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ओम बिरला को सौंपी गईं वक्फ विधेयक पर JPC की रिपोर्ट, 15 वोटों से मिली है मंजूरी

Wakf Amendment Bill

Wakf Amendment Bill

नई दिल्ली। वक्फ (संशोधन) विधेयक (Wakf Amendment Bill) पर विचार करने वाली जेपीसी (JPC) के अध्यक्ष जगदंबिका पाल (Jagdambika Pal) ने गुरुवार को समिति की रिपोर्ट लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को सौंप दी। समिति ने बुधवार को 655 पृष्ठों वाली इस रिपोर्ट को बहुमत से स्वीकार किया था, जिसमें बीजेपी के सदस्यों की ओर से दिए गए सुझाव को शामिल किया गया है। वहीं विपक्षी सदस्यों ने इसे असंवैधानिक बताया है।

विपक्षी पार्टी के सदस्यों का आरोप है कि यह कदम वक्फ बोर्डों को बर्बाद कर देगा। भाजपा सदस्यों ने इस बात पर जोर दिया कि पिछले साल अगस्त में लोकसभा में पेश किए गए इस विधेयक में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में आधुनिकता, पारदर्शिता और जवाबदेही लाने का प्रयास करेगा। भाजपा सांसद जगदंबिका पाल (Jagdambika Pal) की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट को 11 के मुकाबले 15 मतों से मंजूरी दे दी गई। इस समिति की रिपोर्ट को विपक्षी सदस्यों ने असहमति के नोट दिए हैं।

44 प्रावधानों में संशोधन का रखा था प्रस्ताव

समिति की ओर से सोमवार को हुई बैठक में बीजेपी के सदस्यों के प्रस्तावित सभी संशोधनों को स्वीकार कर लिया था। साथ ही विपक्षी सदस्यों के संशोधनों को खारिज कर दिया था। समिति में शामिल विपक्षी सदस्यों ने वक्फ (संशोधन) विधेयक के सभी 44 प्रावधानों में संशोधन का प्रस्ताव रखा था। साथ ही दावा किया था कि समिति की ओर से प्रस्तावित कानून विधेयक के दमनकारी चरित्र को बरकरार रखेगा। मुस्लिमों के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप करने का प्रयास करेगा।

वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 (Wakf Amendment Bill) को केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरण रिजीजू द्वारा लोकसभा में पेश किए जाने के बाद 8 अगस्त, 2024 को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेजा गया था। विधेयक का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों को विनियमित और प्रबंधित करने से जुड़े मुद्दों और चुनौतियों का समाधान करने के लिए वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन करना है।

क्या बोले जगदंबिका पाल (Jagdambika Pal)?

जेसीपी अध्यक्ष जगदंबिका पाल (Jagdambika Pal) ने कहा कि 44 संशोधनों के सभी एक-एक खंड पर चर्चा की गई। छह महीने तक इस पर बड़ी चर्चा हुई। इसके बाद हमने सभी सदस्यों से संशोधन मांगे थे। समिति ने बहुमत के आधार पर 14 संशोधनों को स्वीकार किया। विपक्ष ने भी संशोधन प्रस्तावित किए, लेकिन 10 वोटों के समर्थन और 16 वोटों के विरोध में इन्हें खारिज कर दिया गया।

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