सनातन धर्म में करवा चौथ (Karwa Chauth) का व्रत बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इसे आमतौर पर सुहागिन महिलाएं मनाती हैं। आचार्य अशोक पांडे ने बताया कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महिलाएं इस दिन कठिन व्रत का पालन करती हैं और विधिवत पूजा-अर्चना करती हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस व्रत को रखने से पति को लंबी उम्र और सुरक्षा प्राप्त होती है। साथ ही घर में समृद्धि आती है। इस साल यह पर्व 20 अक्टूबर को रखा जाएगा।
करवा चौथ (Karwa Chauth) का व्रत चंद्र दर्शन कर चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही पूर्ण माना जाता है। करवा चौथ के दिन चंद्रोदय का अधिक महत्व होता है। इस दिन व्रती स्त्रियों को चंद्रमा का बेसब्री से इंतजार रहता है। इस दिन चंद्र दर्शन करना जरूरी माना जाता है।
चांद को अर्घ्य देते समय वह चुन्नी जरूर साथ ले जाएं, जिसे आपने कथा सुनते समय पहना था। चांद को छलनी पर दीया रखकर देखें और फिर तुरंत उसी छलनी से पति को देखें। कहते हैं कि छलनी में दीया रखने का रिवाज इसलिए बना क्योंकि पहले जब स्ट्रीट लाइट्स नहीं हुआ करती थीं तो महिलाएं चांद देखने के बाद छलनी में दीया के प्रकाश से पति का चेहरा देखती थीं।
पूजा सामग्री की लिस्ट-
चंदन, शहद, अगरबत्ती, पुष्प, कच्चा दूध, शक्कर, शुद्ध घी, दही, मिठाई, गंगाजल, अक्षत (चावल), सिंदूर, मेहंदी, महावर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी, बिछुआ, मिट्टी का टोंटीदार करवा व ढक्कन, दीपक, रुई, कपूर, गेहूं, शक्कर का बूरा, हल्दी, जल का लोटा, गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी, लकड़ी का आसन, चलनी, आठ पूरियों की अठावरी, हलुआ और दक्षिणा (दान) के लिए पैसे आदि।