जितिया व्रत (Jitiya Vrat) हर साल अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को किया जाता है। तीन दिवसीय यह व्रत बिहार में मुख्य रूप से मनाया जाता है। इसके पहले दिन नहाय खाय होता है, दूसरे दिन निर्जला उपवास किया जाता है और वहीं तीसरे दिन निर्जला उपवास का पारण किया जाता है। इसे जीवित्पुत्रिका व्रत के नाम से भी जाना जाता है, जो कि कल यानी 14 अगस्त को किया जाएगा। अगर आप भी जितिया व्रत करने जा रही हैं, तो आपको इस लेख में बताएंगे पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा की विधि, पूजा सामग्री और व्रत पारण का समय।
जितिया व्रत (Jitiya Vrat)
जितिया व्रत (Jitiya Vrat) की अष्टमी तिथि 14 सितंबर को सुबह 5:04 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, अष्टमी तिथि का समापन 15 सितंबर को सुबह 3:06 मिनट पर होगा। ऐसे में जितिया व्रत 14 सितंबर को रखना शुभ रहेगा। रविवार, 14 सितंबर को सूर्योदय से पहले ब्रह्म मुहूर्त में जितिया ओठगन होगा।
ब्रह्म मुहूर्त :- 14 सितंबर को 4:33 मिनट से लेकर सुबह 5:19 मिनट तक।
जितिया व्रत (Jitiya Vrat) का महत्व
जितिया व्रत (Jitiya Vrat) का हिंदू धर्म में बहुत ज्यादा महत्व होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत को करने से संतान को लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य का वरदान मिलता है। जितिया व्रत माताओं द्वारा अपनी संतान की मंगल कामना के लिए रखा जाता है।
जितिया व्रत (Jitiya Vrat) के दिन क्या दान करना चाहिए?
जितिया व्रत के दिन चावल, फलों, गौ, खिलौने, काले तिल और जौ आदि का दान करना चाहिए। इन चीजों का दान करना बेहद पुण्यदायी माना गया है। कहते हैंकि इस दान से दोगुना फलों की प्राप्ति होती है। साथ ही, सभी मनोकामनाओं की पूर्ति हो जाती है।
जितिया व्रत (Jitiya Vrat) का पारण कितने बजे करना चाहिए?
रविवार, 14 सितंबर को सूर्योदय के समय सभी माताएं निर्जला उपवास करेंगी। वहीं, जितिया व्रत का पारण 15 सितंबर को सुबह 06:36 बजे होगा। इसके साथ ही तीन दिवसीय व्रत का समापन भी हो जाएगा।
जितिया का व्रत (Jitiya Vrat) कैसे खोला जाता है?
जितिया का व्रत अगले दिन सुबह सूर्य देव की पूजा और अर्घ्य देने के बाद खोला जाता है। सबसे पहले नहाकर साफ कपड़े पहनें, फिर भगवान जीमूतवाहन की पूजा करके व्रत कथा सुनें। इसके बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें। फिर झोर भात, मरुआ की रोटी और नोनी के साग से व्रत का पारण करें।
जितिया व्रत (Jitiya Vrat) कितने घंटे का होता है?
जितिया (या जीवित्पुत्रिका) व्रत आमतौर पर 24 घंटे से लेकर 36 घंटे तक का निर्जला (बिना पानी के) व्रत किया जाता है, जो आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि से शुरू होकर अगले दिन या तीसरे दिन नवमी तिथि पर समाप्त होता है। इस दौरान माताएं अपने बच्चों की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं और व्रत का पारण सूर्योदय के बाद किया जाता है।
जितिया व्रत (Jitiya Vrat) पूजा के लिए क्या सामग्री चाहिए?
कुश (जीमूतवाहन की प्रतिमा बनाने के लिए)
गाय का गोबर (चील व सियारिन की आकृति बनाने के लिए)
अक्षत
पेड़ा
दूर्वा की माला
श्रृंगार का सामान
सिंदूर और पुष्प
पान और सुपारी
लौंग और इलायची
मिठाई
फल और फूल
गांठ का धागा
धूप-दीप
बांस के पत्ते
सरसों का तेल
जितिया व्रत (Jitiya Vrat) की पूजा विधि क्या है?
– इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
– इसके बाद भगवान विष्णु की प्रतिमा को स्नान कराएं।
– भगवान की प्रतिमा के समक्ष धूप-दीप जलाएं और भोग लगाएं।
– फिर मिट्टी और गाय के गोबर से चील और सियारिन की मूर्ति बनाएं।
– कुश से बनी जीमूतवाहन की प्रतिमा को धूप, दीप, चावल, फूल चढ़ाएं।
– शुभ मुहूर्त में पूजा करने के बाद जितिया व्रत की कथा सुनें।
– अंत में आरती करके प्रसाद सभी लोगों में बांट दें।
– फिर अगले दिन व्रत का पारण करने के बाद दान जरूर दें।
क्या जितिया व्रत में पानी पी सकते हैं?
जितिया व्रत का सबसे महत्वपूर्ण नियम कठोर निर्जला व्रत रखना है, जिसका मतलब है व्रत की शुरुआत से लेकर उसके पूरा होने तक थोड़ी मात्रा में भोजन या एक घूंट पानी का सेवन भी व्रत का उल्लंघन माना जाता है। ऐसे में इस व्रत के दौरान कुछ भी खाया या पीया नहीं जाता है।
जितिया व्रत (Jitiya Vrat) का पारण क्या खाकर करना चाहिए?
जितिया व्रत का पारण तीसरे दिन किया जाता है। कुछ जगहों पर इस व्रत पारण के समय झींगा मछली और मडुआ रोटी खाने का रिवाज है। कहते हैं कि ऐसा करने से व्रत का पूरा फल मिलता है।
जितिया व्रत (Jitiya Vrat) में कौन से भगवान की पूजा की जाती है?
जितिया व्रत महिलाएं अपनी संतान की सलामती और लंबी उम्र के लिए करती हैं और इस दिन भगवान जीमूतवाहन की पूजा करती हैं। जितवाहन (या जीमूतवाहन) एक गंधर्व राजकुमार थे, जिन्होंने नाग वंश की रक्षा के लिए गरुड़ के सामने अपना बलिदान दे दिया था। उनकी इसी दयालुता और परोपकार की वजह से ही जीवित्पुत्रिका व्रत में उनकी पूजा की जाती है।
जितिया व्रत (Jitiya Vrat) में क्या-क्या चढ़ता है?
जितिया पूजा में मुख्य रूप से भगवान जीमूतवाहन की पूजा की जाती है, जिसके लिए धूप-दीप, फल, मिठाई, फूल, रोली, सिंदूर, पान, सुपारी, लौंग, इलायची और नोनी का साग चढ़ाया जाता है। इसके अलावा, चील और सियारिन की आकृति बनाने के लिए गोबर, कुश और बांस के पत्तों का भी इस्तेमाल किया है। पूजा में नैनुआ के पत्ते, भीगे चने, लाल धागा और कभी-कभी बच्चों के लिए खिलौने या टॉफियां भी चढ़ाई जाती हैं।









