Site icon 24 GhanteOnline | News in Hindi | Latest हिंदी न्यूज़

इस दिन मनाई जाएगी कालाष्टमी, जानें शुभ मुहूर्त और पौराणिक महत्व

 Kalashtami

 Kalashtami

हिंदू धर्म में काला अष्टमी (Kalashtami) तिथि का विशेष महत्व है। इस तिथि पर भगवान शिव के भैरव रूप की आराधना की जाती है। हिंदू पंचांग के मुताबिक, काला अष्टमी हर माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दौरान मनाई जाती है। इस दिन लोग व्रत रखते हैं और भगवान काल भैरव की पूजा-अर्चना करते हैं। खास बात ये है कि कालाष्टमी (Kalashtami) या कालभैरव जयंती उत्तर भारत में जहां मार्गशीर्ष माह में महीने में मनाई जाती है, वहीं दक्षिण भारतीय इसे कार्तिक माह में मनाया जाता है। शिव भक्तों का मानना ​​है कि इसी दिन भगवान शिव भैरव रूप में प्रकट हुए थे। पंडित चंद्रशेखर मलतारे के मुताबिक, इस साल कालाष्टमी व्रत 8 दिसंबर को रखा जाएगा।

ऐसे हुए भैरव नाम की उत्पत्ति

भैरव शब्द ‘भृ’ से बना है, जिसका अर्थ है वह जो ब्रह्मांड को धारण और पोषण करके धारण करता है, जबकि ‘राव’ शब्द का अर्थ है आत्म-जागरूकता। काल भैरव शब्द के बारे में सबसे पहले उल्लेख शिव महापुराण में मिलता है। इसको लेकर एक पौराणिक कथा का भी जिक्र मिलता है। जिसमें बतया गया है कि एक बार भगवान ब्रह्मा अहंकारी हो गए और भगवान विष्णु के साथ बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि वह सर्वोच्च निर्माता हैं और वे सब कुछ कर सकते हैं, जो भगवान शिव कर सकते हैं और इसलिए उनकी पूजा की जानी चाहिए, न कि भगवान शिव की पूजा की जानी चाहिए।

भगवान ब्रह्मा के अहंकार को कुचलने के लिए भगवान शिव ने अपने बालों का एक गुच्छा लिया और उसे फर्श पर फेंक दिया और उससे भगवान काल भैरव प्रकट हुए, जिन्होंने भगवान ब्रह्मा के पांचवें सिर को काट दिया। ऐसे में भगवान ब्रह्मा को अपनी गलती का अहसास हो गया और उन्होंने भगवान शिव से माफी मांग ली। लेकिन साथ ही भगवान काल भैरव को ब्रह्म-हत्या के पाप का श्राप मिला और वे काशी पहुंचने तक भगवान ब्रह्मा के कटे हुए पांचवें सिर के साथ घूमते रहे। वहां उन्हें पाप से मुक्ति मिल गई और इस तरह वे वहीं रहने लगे। यहीं कारण है कि भगवान कालभैरव को ‘काशी का कोतवाल’ भी कहा जाता है।

8 दिसंबर को ऐसे करें कालाष्टमी (Kalashtami) पूजा

– सुबह उठकर स्नान के बाद साफ वस्त्र धारण करें।
– काले रंग का वस्त्र धारण करें व्रत करने का संकल्प लें।
– काल भैरव की मूर्ति या तस्वीर के सामने धूप, दीपक, अगरबत्ती जलाएं।
– दही, बेलपत्र, पंचामृत, धतूरा, पुष्प आदि अर्पित करें।
– काल भैरव के मंत्रों का जाप करते रहें।
– पूजा के बाद आरती करें और आशीर्वाद लें।

Exit mobile version