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जलशक्ति मंत्री ने बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों का किया हवाई सर्वेक्षण, अधिकारियों को दिए निर्देश

मुख्यमंत्री के निर्देश पर उत्तर प्रदेश के जलशक्ति मंत्री डॉ. महेन्द्र सिंह ने आज शासन व सिंचाई विभाग के अधिकारियों के साथ जनपद लखीमपुर खीरी, सीतापुर, बहराइच तथा बाराबंकी के बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण करके स्थिति की समीक्षा की और स्थानीय प्रशासन को बाढ़ पीड़ितों को हर तरह की सहूलियतें मुहैया कराने के निर्देश दिये।

जलशक्ति मंत्री ने इन चारों जनपदों में स्थानीय जन-प्रतिनिधियों तथा जिला प्रशासन के साथ समीक्षा बैठक करके बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में पेयजल, भोजन, दवाईयां, पशुओं के लिए चारे आदि की व्यवस्था कराने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में फसलों की हुई हानि का आंकलन शीघ्र पूरा करा लिया जाय, जिससे प्रभावित किसानों का समुचित मुआवजा दिया जा सके। उन्होंने बाढ़ से क्षतिग्रस्त आवासों के स्वामियों को आवास दिलाये जाने की कार्यवाही किये जाने के भी निर्देश दिये।

डॉ महेन्द्र सिंह ने बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में आवागमन के लिए नाव आदि की पर्याप्त व्यवस्था, रोशनी, भोजन के पैकेट, दैनिक प्रयोग की वस्तुएं, पशुओं के लिए भूसा तथा मेडिकल टीम के माध्यम से दवाओं आदि की व्यवस्था किये जाने के भी निर्देश दिये। उन्होंने स्थानीय मुख्य चिकित्साधिकारियों को जल प्लावित क्षेत्रों में बाढ़ उतरने के पश्चात संक्रामक रोगों की रोकथाम के लिए मेडिकल टीमों के माध्यम से फॉगिंग, एन्टी लार्वा का छिड़काव कराने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री  का निर्देश है कि बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में राहत और बचाव कार्य युद्धस्तर पर कराये जाएं।

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जलशक्ति मंत्री ने निर्देश दिये कि स्थानीय जन-प्रतिनिधियों, स्वयंसेवी संस्थाओं का भी सहयोग लेकर पीड़ित लोगों को टार्च, दैनिक प्रयोग की वस्तुएं, भोजन, पेयजल आदि उपलब्ध कराया जाय। इसके साथ ही इन क्षेत्रों में निगरानी लगातार रखी जाय। राज्य सरकार बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए कटिबद्ध है। बाढ़ पीड़ितों की हर संभव सहायता सुनिश्चित करायी जायेगी। प्रत्येक बाढ़ग्रस्त क्षेत्र में जिला प्रशासन को आवश्यक निर्देश दिये गये कि बाढ़ प्रभावित लोगों को किसी चीज की कमी न होने पाये।

जल शक्ति मंत्री डॉ महेंद्र सिंह ने लखीमपुर खीरी में प्रेसवार्ता के दौरान बताया कि मुख्यमंत्री  ने तेजी से बचाव व राहत कार्य करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि बाढ़ का पानी खत्म होते ही क्षति का आकलन कराया जाएगा और लोगों को राहत राशि दी जाएगी। उन्होंने कहा कि 17-18-19 अक्टूबर को उत्तराखंड में हुई अतिवृष्टि व बादल फटने से जल प्लावन होने से भारी तबाही हुई। 90 वर्षों में सबसे ज्यादा डिस्चार्ज इस बार हुआ।

जलशक्ति मंत्री ने बताया कि खीरी में 120 किमी शारदा बहती है। शारदा व घाघरा में डिस्चार्ज बढ़ने से जिले के 300 गांव प्रभावित हुए। कमिश्नर व जिला प्रशासन के अंतर विभागीय कोआर्डिनेशन से बेहतर काम किया। 03 एनडीआरएफ, 01 एसडीआरएफ एवं 02 पीएसी की फ्लड यूनिट ने बड़े पैमाने पर रेस्क्यू अभियान चलाया। रेस्क्यू ऑपरेशन में 16 बड़े मोटर बोट, 80 लोकल नावे एवं 75 गोताखोर लगाए। अधिकारी-कर्मचारी पूरी मुस्तैदी से राहत बचाव काम कर रहे। तीन दिनों में प्रशासन ने लगभग 03 हजार लोगों को रेस्क्यू करके निकाला। वही 75 हजार लंच पैकेट वितरित कराए। इन क्षेत्रों में प्रशासन ने मेडिकल टीम गठित कर उसकी सक्रियता बढ़ाई। बांधों पर सिंचाई विभाग के अफसर पूरी मुस्तैदी से तैनात हैं। पानी तेजी से घट रहा है।

डॉ. सिंह ने कहा कि प्रभावित सभी गांवों में नोडल अधिकारी तैनात किए हैं। ब्लॉक स्तर पर कम्युनिटी किचन का संचालन किया जा रहा, इसके वितरण हेतु सीएचसी व पीएचसी पर भी पॉइंट बनाए गए। निगरानी समितियों को एक्टिवेट करते हुए एएनएम व आंगनबाड़ी के जरिए स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाई जा रही। सभी प्रभावित लोगों तक शुद्ध पेयजल की आपूर्ति व भोजन की व्यवस्था तत्परता से कराने में प्रशासन पूरी मुस्तैदी से जुटा है। खीरी में वायु सेना के जवानों ने हेलीकॉप्टर के जरिए 16 लोगों को रेस्क्यू किया।

इन चारों जनपदों के भ्रमण के दौरान स्थानीय जनप्रतिनिधि, जिला प्रशासन के अधिकारी, राहत आयुक्त उप्र  रणवीर प्रसाद, प्रमुख अभियंता परिकल्प एवं नियोजन  अशोक कुमार सिंह आदि वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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