जब सूर्यदेव एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं तो उसे संक्रांति कहा जाता है। हिंदू पंचाग के अनुसार हर वर्ष 12 संक्रांति मनाई जाती हैं। सूर्य देव जब कन्या राशि में में प्रवेश करते हैं तो उसे कन्या संक्रांति (Kanya Sankranti) कहते हैं। कन्या संक्रांति का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन लोग स्नान, दान कर पितरों की आत्मा शांति के लिए विशेष रूप से पूजा-अर्चना करते हैं।
भगवान विश्वकर्मा का जन्मदिन भी कन्या संक्रांति (Kanya Sankranti) के दिन ही मनाया जाता है। हर संक्रांति का अपना अलग महत्व होता है। कन्या संक्रांति भी अपने आप में विशेष है। कन्या संक्रांति पश्चिम बंगाल और ओडिशा राज्य में विशेष रूप से मनाई जाती है। मान्यता है कि अगर कन्या संक्रांति के दिन पूरे विधि विधान के साथ सूर्यदेव की पूजा अर्चना की जाए तो जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।
भगवान सूर्य की होती है विशेष पूजा-
कन्या संक्रांति (Kanya Sankranti) पर सूर्यदेव की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। मान्यता है कि भगवान सूर्यदेव की कृपा दृष्टि जिस पर बनी रहती है उन्हें हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है और समाज में यश प्राप्त होता है। आरोग्य का आशीर्वाद मिलता है।
करें ये काम-
कन्या संक्रांति (Kanya Sankranti) के दिन दान- पुण्य अवश्य करना चाहिए। बुजुर्गों का मान-सम्मान करें और उनकी सेवा करें। संक्रांति के दिन जरूरतमंद लोगों की सहायता करना शुभ होता है। माना जाता है कि कन्या संक्रांति के दिन विधि विधान के साथ पूजा अर्चना करने से जीवन से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।
भगवान विश्वकर्मा की पूजा का विशेष महत्व-
कन्या संक्रांति (Kanya Sankranti) के दिन भगवान विश्वकर्मा का जन्मदिन मनाया जाता है। इस दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा से कार्यक्षेत्र और कार्यक्षमता में वृद्धि होती है। धन, वैभव की प्राप्ति होती है। कन्या संक्रांति (Kanya Sankranti) के दिन श्रद्धा के साथ पूर्वजों के लिए दान, पूजा और अनुष्ठान करें।