड बैक्टीरिया से मुकाबले से किया गया है। हालांकि, अक्सर ये पेट और आंत में मौजूद गुड बैक्टीरिया को भी नष्ट कर देते हैं, जिससे हानिकारक संक्रमण से लड़ने की शरीर की क्षमता घटती है।
ब्रेजर ने यह भी कहा कि एंटीबायोटिक का काम बैक्टीरिया को मारना है। वायरस या फंगस से लड़ाई में इनकी कोई भूमिका नहीं होती। हालांकि, डॉक्टर वायरल संक्रमण के इलाज के लिए भी बड़े पैमाने पर एंटीबायोटिक दवाओं के सेवन का सुझाव देते हैं।
इससे हानिकारक बैक्टीरिया सुपरबग का रूप अख्तियार कर लेते हैं। यानी उनमें एंटीबायोटिक के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है। अध्ययन के नतीजे ‘मेयो क्लीनिक प्रोसीडिंग्स’ के हालिया अंक में प्रकाशित किए गए हैं।
खतरा-
- बैड बैक्टीरिया के खात्मे के लिए बनी एंटीबॉडी गुड बैक्टीरिया को भी मार गिराती है
- संक्रमण से लड़ने की शरीर की क्षमता घटती है, सुपरबग पनपने का भी होता है खतरा
संकट बनते सुपरबग-
- 15 मिनट में एक अमेरिकी की मौत हो रही एंटीबायोटिक के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता बनने से
- 7.5 लाख लोगों की जान जा रही हर वर्ष सुपरबग संक्रमण का इलाज न हो पाने से दुनियाभर में