हिंदू धर्म में व्रत-त्योहारों का अलग महत्व होता है। इनमें से खास जितिया व्रत भी है। जितिया व्रत को जीवित्पुत्रिका और जिउतिया व्रत के नाम से भी जानते हैं।
यह व्रत आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। मान्यता है कि जितिया व्रत को माताएं अपनी संतान की लंबी आयु और सुखमय जीवन की कामना के लिए रखती हैं। इस बार यह व्रत 29 सितंबर को रखा जा रहा है। जानिए पूजन का समय और पूजन विधि-
जितिया व्रत का महत्व-
जितिया व्रत माताएं अपनी संतान की लंबी आयु, निरोगी जीवन और खुशहाली के लिए रखती हैं। तीन दिनों तक चलने वाले जितिया व्रत का काफी महत्व है। वंश वृद्धि के लिए भी इस व्रत को उत्तम माना जाता है।
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इन मुहूर्त में न करें पूजन-
राहुकाल- दोपहर 12 बजे से 01 बजकर 30 मिनट तक।
यमगंड- सुबह 07 बजकर 30 मिनट से 09 बजे तक।
गुलिक काल- सुबह 10 बजकर 30 मिनट से 12 बजे तक।
दुर्मुहूर्त काल- दोपहर 11 बजकर 47 मिनट से 12 बजकर 35 मिनट तक।
जितिया व्रत पूजन विधि-
सुबह स्नान करने के बाद व्रती प्रदोष काल में गाय के गोबर से पूजा स्थल को लीपकर साफ कर लें।
इसके बाद वहां एक छोटा सा तालाब बना लें।
तालाब के पास एक पाकड़ की डाल लाकर खड़ाकर कर दें।
अब शालिवाहन राजा के पुत्र धर्मात्मा जीमूतवाहन की कुशनिर्मित मूर्ति जल के पात्र में स्थापित करें।
अब उन्हें दीप, धूप, अक्षत, रोली और लाल और पीली रूई से सजाएं।
अब उन्हें भोग लगाएं।
अब मिट्टी या गोबर से मादा चील और मादा सियार की प्रतिमा बनाएं।
दोनों को लाल सिंदूर अर्पित करें।
अब पुत्र की प्रगति और कुशलता की कामना करें।
इसके बाद व्रत कथा सुनें या पढ़ें।
व्रत पारण का समय-
जीवित्पुत्रिका व्रत रखने वाली माताएं 30 सितंबर को सूर्योदय के बाद दोपहर 12 बजे तक पारण करेंगी। मान्यता है कि जीवित्पुत्रिका व्रत का पारण दोपहर 12 बजे तक कर लेना चाहिए।