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काल भैरव जयंती कब है, जानें पूजा की सरल विधि

Kaal Bhairav jayanati

Kaal Bhairav

हर साल मार्गशीर्ष माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालभैरव जंयती (Kaal Bhairava Jayanti) मनाई जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार,इस दिन काल भैरव का अवतरण हुआ था। दृक पंचांग के अनुसार, इस साल 22 नवंबर को काल भैरव जयंती मनाई जाएगी। कालाष्टमी को काल भैरव जयंती भी कहा जाता है। कहा जाता है कि कालाष्टमी के दिन काल भैरव की पूजा-अर्चना करने से जीवन में नकारात्मक शक्तियों से छुटकारा मिलता है। आइए जानते हैं काल भैरव जयंती (Kaal Bhairava Jayanti) की सही डेट, शुभ मुहूर्त,योग और सरल पूजाविधि…

कालभैरव जयंती (Kaal Bhairava Jayanti) 2024 :

दृक पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का आरंभ 22 नवंबर 2024 को शाम 06:07 पीएम पर होगा और 23 नवंबर को रात 07:56 मिनट पर समाप्त होगा। वहीं, 22 नवंबर को कालभैरव जयंती (Kaal Bhairava Jayanti) मनाया जाएगा। कालभैरव जयंती के दिन ब्रह्म योग, इंद्र योग और रवि योग का शुभ संयोग बन रहा है।

शुभ मुहूर्त :

ब्रह्म मुहूर्त : 04:54 ए एम से 05:48 ए एम

अभिजित मुहूर्त : 11:36 ए एम से 12:19 पी एम

विजय मुहूर्त : 01:43 पी एम से 02:25 पी एम

अमृत काल : 03:27 पी एम से 05:10 पी एम

पूजाविधि :

काल भैरव जंयती (Kaal Bhairava Jayanti) के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठें।

एक छोटी चौकी पर लाल या पीला वस्त्र बिछाएं।

अब शिव-गौरी और काल भैरव की प्रतिमा स्थापित करें।

सभी देवी-देवताओं को फूलों की माला अर्पित करें।

चौमुखी दीपक प्रज्ज्वलित करें।

अबीर, गुलाल, अष्टगंध से सभी देवी-देवताओं को तिलक लगाएं।

इसके बाद विधि-विधान से पूजा करें।

शिव-गौरी और काल भैरव जी का पूजन करें और आरती उतारें।

ऊँ कालभैरवाय नमः मंत्र का जाप करें।

काले कुत्तो को मीठी रोटी खिलाएं।

व्रत-उपवास के साथ भजन-कीर्तन करें।

शिव चालीसा और भैरव चालीसा पढ़ें।

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