पटना। बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत जनता दल यूनाइटेड से की। उन्होंने वीआरएस लेने के 5 दिन के अंदर ही नीतीश कुमार की पार्टी में शामिल हो गए।
बक्सर की किसी सीट से टिकट की थी चर्चा
नीतीश कुमार ने स्वयं गुप्तेश्वर पांडेय को पार्टी की सदस्यता ग्रहण करवाई, जिसके बाद इस बात की संभावना जताई जाने लगी कि विधानसभा चुनाव में जेडीयू उन्हें बक्सर जिले की किसी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ जा सकती है।
अब जब एनडीए में बीजेपी और जेडीयू के बीच में सीटों का बंटवारा हो चुका है। तो बक्सर जिले की 4 विधानसभा सीटों में से दो डुमराव और राजपुर (SC) जेडीयू के कोटे में आई हैं।
जेडीयू ने इन दोनों सीटों से अपने उम्मीदवारों की घोषणा भी कर दी है। एक तरफ जहां डुमराव से अंजुम आरा को पार्टी ने अपना उम्मीदवार बनाया है तो वहीं दूसरी तरफ राजपुर से बिहार सरकार के मंत्री संतोष निराला पार्टी के उम्मीदवार हैं।
बक्सर जिले की बाकी दो सीटें (ब्रह्मपुर और बक्सर) बीजेपी के खाते में गई हैं। इससे एक बात अब स्पष्ट हो चुकी है कि जेडीयू में शामिल हुए गुप्तेश्वर पांडेय को पार्टी ने बिहार विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं दिया है। उन्हें फिलहाल छोड़ दिया है।
अब बीजेपी से गुप्तेश्वर पांडेय को उम्मीद!
सूत्रों के मुताबिक गुप्तेश्वर पांडेय अब ब्रह्मपुर या बक्सर सीट से चुनाव लड़ने के लिए जुगत लगा रहे हैं। गुप्तेश्वर पांडे पटना से लेकर दिल्ली तक बीजेपी से टिकट पाने के लिए दौड़ लगा रहे हैं।
बता दें कि बीजेपी ने पहले चरण के चुनाव के लिए जिन सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा की है। उनमें अभी ब्रह्मपुर और बक्सर से उम्मीदवारों के नाम तय नहीं किये गये हैं।
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ऐसे में गुप्तेश्वर पांडेय के लिए उम्मीद की किरण अभी बाकी है। अगर बीजेपी उन्हें किसी एक सीट से अपना उम्मीदवार बना दे। तो जिस पार्टी में वह टिकट की आस लेकर शामिल हुए थे उस पार्टी ने तो गुप्तेश्वर पांडेय को विधानसभा चुनाव में पैदल कर दिया है।
लोकसभा उपचुनाव में मिल सकता है मौका
हालांकि, माना जा रहा है कि अगर बीजेपी ने भी गुप्तेश्वर पांडेय को टिकट नहीं दिया तो फिर वह वाल्मीकिनगर लोकसभा उपचुनाव में जेडीयू के उम्मीदवार हो सकते हैं। वाल्मीकिनगर लोकसभा उपचुनाव भी बिहार विधानसभा चुनाव के साथ ही होना है।
दिलचस्प बात है कि 2009 में भी गुप्तेश्वर पांडेय ने पुलिस सेवा से वीआरएस लेकर बक्सर चुनाव लड़ने के लिए बीजेपी से टिकट की मांग की थी। मगर उन्हें टिकट नहीं मिला था। इसके 9 महीने के बाद गुप्तेश्वर पांडेय ने अपना वीआरएस वापस ले लिया था और पुलिस सेवा में दोबारा बहाल हो गए थे।