महंगे डीजल और पेट्रोल से राहत की उम्मीद कर रहे वाहनचालकों के अच्छे दिन अब दूर नहीं हैं। नए साल में आम लोगों को ऐसी गाड़ियों की सौगात मिलने वाली है, जो डीजल और पेट्रोल के बजाय सस्ते तेल पर चल सकेंगी। इसके लिए ज्यादा नहीं, बस 6 महीने का इंतजार करने की जरूरत है।
सरकार ने सभी वाहन कंपनियों को एडवाइजरी जारी कर छह महीने का समय दिया है। ये छह महीने वाहन कंपनियों को फ्लेक्स फ्यूल इंजन वाली गाड़ियां लॉन्च करने की तैयारी के लिए दिए गए हैं। फ्लेक्स फ्यूल इंजन से लैस होने के बाद, गाड़ियां एक से अधिक किस्म के ईंधनों पर चलाई जा सकेंगी। वास्तव में यह उपाय गाड़ियों को डीजल-पेट्रोल के साथ-साथ इथेनॉल पर चलने लायक बनाने के लिए है।
डीजल-पेट्रोल कई महीनों से 100 रुपये लीटर के आस-पास बना हुआ है। एक्साइज और वैट में हाल में की गई कटौतियों के बाद भी, डीजल और पेट्रोल के दाम उच्च स्तर पर बने हुए हैं। हाल-फिलहाल इनसे राहत मिलने की कोई गुंजाइश नहीं है। ऐसे में इथेनॉल पर चलने वाले वाहन आ गए, तो यह आम लोगों के लिए बड़ी राहत हो सकते हैं।
इथेनॉल की कीमत अभी मात्र 63।45 रुपये प्रति लीटर है। इस तरह यह पारंपरिक ईंधनों डीजल और पेट्रोल से प्रति लीटर करीब 40 रुपये सस्ता है। यह पेट्रोल के मुकाबले 50 फीसदी तक कम प्रदूषण फैलाता है। हालांकि इथेनॉल यूज करने पर माइलेज पेट्रोल की तुलना में कुछ कम हो जाती है, लेकिन इसके बाद भी हर लीटर पर इफेक्टिव एवरेज बचत 20 रुपये के आस-पास बैठती है।
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केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कुछ दिनों पहले बताया था कि कंपनियों को फ्लेक्स फ्यूल इंजन वाली गाड़ियां लाने के लिए छह महीने का समय दिया गया है। टीवीएस मोटर्स और बजाज ऑटो जैसी कंपनियां पहले से ही फ्लेक्स फ्यूल इंजन वाले टू-व्हीलर्स और थ्री-व्हीलर्स बना रही हैं। टोयोटा, मारुति सुजुकी और हुंडई जैसी कंपनियां भी फ्लेक्स फ्यूल इंजन वाली गाड़ियों पर काम कर रही हैं।
फ्लेक्स फ्यूल इंजन आने के बाद, 100 फीसदी इथेनॉल से भी गाड़ियों को चला पाना संभव हो जाएगा। इस बदलाव से पर्यावरण के साथ-साथ लोगों के पॉकेट की सेहत में भी सुधार होगी। आने वाले छह महीनों में कई ऐसी गाड़ियां लॉन्च हो सकती हैं, जो पेट्रोल के साथ इथेनॉल से भी चल पाएंगी। इस तरह के इंजन का सबसे ज्यादा इस्तेमाल अभी ब्राजील में हो रहा है।