ज्येष्ठ अमावस्या (Jyeshtha Amavasya) का पर्व हिंदू नववर्ष के तीसरे महीने में मनाया जाता है। इस साल ज्येष्ठ अमावस्या 6 जून को है। गंगा स्नान, पितृ तर्पण, पितृ पूजा, पिंडदान और ब्राह्मणों को भोजन कराने के लिए अमावस्या का दिन सर्वोत्तम माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा भी की जाती है। अमावस्या (Jyeshtha Amavasya) के दिन इन कार्यों को करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। अमावस्या के दिन पितृ तर्पण करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। आइए जानते हैं कि अमावस्या पर पितृ तर्पण कैसे करना चाहिए।
ज्येष्ठ अमावस्या (Jyeshtha Amavasya) तिथि
पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 5 जून को शाम 7 बजकर 54 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, यह तिथि 06 जून को शाम 06:07 बजे समाप्त होगी। ऐसे में ज्येष्ठ अमावस्या 6 जून को पड़ रही है।
ज्येष्ठ अमावस्या (Jyeshtha Amavasya) तर्पण विधि
– ज्येष्ठ अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठकर देवी-देवता के ध्यान से दिन की शुरुआत करें।
– इसके बाद स्नान कर साफ कपड़े पहन लें।
– अब एक लोटे में जल, फूल और तिल डालें और पितरों को अर्पित करें।
– इसके बाद गाय के गोबर के उपले, खीर, गुड़ और घी चढ़ाएं।
– इस तिथि पर श्रद्धानुसार गरीबों को वस्त्र, भोजन और धन का दान करना चाहिए।
पितृ दोष दोष के मंत्र
ॐ आद्य-भूताय विद्महे सर्व-सेव्याय धीमहि।
शिव-शक्ति-स्वरूपेण पितृ-देव प्रचोदयात्’।
पितृ गायत्री मंत्र
ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्।
ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च। नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:।
ॐ आद्य-भूताय विद्महे सर्व-सेव्याय धीमहि। शिव-शक्ति-स्वरूपेण पितृ-देव प्रचोदयात्।