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Jagannath Rath Yatra: जानें किस रंग का होता है जगत के नाथ का रथ, कैसे होता है इसका निर्माण

Jagannath Rath Yatra

Jagannath Rath Yatra

सप्तपुरियों में से एक भगवान जगन्नाथ के पुरी धाम में इस साल 20 जून 2023 को रथयात्रा (Jagannath Rath Yatra)  का महोत्सव मनाया जाएगा। हिंदू धर्म से जुड़े चार धाम में हर साल निकलने वाली इस पावन यात्रा में कुल तीन रथ शामिल होतें हैं। जिसमें से एक रथ में पूरे जगत के नाथ कहलाने वाले भगवान जगन्नाथ, दूसरे में उनके बड़े भाई बलभद्र और तीसरे में उनकी बहन सुभद्रा सवार होती हैं। विश्व प्रसिद्ध इस रथ यात्रा को देखने के लिए और भव्य रथों को खींचने के लिए बड़ी संख्या में भक्तगण देश-दुनिया से यहां पर पहुंचते हैं।

आइए इस महापर्व पर निकलने वाले रथों (Jagannath Rath Yatra) से जुड़ी रोचक बातों को विस्तार से जानते हैं।

>> पुरी भव्य रथयात्रा में शामिल होने वाले प्रत्येक रथ का अपना एक नाम होता है। इनमें भगवान जगन्नाथ का रथ जो कि सबसे ऊंचा होता है, उसे ‘नंदीघोष’ के नाम से जाना जाता है। पीले और लाल रंग के कपड़े से सजे इस रथ की ऊंचाई तकरीबन 45 फुट होती है।

>> भगवान जगन्नाथ के बड़े भाई बलभद्र के रथ का नाम ‘तालध्वज’ होता जो कि लाल और हरे रंग का होता है, वहीं उनकी बहन सुभद्रा का रथ काले और लाल रंग से सजा होता है। सुभद्रा के रथ को ‘दर्प दलन’ के नाम से जाना जाता है।

>> पुरी की भव्य यात्रा में खींचे जाने वाले इन तीन रथों में सबसे आगे बलभद्र जी का और उसके बाद देवी सुभद्रा का और सबसे पीछे जगन्नाथ भगवान का रथ होता है।

>> हिंदू धर्म में जिस रथ यात्रा (Jagannath Rath Yatra)  में शामिल होना सौभाग्य की बात माना जाता है, उसकी तैयारी महीनों पहले वैशाख मास की अक्षय तृतीया से प्रारंभ हो जाती है और आषाढ़ मास की त्रयोदशी तिथि तक चलती है।

>> रथयात्रा (Jagannath Rath Yatra)  के लिए बनाए जाने वाले इन रथों को बनाने के लिए जिस लकड़ी का इस्तेमाल होता है, उसे इकट्ठा करने काम बसंत पंचमी से प्रारंभ होता है और इसे परंपरागत तरीके से मंदिर से जुड़े बढ़ई ही बनाते हैं, जिन्हें भोईसेवायतगण कहा जाता है।

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>> जिस समय रथों का निर्माण हो रहा होता है, उस दौरान भी रथयात्रा के समान ही कई उत्सव मनाए जाते हैं। जिनमें चंदनयात्रा, देवस्नान पूर्णिमा, आदि हैं।

>> सदियों से चली आ रही रथयात्रा (Jagannath Rath Yatra) में शामिल करने के लिए हर साल भगवान जगन्नाथ के लिए नये रथ का निर्माण होता है और पुराने रथ को तोड़ दिया जाता है।

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