उत्तर प्रदेश में मथुरा जिला अपर सत्र न्यायाधीश (प्रथम) अनिल कुमार पाण्डे ने देशद्रोह जैसे गंभीर मामले में जेल में बन्द पत्रकार सिद्दीक कप्पन की जमानत अर्जी को आज अस्वीकार कर दिया।
अभियोजन पक्ष एवं बचाव पक्ष की दलीलों को सुनने के बाद न्यायाधीश अनिल कुमार पाण्डे ने अपने निर्णय में लिखा है कि सिद्दीक कप्पन पर पत्रकारिता की आड़ में गलत कार्य करने का भी आरोप भी लगाया गया है तथा जिस तेजस न्यूज का पत्रकार होने का दावा उसके पास से मिले कार्ड में किया गया है वह 2018 में ही बन्द हो गया है। जिला शासकीय अधिवक्ता शिवराम सिंह ने एसटीएफ के उस आरोप को भी प्रस्तुत किया गया जिसमें कप्पन के विदेशों से पैसे लेने आदि संबंधित साक्ष्यों का भी हवाला दिया गया है
बचाव पक्ष के अधिवक्ता मधुबन दत्त चतुर्वेदी ने बताया कि कप्पन की जमानत की अर्जी 11 जून को लगाई गई थी तथा उसकी सुनवाई के लिए पांच जुलाई निर्धारित की गई थी। सोमवार और मंगलवार को बचाव पक्ष की ओर से उच्चतम न्यायालय के अधिवक्ता विल्स मैथ्यू ने बहस करते हुए कप्पन को निर्देाष सिद्ध करने तथा जमानत देने के लिए तर्कपूर्ण तरीके से तथ्यों को प्रस्तुत किया लेकिन विद्वान न्यायाधीश ने कप्पन के देशद्रोह एवं आईटी ऐक्ट जैसे गंभीर अपराधों में लिप्त होने के आरोपों तथा अन्य तथ्यों आदि को देखते हुए उसकी जमानत की अर्जी अस्वीकार कर दी। अधिवक्ता चतुर्वेदी का कहना था कि इस फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील की जाएगी।
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गौरतलब है कि पिछले वर्ष पांच अक्टूबर को मथुरा जिले के मांट थाने की पुलिस ने गिरफ्तार किये गए पीएफआई के सदस्यों अतीकुररहमान, मसूद, आलम एवं पत्रकार सिद्दीक कप्पन को पुलिस ने पहले शांति भंग के आरोप में गिरफ्तार किया था । उसके बाद ही उन पर देशद्रोह जैसी धाराएं लगाई गई थी। उन पर हाथरस में बलात्कार से एक युवती की हुई मृत्यु के बाद वातावरण को खराब करने के लिए हाथरस जाने का प्रयास करने व उनके पास से भड़काऊ साहित्य बरामद होने आदि का भी आरोप है।