हिंदू धर्म में निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) सबसे महत्वपूर्ण और कठिन एकादशिों में से एक मानी जाती है। एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है। निर्जला एकादशी के दिन भक्त बिना जल और अन्न ग्रहण किए व्रत रखते हैं, इसलिए ही इसे निर्जला एकादशी कहा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत करने से साल की सभी 24 एकादशियों का फल मिलता है। ऐसे में आइए ज्योतिष शास्त्र द्वारा बताए गए उन उपायों के बारे में जानते हैं, जिनको करने से आपकी सभी परेशानियां दूर हो सकती है और साथ मनोवांछित फल की प्राप्ति हो सकती है।
निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) 2025
ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी कहते हैं। वैदिक पंचांग के अनुसार, निर्जला एकादशी तिथि 6 जून को रात 2:15 बजे शुरू होगी और इसका समापन 7 जून को सुबह 4:47 बजे होगा। ऐसे में इस साल निर्जला एकादशी व्रत 6 जून 2025, शुक्रवार को रखा जाएगा। निर्जला एकादशी व्रत का पारण 7 जून को दोपहर 1:44 बजे से 4:31 बजे तक किया जाएगा।
भगवान विष्णु को तुलसी चढ़ाना
निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) के दिन भगवान विष्णु की पूजा में तुलसी अर्पित करना अत्यंत शुभ माना गया है। सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर श्रीहरि विष्णु की मूर्ति के सामने तुलसी की मंजरी चढ़ाएं। फिर “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप 108 बार करें। इस बात का ध्यान रखें कि एकादशी के दिन तुलसी के पत्ते न तोड़ें। इस उपाय को करने से आर्थिक समस्याओं से छुटकारा मिलता है।
श्रीफल का दान
निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) के दिन मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु को श्रीफल (नारियल) चढ़ाना चाहिए। इसके बाद इसे किसी जरूरतमंद को दान कर दें। मान्यता है कि यह उपाय जीवन की हर बाधाओं से मुक्ति दिलाता है और मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। ऐसा माना जाता है कि माता लक्ष्मी की कृपा से धन-धान्य की प्राप्ति होती है।
विष्णु सहस्रनाम का पाठ
निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) के दिन विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना बहुत ही फलदायी माना जाता है। इस दिन स्नान के बाद साफ कपड़े पहनें और भगवान विष्णु की मूर्ति के सामने बैठकर इसका पाठ करें। धार्मिक मान्यता है कि इस उपाय को करने से सभी पापों का नाश होता है और मानसिक शांति मिलती है। जो लोग अपने जीवन में बार-बार असफलता का सामना कर रहे हैं, उन्हें यह उपाय जरूर करना चाहिए।
अन्न और जल का दान
निर्जला एकादशी के अन्न, जल, वस्त्र आदि चीजों का दान करने की परंपरा है। साल की सबसे बड़ी एकादशी पर जरूरतमंदों को भोजन कराएं और पानी पिलाना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।