डॉ मुरलीधर सिंह
अयोध्या। कोविड-19 का कालखंड। जनता कर्फ्यू, लॉकडाउन से लेकर आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना, इस तरह की कई अकल्पनीय तस्वीरें हमारी आंखों ने देखी। यह एक संघर्ष था, एक महायुद्ध जिसमें लड़ाई तत्समय की एक ऐसी शक्ति से थी जिसके बारे में शायद ही कोई जानता था। एक अकल्पनीय अपनी दृश्य हमारे सामने था। इस युद्ध में मानवता की तरफ से जीवन को संकट में डाल कर अपने कर्तव्यों का पूरी निष्ठा के साथ समाज के कुछ चेहरे पालन कर रहे थे।
इन्हें फ्रंटलाइन वारियर का नाम दिया गया । आप इसे केवल नौकरी, पैसा या धन कमाई के लिए किया गया कृत्य नहीं कह सकते। क्योंकि पूरे सामर्थ्य के साथ ये फ्रंटलाइन वर्कर अपना फर्ज निभा रहे थे। इनमें हम डॉक्टर, पैरामेडिकल स्टाफ, पुलिस, सफाई कर्मी और पत्रकारों को शामिल करते है। वैसे तो इस पूरे संघर्ष के दौरान हम किसी के योगदान की आपस में तुलना तो नहीं कर सकते हैं , परंतु विपरीत परिस्थितियों में काम करने वाले पत्रकारों के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है। लॉकडाउन में जागरूकता व सूचनाओं का आदान प्रदान करने का सबसे बड़ा माध्यम पत्रकार थे। वह पत्रकार ही थे जिनकी लेखनी, जिनके डिबेट व एंकरिंग ने कोरोनावायरस से संघर्ष करने की संजीवनी आम जनता को प्रदान की। कोरोनावायरस से संघर्ष के विजय पथ पर चलते हुए अगर हम आत्मनिर्भरता की बातें कर रहे हैं तो इसमें पत्रकारों की बड़ी भूमिका रही है।
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संघर्ष की इस कथा की शुरुआत जनता कर्फ्यू से होती है अयोध्या जैसी संवेदनशील जगह में पत्रकारों और प्रशासन के बीच समन्वय स्थापित करना भी एक चुनौती थी। हमारी सूचना लोकसंपर्क विभाग की टीम इसके लिए तैयार थी। जनता कर्फ्यू के बाद लॉक डाउन लग गया। 25 मार्च को अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए भगवान राम लला अपने अस्थाई मंदिर में शिफ्ट हो रहे थे ।
इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय योगी आदित्यनाथ जी महाराज थे। पूरे विश्व में मौजूद राम भक्त इस कार्यक्रम के विषय में जानना चाहते थे । क्योंकि कोविड-19 प्रोटोकाल की वजह से काफी सीमित लोगों के बीच कार्यक्रम होना था। इन परिस्थितियों में पूरे कार्यक्रम का सजीव प्रसारण जिस प्रकार तत्समय के पत्रकारों ने किया वह भी इतिहास के पन्नों में कैद रहेगा। यहां का सूचना एवं लोकसंपर्क विभाग लगातार पत्रकारों के संपर्क में रहा सीमित संसाधनों के बाद भी देश विदेश की मीडिया ने पूरे आयोजन को प्रस्तुत करने में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया।
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कोविड-19 को लेकर लॉकडाउन लगाया गया था। लोग घरों में कैद थे। होम डिलीवरी के नंबरों से लेकर सरकार द्वारा जारी हर निर्देश को आम जनता तक पहुंचाने की जिम्मेदारी थी। अफवाहों से माहौल ना बिगड़े इसके लिए एक बेहतर रणनीति बनानी थी। शासन प्रशासन की इस चुनौती को काफी गंभीरता से पत्रकारों ने लिया। लॉकडाउन में पत्रकारिता आसान नहीं थी । सूचना एवं लोकसंपर्क विभाग पत्रकारों को कवरेज में किसी भी प्रकार की दिक्कत न हो इसके लिए तैयार था।
सूचनाएं सभी तक आसानी से पहुंचे इसके लिए पत्रकारों को उनके परिचय पत्र पर लॉक डाउन के दौरान कवरेज की छूट दी गई रोजाना ईमेल व सोशल मीडिया के हैंडल जैसे व्हाट्सएप व ट्विटर के माध्यम से पत्रकारों को अपेक्षित सूचनाएं दी गई। पत्रकारों ने निष्ठा पूर्वक कर्तव्य पालन करते हुए इस संघर्ष को निर्णायक मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया। मुख्य शिलान्यास कार्यक्रम के बीच 15.7. 2020 को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय योगी आदित्यनाथ जी महाराज ने जनपद के पत्रकारों से वार्ता की तथा उनका फीडबैक लिया। पत्रकारों ने माननीय मुख्यमंत्री जी के समक्ष 7 बिंदुओं पर अपनी बात रखी। इस दौरान मुख्यमंत्री माननीय योगी आदित्यनाथ जी महाराज ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि आप सभी पर रामलला का आशीर्वाद है। आप सभी सदा स्वस्थ रहें।
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कोविड-19 के समय चक्र की सबसे महत्वपूर्ण तिथि 5 अगस्त थी। इस दिन अयोध्या में राम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन भारत के प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी जी के हाथों से संपन्न हुआ। यह एक ऐसी तिथि थी जब पूरा विश्व संचार के विभिन्न माध्यमों से अयोध्या से जुड़ा था । माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अयोध्या आगमन , हनुमानगढ़ी में दर्शन पूजन, राम जन्मभूमि परिसर में वैदिक मंत्रों के बीच भूमि पूजन का कार्यक्रम व माननीय प्रधानमंत्री जी के संबोधन को हर कोई देखना सुनना और जानना चाहता था। कोविड-19 प्रोटोकॉल की वजह से आम जनता राम मंदिर परिसर में नहीं पहुंच पाई पर अपनी टीवी या मोबाइल पर इस अद्भुत क्षण का सजीव दर्शन वह करना चाहती थी ।
माननीय प्रधानमंत्री के अलावा संघ प्रमुख माननीय मोहन भागवत यूपी के मुख्यमंत्री माननीय योगी आदित्यनाथ जी महाराज, श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास यूपी के राज्यपाल माननीय आनंदी बेन पटेल इस कार्यक्रम का हिस्सा थी। इस कार्यक्रम में करीब 251 देश के बड़े संतो को आमंत्रित किया गया था। पूर्व केंद्रीय मंत्री व मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री सुश्री बहन उमा भारती भी इस दौरान मौजूद रही।
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सुश्री उमा भारती तथा अन्य कार्यक्रम में मौजूद संतो द्वारा पत्रकारों की भूमिका की काफी सराहना भी की गई। कवरेज लिए करीब 700 पास पत्रकारों को सूचना एवं लोकसंपर्क विभाग के द्वारा जारी किया गया। सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए अत्याधुनिक मीडिया सेंटर बनाया गया । इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को डिबेट और प्रसारण के लिए राम की पैड़ी पर उपयुक्त स्थान दिया गया। सूचना विभाग के द्वारा पल-पल की फोटोग्राफ पत्रकारों को उपलब्ध कराई गई। कोविड-19 के प्रोटोकाल के दौरान इस वैश्विक स्तर के कार्यक्रम की जिस प्रकार कवरेज की गई, जरूर वह आने वाले समय में तत्समय के पत्रकारों के लिए पथ प्रदर्शक का काम करेगी।
महामारी के बीच दर्शकों और पाठकों को हर वह बात पहुंचाना जिसके विषय में वह जानना चाहते थे यह एक मुश्किल काम था। इसके साथ में राम मंदिर से जुड़ी हर अपडेट तथा इसको लेकर कई शोध भी समाज के समक्ष प्रस्तुत करना था। पत्रकारों ने इस कवरेज को उत्कृष्ट स्वरूप में प्रदर्शित किया। कोविड-19 की बंदिशे व सीमित संसाधन के बीच भी काम कर रहे पत्रकारों ने ना तो अपने पाठकों को निराश किया और ना दर्शकों को। वर्तमान में कोविड-19 का सेकंड वेब है। कई राज्यों में चुनाव भी चल रहे हैं ऐसे में पत्रकारों की सकारात्मक भूमिका की सराहना पूरा देश कर रहा है। कोविड-19 के काल में आज तक पत्रकारिता व पत्रकारों का समाज के प्रति जो योगदान रहा है उसे कभी विस्मृत नहीं किया जा सकेगा।