नई दिल्ली। योशिहिडे सुगा जापान के नए प्रधानमंत्री अपनी कुर्सी बुधवार संभाल ली। योशिहिडे सुगा सत्ता संभालने के बाद प्रमुख चुनौती वैश्विक महामारी कोरोना व देश आर्थिक संकटों से बाहर निकालना है।
बता दें कि पिछले आठ सालों में वह इस पद काबिज होने वाले जापान के पहले नेता हैं। उनसे पहले शिंजो आबे ने पीएम के रूप में जापान को अपनी सेवाएं दीं। आबे ने स्वास्थ्य कारणों के चलते प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद सुगा को नया प्रधानमंत्री चुना गया है।
Yoshihide Suga (in file pic) elected as Japan’s prime minister, becoming the country’s first new leader in nearly eight years and facing a raft of challenges including reviving an economy battered by the COVID-19 crisis: Reuters pic.twitter.com/D0g01Wwk93
— ANI (@ANI) September 16, 2020
बता दें कि सुगा के लिए प्रधानमंत्री पद पर काबिज होने का रास्ता सोमवार को ही साफ हो गया था। जब उनको जापान की लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (एलडीपी) का नेता चुना गया। उन्होंने बेहद ही आसानी से आंतरिक वोट में जीत हासिल की। सुगा को 534 में 377 वोट हासिल हुए। इस तरह उन्होंने अपने दो प्रतिद्वंदियों पूर्व रक्षा मंत्री शिगेरु इशिबा और पूर्व विदेश मंत्री फुमियो किशिदा के खिलाफ जीत हासिल की थी। एक शक्तिशाली सरकारी सलाहकार और प्रवक्ता 71 वर्षीय सुगा को देश में स्थिरता लाने और आबे की नीतियों को जारी रखने वाले नेता के रूप में देखा जाता है। उन्होंने विशेष रूप से कहा है कि उनकी उम्मीदवारी प्रधानमंत्री आबे के कार्यक्रमों को जारी रखने की इच्छा से प्रेरित थी।
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एक किसान के बेटे सुगा का पालन-पोषण जापान के उत्तरी अकिता क्षेत्र में हुआ था। सुगा को लेकर माना जाता है कि उनकी सबसे बड़ी चिंता ग्रामीण क्षेत्रों में जनसंख्या ह्रास का मुद्दा है, जिसपर वह प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के बाद कार्य कर सकते हैं।
प्रधानमंत्री के रूप में वह बहुत ही मुश्किल परिस्थितियों का सामना करेंगे, क्योंकि कोरोना वायरस से निपटने और दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को सुचारू रूप से खड़ा रखना एक बड़ी चुनौती बनकर उभरेगा।
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गौरतलब है कि 65 साल के शिंजो आबे लंबे समय से पेट से जुड़ी बीमारी से जूझ रहे हैं। वे अगस्त महीने में दो बार अस्पताल जा चुके हैं। इसके बाद से ही जापानी मीडिया में उनके स्वास्थ्य को लेकर चर्चा चल रही थी।
स्थानीय मीडिया के अनुसार आबे नहीं चाहते थे कि उनकी सेहत के कारण सरकार के कामकाज पर किसी तरह का असर पड़े। इसी कारण उन्होंने 28 अगस्त को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पद छोड़ने की घोषणा कर दी। अगस्त महीने में ही आबे ने बतौर प्रधानमंत्री सात साल छह महीने का समय पूरा किया था।