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शनिश्चरी अमावस्या के अवसर पर होली के रंग में रंगी कान्हा नगरी

Holi on the occasion of Shani Shastri Amavasya

होली के रंग में रंगी कान्हा नगरी

शनिश्चरी अमावस्या के अवसर पर वृन्दावन कुंभ में तीसरे शाही स्नान के अवसर पर निकाली गई शाही पेशवाई में शनिवार को वृन्दावन होली के रंग में ऐसा रंगा कि तीनो अनी अखाड़ों के महन्त वृन्दावन की श्यामाश्याम की होली में भाग लेने से अपने आप को रोक न सके।

शाही स्नान में आज उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा समेत लाखों लोगों ने पतित पावनी यमुना में स्नान किया। पुलिस के अनुसार कहीं किसी प्रकार की अप्रिय घटना नही घटी। वास्तव में आज यमुना की लहरों में लाखों ने आस्था की डुबकी लगाकर स्वयं का जीवन धन्य किया। पुलिस के अनुसार आज कहीं से किसी प्रकार की अप्रिय घटना का समाचार नही है।

एसएसपी गौरव ग्रोवर ने बताया कि सीसीटीवी और ड्रोन कैमरे से की गई निगरानी एवं तीनो अनि अखाड़ों के साथ साथ संतों महन्तों के सहयोग से जहां लाखो लोग शाही पेशवाई और कुंभस्नान में शामिल हुए वहीं कहीं से भी छोटी मोटी घटना का भी समाचार नही मिला। उन्होंने बताया कि शाही स्नान के समय न केवल गोताखोर लगाए गए थे बल्कि स्टीमर भी किसी घटना से निपटने को तैयार खड़ा था।

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वैसे तो वृन्दावन में होली रंगभरनी एकादशी से पूर्ण यौवन पर आती है तथा इसमें अभी 11 दिन शेष हैं मगर वृन्दावन वासी तथा देश विदेश से आये श्रद्धालु संतो, महंतो एवं अनि अखाड़ों के महन्तों के साथ होली खेलने के आनन्द को गवाना नही चाहते थे यही कारण है कि शाही पेशवाई आज होली में बदल गई। गुलाब की पंखुड़ियों के साथ साथ आज शाही पेशवाई पर जमकर छतों से भी गुलाल बरसा जिसके कारण वातावरण सतरंगी बन गया।

बांकेबिहारी मन्दिर के पास तो इतना अधिक गुलाल वर्षा कि पुलिसकर्मियों की वर्दी गुलालमय हो गईं। निर्वाणी अनि अखाड़े के श्री महन्त धर्मदास एवं पंच दिगम्बर अनि अखाड़े के श्रीमहन्त कृष्णदास की उपस्थिति में निर्मोही अनि अखाड़़े के श्री महन्त राजेन्द्र दास ने कहा जिस प्रकार आज शाही पेशवाई का रंग गुलाल और फूल मालाओं आदि से स्वागत किया गया उसने आज की शाही पेशवाई को दिव्य और रंगमय बना दिया। प्रेमरस की इस प्रकार की वर्षा का उनका पहला अनुभव था! वास्तव में वृन्दावन श्यामाश्याम की प्रेममयी लीलाभूमि है। बांके बिहारी मन्दिर के पास संतो महन्तों के पगड़ी बांधकर, माला पहनाकर, दुपट्टा डालकर , पुष्प वर्षा कर जहां स्वागत हुआ वहीं पटेबाजों ने अपने कर्तब व खेल दिखाकर लोगों का मनोरंजन किया।

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इस शोभायात्रा का इतना अधिक स्वागत हुआ कि वृन्दावन कुभ से नगर भ्रमण कर वापस कुभ आने में शाही पेशवाई ने वैदिक मंत्रों के मध्य तीेनो अनि अखाड़ों के श्रीमहन्तों की पूजा अर्चना कराई। नागा साधुओं ने वीर ध्वज निशान को संकेतिक रूप से यमुना में स्नान कराया।इसके बाद ही तीनो अनी अखाड़ों के श्री महन्त शाही स्नान के लिए यमुना में कूद पड़े।

आज की शाही पेशवाई में मुम्बई से लेकर दिल्ली तक, कलकत्ता से लेकर नागपुर एव अहमदाबाद समेत देश के विभिन्न भागों तक के श्रद्धालुओं ने तो भाग लिया ही साथ ही रूस, मारीशस, केन्या, नेपाल आदि तक से श्रद्धालुओं ने इसमें भाग लेकर स्वयं को धन्य किया । यमुना में स्नान के बाद मारीशस से आए युवा ऋषि जातियानन्दा के लिए उनके जीवन का जहां यह पहला अनुभव था वहीं नेपाल से आई विद्योत्मा ने देवरहा घाट पर यमुनास्नान के बाद इसे गोलोक और वैष्णवों का कुंभ बताया मुम्बई से आई हेमा आज के उत्सव को देखकर अति प्रफुल्लित थी तो फरीदाबाद की मधु ने न केवल स्वयं यमुना में स्नान किया बल्कि अपने साथ लाई ठाकुर को भी यमुना में स्नान कराया। भटिंडा के गोपाला इतने भाव विभोर थे कि जैसे उन्हें कोई अमूल्य निधि मिल गई हो। ऐसे अनुभव अन्य लोगों के थे। तीसरी शाही पेशवाई और शाही स्नान ने वृन्दावन के कण कण में भक्ति रस को घोल दिया।वास्तव में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा की गई व्यवस्थाओं के कारण वृन्दावन कुभ अविष्मरणीय हो गया।

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