कानपुर। योगी सरकार ने कानपुर में लैब टेक्नीशियन संजीत यादव हत्याकांड में 11 पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की है। इसमें आईपीएस अपर्णा गुप्ता,डीएसपी मनोज कुमार गुप्ता, इंस्पेक्टर रणजीत राय, दो दारोगा राजेश और योगेंद्र प्रताप सिंह सहित 7 सिपाही अवधेश, दिशु भारती, विनोद कुमार, सौरभ पांडे, मनीष और शिव प्रसाद को लापरवाही बरतने के आरोप में सस्पेंड कर दिया है।
Kanpur: Seven more Police personnel have been suspended in connection with Sanjeet Yadav kidnapping case. https://t.co/QWlE1gHNIm
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) July 24, 2020
यह है पूरा मामला
22 जून की रात लैब टेक्नीशियन संजीत नौबस्ता स्थित हॉस्पिटल से बर्रा पटेल चौक के पास स्थित पैथालॉजी में सैंपल देने के लिए निकला था। सैंपल देकर उसे घर जाना था लेकिन रास्ते से लापता हो गया। गुमशुदगी दर्ज होने के बाद पुलिस ने जब संजीत की कॉल डिटेल निकलवाई तो पता चला कि संजीत की बात राहुल नामक एक युवक, एक युवती सहित कई अन्य लोगों से हुई थी।
पिता चमनलाल ने राहुल के खिलाफ बेटे के अपहरण का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराई थी। 13 जुलाई को पिता ने पुलिस के कहने पर फिरौती के 30 लाख रुपए से भरा बैग भी अपहर्ताओं के कहने पर गुजैनी पुल से नीचे फेंक दिया था। इसके बावजूद अपहृत बेटा नहीं मिला। अब उसके हत्या होने की पुष्टि पुलिस ने कर दी है।
अपहरणकांड में ये रहीं पुलिस की खामियां
अपहरणकर्ताओं ने परिजनों को करीब 26 बार कॉल किया इस दौरान उनसे करीब आधा-आधा घंटे तक बातचीत हुई फिर भी सर्विलांस टीम उन्हें ट्रेस नहीं कर पाई।
अपहरण के बाद से पुलिस ने हॉस्पिटल के कैमरे चेक करने के साथ ही कर्मचारियों से भी पूछताछ की। लेकिन एक महीने तक हॉस्पिटल के आसपास या स्मार्ट सिटी के कैमरों के फुटेज नहीं खंगाले।
परिजनों का कहना है कि वह बर्रा इंस्पेक्टर के कहने पर ही अपहरणकर्ताओं को फिरौती देने गए थे। आरोप है कि पुलिस ने बिना तैयारी के ही बैग तो फिंकवा दिया लेकिन गुजैनी पुल या आसपास टीम को नहीं लगाया। इतना ही नहीं घटनास्थल की जांच पड़ताल करने के बजाय हाईवे के ऊपर से ही लौट गए।
संजीत की तलाश में यहां-यहां गई पुलिस टीम
अपहृत संजीत की तलाश में पुलिस टीमें सचेंडी, मेहरबान सिंह का पुरवा, उन्नाव, कानपुर देहात, फतेहपुर, हमीरपुर, सहित शहर के आसपास के इलाकों में भी गई। अपहरणकर्ताओं ने अलग-अलग दस स्थानों से फिरौती के लिए पिता चमनलाल को फोन किया। टॉवर डॉटा फिल्ट्रेशन की मदद से पुलिस ने इन सभी से आने वाले कॉल्स का ब्यौरा जुटा उससे भी पुलिस को कोई खास सफलता नहीं मिली।
एसटीएफ, स्वॉट, सर्विलांस टीम के साथ मुखबिर तंत्र भी हुआ फेल
संजीत अपहरणकांड में पुलिस की हर इकाई फेल नजर आई। चाहे वह एसटीएफ हो स्वॉट,सर्विलांस या फिर मुखबिर तंत्र। अपहरणकर्ताओं ने 29 जून से 13 जुलाई तक परिजनों को कुल 26 बार फोन किया इस दौरान न तो उनकी कॉल ट्रेस की जा सकी और न ही उनकी लोकेशन मिली। हालांकि पुलिस ने अपहरणकर्ताओं के मोबाइल रिचार्ज करने वाले दुकानदार को पकड़कर जरूर अपनी पीठ थपथपा ली लेकिन इससे ज्यादा पुलिस कुछ भी नहीं कर सकी।