इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के न्यायिक अधिकारियों से कहा है कि कोरोना पेन्डेमिक में ऐसे आदेश न दें जो न्याय तंत्र में बाधक हो। कोर्ट ने विधायक की कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट को फर्जी मान सीएमओ पर एफआईआर दर्ज कराने वाले जज को भविष्य में सावधान रहने और न्यायिक कसौटी पर खरे न उतरने वाले आदेश न देने की नसीहत भी दी है।
कोर्ट ने संत कबीर नगर के एक न्यायिक अधिकारी की संवेदनहीनता को दुखद करार दिया, जिसने अदालत में तलब विधायक को कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट देने वाले सीएमओ के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट ने कहा ऐसा आदेश न्यायिक कसौटी पर खरा नहीं उतर सकता। कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट द्वारा पेन्डेमिक गाइडलाइंस जारी की गयी है। जिसमें अभियुक्त की पेशी न कराने के निर्देश जारी किये गये हैं।
कोर्ट ने कहा कि सीएमओ के रिपोर्ट की सत्यता का सत्यापन, राज्य की वेबसाइट से की जा सकती थी। इसके बावजूद न्यायिक अधिकारी ने कोरोना रिपोर्ट को बिना परीक्षण कराये फर्जी करार दिया और सीएमओ के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी। कोर्ट ने एफआईआर के तहत कायम मुकद्दमें की कार्यवाही पर रोक लगा दी और आरोपी सीएमओ को गिरफ्तार न करने का निर्देश दिया है तथा कहा कि याची का किसी प्रकार से उत्पीड़न न किया जाय।
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कोर्ट ने कहा कि इस एफआईआर के अन्य सह अभियुक्तों का भी उत्पीडन न किया जाय। क्योंकि कोर्ट नहीं चाहती कि उन्हें हाईकोर्ट आना पड़े और अनावश्यक मुकद्दमेबाजी बढ़े। कोर्ट ने राज्य सरकार से याचिका पर जवाब मांगा है।
यह आदेश न्यायमूर्ति डॉ. केजे ठाकर तथा न्यायमूर्ति अजीत सिंह की खंडपीठ ने संत कबीर नगर के सीएमओ डॉ हरगोविंद सिंह की याचिका पर दिया है। कोर्ट ने महानिबंधक से हाईकोर्ट की पेन्डेमिक गाइडलाइंस को फिर से प्रदेश की सभी जिला अदालतों के न्यायिक अधिकारियों को याद दिलाने के लिए भेजने को कहा है।
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मालूम हो कि कोर्ट में तलब एक विधायक ने कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट दिखा पेशी में न आने की वजह बतायी। जिसे कोर्ट ने फर्जी माना और नाराज होकर रिपोर्ट देने वाले सीएमओ व अन्य अधिकारियों के खिलाफ खलीलाबाद कोतवाली मे एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया।
16 दिसम्बर 20 को एफआईआर दर्ज होने पर सीएमओ ने गिरफ्तारी से बचने के लिए कोर्ट की शरण ली। कोर्ट ने कहा सीएमओ इलाज नहीं करता और कोरोना रिपोर्ट राज्य वेबसाइट पर होती है। बिना वजह उसे फर्जी मान लेना सही नहीं है। याचिका की सुनवाई 1 जुलाई को होगी।