Site icon 24 GhanteOnline | News in Hindi | Latest हिंदी न्यूज़

इस दिन निकलेगी भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा, जानें इससे जुड़ी खास बातें

Jagannath Rath Yatra

Jagannath Rath Yatra

27 जून 2025 को भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा (Jagannath Rath Yatra) निकाली जाएगी। रथ यात्रा जगन्नाथ मंदिर से शुरू होकर पुरी नगर से गुजरते हुए गुंडीचा मंदिर पहुंचती है। यहां भगवान जगन्नाथ, बलरामजी और बहन सुभद्रा सात दिन विश्राम करते हैं। गुंडीचा मंदिर भगवान जगन्नाथ की मौसी का घर है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, देवशिल्पी विश्वकर्मा ने भगवान जगन्नाथ, बलभद्र व देवी सुभद्रा की प्रतिमाओं का निर्माण किया था। आषाढ़ मास के दसवें दिन सभी रथ फिर से मुख्य मंदिर की ओर प्रस्थान करते हैं। रथों की वापसी की रस्म को बहुड़ा यात्रा कहा जाता है।

रथ यात्रा (Jagannath Rath Yatra) से पहले मंदिर के कपाट बंद किए जाते हैं

हर साल रथ यात्रा (Jagannath Rath Yatra) से पहले ज्‍येष्‍ठ मास की पूर्णिमा से लेकर अमावस्‍या तक प्रभु जगन्‍नाथ बीमार पड़ते हैं। भक्‍तों के लिए मंदिर के कपाट एक पखवाड़े तक बंद कर दिए जाते हैं। जिसे मंदिर की भाषा में अनासार कहा जाता है। इस अवधि में भगवान के दर्शन बंद रहते हैं व भगवान को जड़ी बूटियों के काढ़े का भोग लगाया जाता है। यह परंपरा हजारों साल से चली आ रही है।

भगवान रथयात्रा (Jagannath Rath Yatra) से एक दिन पहले स्वस्थ होते हैं। तब उन्‍हें मंदिर के गर्भ गृह में वापस लाया जाता है। सात जुलाई को भगवान जगन्‍नाथ अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ अपनी मौसी रोहिणी से भेंट करने जाते हैं यहां तरह-तरह के पकवान से प्रभु को भोग लगाया जाता है। भगवान यहां नौ दिन तक रहते हैं और उसके बाद अपनी मौसी के घर से वापस अपने मंदिर में लौट आयेंगे।

रथ यात्रा (Jagannath Rath Yatra) से जुड़ी खास बातें-

तीन अलग-अलग रथ बनाए जाते

पुरी में रथयात्रा के लिए भगवान जगन्नाथ, भाई बलराम व बहन सुभद्रा के लिए तीन अलग-अलग रथ बनाए जाते हैं।

सबसे पीछे भगवान जगन्नाथ का रथ

रथयात्रा में सबसे आगे बलराम जी का रथ, बीच में देवी सुभद्रा का रथ और सबसे पीछे भगवान जगन्नाथ का रथ होता है।

हर रथ को अलग नाम से जाना जाता है

बलराम के रथ को ‘तालध्वज’ कहते हैं। जिसका रंग लाल और हरा होता है। देवी सुभद्रा के रथ को ‘पद्म रथ’ या ‘दर्पदलन’ कहा जाता है, जो काले और लाल रंग का होता है। भगवान जगन्नाथ के रथ को ‘गरुड़ध्वज’ या ‘नंदीघोष’ कहते हैं, जो कि लाल और पीला होता है।

नीम की लकड़ियों से बनाए जाते हैं रथ

सभी रथ नीम की लकड़ियों से तैयार किए जाते हैं। जिसे ‘दारु’ कहते हैं। इसके लिए जगन्नाथ मंदिर में एक खास समिति का निर्माण किया जाता है। भगवान जगन्नाथ का रथ 45.6 फीट ऊंचा, बलराम जी का रथ 45 फीट और देवी सुभद्रा का रथ 44.6 फीट ऊंचा होता है।

Exit mobile version