नई दिल्ली। कारगिल विजय दिवस को कल 26 जुलाई को 21 साल पूरे हो जाएंगे। 26 जुलाई 1999 को खत्म हुआ यह युद्ध दो महीने से ज्यादा चला। इसमें भारत के 527 जवान शहीद हो गए। 24 जून 1999 को टाइगर हिल पर भारतीय वायुसेना ने पहली बार लेजर गाइडेड बमों से हमला किया था। कारगिल युद्ध जम्मू और कश्मीर के कारगिल जिले में मई और जुलाई 1999 के बीच हुआ। युद्ध के वक्त तापमान माइनस 10 डिग्री सेल्सियस था।
कारगिल युद्ध के शहीदों की बात करें तो कैप्टन विक्रम बत्रा कारिगल के हीरो माने जाते हैं। कैप्टन विक्रम बत्रा ने कारगिल युद्ध में पांच सबसे इंपॉर्टेंट प्वाइंट जीतने में अहम रोल निभाया था। पाकिस्तानी घुसपैठिये टाइगर हिल पर कब्जा करके बैठे थे और नीचे भारतीय सेना पर लगातार फायरिंग कर रहे थे ऐसे में योजना बनाई गई टाइगर हिल पर चढऩे की। पाकिस्तानी घुसपैठियों को खदेडऩे के लिए पांच इंपॉर्टेंट पॉइंट को जीतना बेहत जरूरी था। कैप्टन विक्रम बत्रा ने हर पॉइंट जीतने में मदद दी।
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कारगिल युद्ध में कैप्टन विक्रम बत्रा अपने एक साथी को बचाते-बचाते शहीद हो गये। कहते है कि दुश्मनों की गोलीबारी के दौरान उन्होंने अपने साथी से अंतिम शब्दों में यह कहा था कि तुम हट जाओ। तुम्हारे बीवी-बच्चे हैं। कारगिल युद्ध में कैप्टन विक्रम बत्रा से जुड़े एक वाकये को उनके साथी ने शेयर करते हुए कहा कि जब भी बत्रा गोलियों से दुश्मनों को भून देते थे तो वह कहते ये दिल मांगे मोर। 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान वीरता के लिए भारत का सर्वोच्च और सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार मरणोपरांत परमवीर चक्र से उन्हें सम्मानित किया गया था।
भारतीय वायुसेना ने 26 मई को सेना के समर्थन में ऑपरेशन शुरू किया। भारतीय मिग -21, मिग -27 और मिराज -2000 लड़ाकू विमानों ने कारगिल युद्ध में रॉकेट और मिसाइलों को अपनी ओर से दुश्मन के ठिकानों पर फायर किया।
पालमपुर निवासी बलिदानी कैप्टन सौरभ कालिया और उनके पाच साथियों (नरेश सिंह, भीखा राम, बनवारी लाल, मूला राम और अर्जुन राम) की शहादत ने देश को पाकिस्तान के गलत इरादों के प्रति सचेत किया था। लद्दाख के बटालिक सेक्टर की बजरंग पोस्ट पर 22 वर्षीय सौरभ कालिया को बतौर कैप्टन तैनात हुए मात्र महीना ही हुआ था। उन्हें पहला वेतन भी नहीं मिला था। भारतीय सेना की 4 जाट रेजिमेंट के महानायक कैप्टन सौरभ कालिया ने ही सबसे पहले कारगिल में पाक के नापाक इरादों की जानकारी भारतीय सेना को दी थी।
5 मई, 1999 की रात पांच साथियों के साथ बजरंग पोस्ट में पेट्रोलिंग करते हुए सौरभ कालिया को पाकिस्तानी घुसपैठियों की सूचना मिली थी। कै कालिया ने साथियों के साथ कूच किया तो घात लगाकर बैठे घुसपैठियों ने पांचों को घायल अवस्था में पकड़ लिया था। फिर बंधक बनाकर 22 दिन तक यातनाएं दी थीं और तीन हफ्ते बाद उनकी पार्थिव देह क्षतविक्षत हालत में भारतीय सेना को सौंपी थी।
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बुलंदशहर के कारगिल युद्ध के दौरान शहीद दाताराम, रामप्रताप सिंह और कंछी सिंह ने दुश्मनों के दांत खट्टे कर दिए थे। दाताराम ने 9 पाकिस्तानी दुश्मनों को मारकर वीरगति पाई तो रामप्रताप सिंह और कंछी सिंह भी दुश्मनों से लोहा लेते हुए शहीद हो गए। आज भी क्षेत्र में उनकी वीरता के तराने गाए जाते हैं। इन वीरों की शहादत को नमन करते हैं।
गांव धराऊं निवासी दाताराम ने अपना जीवन देश पर न्यौछावर कर दिया। शादी के 21 दिन बाद ही कारगिल युद्ध की घोषणा होने पर उन्हें बुला लिया गया। ग्रामीणों की मानें तो युद्ध में दाताराम ने वीरता का परिचय देते हुए पाक सेना से लोहा लिया।