प्रयागराज। यूपी की पीसीएस अधिकारी ज्योति मौर्य (Jyoti Maurya) और उनके पति आलोक मौर्य (Alok Maurya) के विवाद में अब नया मोड़ आ गया है। मीडिया के सामने रो-रो कर अपना दुखड़ा बताने वाले आलोक मौर्य ने अचानक यूटर्न ले लिया और पत्नी ज्योति मौर्य (Jyoti Maurya) पर लगाए सभी आरोप वापस ले लिए।
आलोक मौर्य के अचानक यूटर्न लेने के बाद अब मीडिया और उनके साथ सहानुभूति रखने वाले आमलोग सवाल पूछे रहे हैं कि आखिर उन्होंने आरोप वापस क्यों लिए ? हालांकि आलोक मौर्य ने इसका कोई सीधा जवाब नहीं दिया।
बता दें कि सोमवार को आलोक मौर्य को प्रयागराज के अपर आयुक्त अमृत लाल बिंद के सामने पेश होकर पत्नी ज्योति मौर्य के खिलाफ साक्ष्य पेश करने थे लेकिन उन्होंने ठीक इसके विपरीत काम किया.
आलोक मौर्य आयुक्त अमृत लाल बिंद के सामने पेश हुए और जांच कमेटी के दफ्तर में करीब आधे घंटे तक मौजूद रहने के बाद लिखित प्रार्थना पत्र देकर शिकायत पत्र वापस ले ली.
प्रार्थना सौंपकर बाहर निकले आलोक ने सिर्फ इतना कहा कि शिकायत वापस ले ली है। इसके अलावा वह हर सवाल पर मौन रहे। जांच समिति के अध्यक्ष अमृत लाल बिंद का कहना है कि आलोक ने शिकायत वापस लेने का प्रार्थना पत्र दिया है। रिपोर्ट मंडलायुक्त को सौंपी जाएगी।
इसके अलावा उन्होंने भी कुछ बोलने से इन्कार किया। अब ज्योति मौर्या (Jyoti Maurya) को पूछताछ के लिए बुलाया जाएगा या नहीं इस पर भी उन्होंने स्पष्ट जवाब नहीं दिया। हालांकि अफसरों का कहना है कि ज्योति से पूछताछ के लिए कोई आधार नहीं बचा है।
भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच कराने पर सरकार लेगी फैसला
पति आलोक के शिकायत वापस लेने के बाद ज्योति मौर्या (Jyoti Maurya) को फौरी तौर पर भले ही राहत मिल गई हो लेकिन भ्रष्टाचार मामले की जांच कराने को लेकर अंतिम निर्णय शासन को लेना है।
अफसरों के अनुसार जांच कमेटी गठित करने का मुख्य आधार आलोक की शिकायत है। ऐसे में शिकायत वापस लिए जाने के बाद समिति के अधिकार सीमित हो जाते हैं। इसके अलावा किसी राजपत्रित अधिकारी के खिलाफ जांच के लिए हलफनामा के साथ शिकायत आनी चाहिए।
PCS ज्योति मौर्या के खिलाफ जांच शुरू, पति ने लगाएं थे ये गंभीर आरोप
आलोक से इस बाबत हलफनामा लिया जाता उससे पहले ही उन्होंने शिकायत वापस ले ली। ऐसे में जांच समिति इसी आधार पर रिपोर्ट सौंपेगी लेकिन ज्योति पर भ्रष्टाचार में शामिल होने के अलावा कई गंभीर आरोप हैं। यह पूरी बात भी जांच समिति की रिपोर्ट में होगी। ऐसे में भ्रष्टाचार की जांच आगे भी जारी रह सकती है। अफसरों के अनुसार इस पर अंतिम निर्णय शासन को लेना है।