करवाचौथ (Karwa Chauth) का व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है. करवा चौथ का व्रत हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है. करवा चौथ के व्रत की शुरुआत सुबह सरगी खाकर होती है और उसके बाद पूरे दिन निर्जल व्रत रखती है. इसके बाद शाम को सोलह श्रृंगार कर महिलाएं पूजा करती हैं और व्रत कथा सुनती है. आखिर में चंद्रमा को अर्घ्य देने और छलनी से पति का चेहरा देखने के बाद व्रत खोलती है.
मान्यता है कि करवा चौथ (Karwa Chauth) के दिन निर्जला व्रत रखने से पत्तियों को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है और घर में सुख समृद्धि आती है, अगर कोई महिला इस साल पहली बार करवा चौथ (Karwa Chauth) का व्रत रखने जा रहीं हैं तो जान लें ये जरूरी नियम.
करवा चौथ (Karwa Chauth) व्रत तिथि और शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, इस साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 20 अक्टूबर दिन रविवार को सुबह 6 बजकर 46 मिनट से शुरू होगी और यह तिथि 21 अक्टूबर को सुबह 4 बजकर 16 मिनट तक रहेगी. ऐसे में उदया तिथि के मुताबिक, करवा चौथ (Karwa Chauth) का व्रत 20 अक्टूबर 2024, दिन रविवार को रखा जाएगा. करवा चौथ के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त 20 अक्टूबर की शाम 5 बजकर 46 मिनट से लेकर शाम 7 बजकर 02 मिनट तक रहेगा. इस समय पूजा करना बहुत ही शुभ रहेगा.
करवा चौथ (Karwa Chauth) व्रत में सरगी से जुड़े नियम
करवा चौथ (Karwa Chauth) व्रत की शुरुआत होती है. इसलिए जो महिलाएं पहली बार करवा चौथ का व्रत रखने जा रही हैं. उनके लिए यह जानना जरूरी है कि उपवास सूर्योदय से पहले ही शुरू हो जाता है. इसलिए भोर में उठकर अपने बड़ों का आशीर्वाद जरूर ले और बाद में सरगी खाकर व्रत का शुरू करें.
16 श्रृंगार है जरूरी
जो भी महिलाएं पहली बार करवा चौथ (Karwa Chauth) का व्रत रखने जा रही है और सभी करवा चौथ का व्रत करने वाली महिलाओं को इस दिन पूरे 16 श्रृंगार करने के बाद ही पूजा करनी चाहिए जिससे मेहंदी लगाना सबसे जरूरी है.
पहनें यह वस्त्र
सुहागिन महिलाओं के लिए लाल रंग बहुत ही शुभ माना जाता है, इसलिए करवा चौथ (Karwa Chauth) के दिन महिलाओं को लाल रंग के वस्त्र पहनने चाहिए. इसके अलावा जो भी महिला पहली बार करवा चौथ का व्रत कर रहीं हैं. वह इस दिन अपनी शादी का जोड़ा भी पहन सकती है. इस दिन भूलकर भी काले और सफेद रंग कपड़े नहीं पहनने चाहिए.
अन्य नियम
इस दिन व्रत करने के साथ महिलाओं को व्रत कथा पढ़नी और सुननी चाहिए. जैसे करवा चौथ की सरगी सास बहू को देती हैं वहीं बहू शाम को पूजा के बाद सास को बायना देती हैं. करवाचौथ की रात को चंद्रोदय होने के बाद पत्नियां चंद्रमा को अर्घ्य देती है. इसके बाद छलनी से चांद को देखने के बाद पति को देखती हैं. छलनी के ऊपर एक दिया भी रखा जाता है. इसके बाद पति की आरती उतारी जाती है. फिर पति पत्नी को लोटे से जल पिलाकर व्रत पूरा करवाते हैं. करवा चौथ के दिन व्रत खोलने के लिए बनाए गए भोजन में भूलकर भी लहसुन प्याज का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. करवा चौथ के दिन बड़े बुजुर्गों और पति का आशीर्वाद लेना शुभ होता है. इसलिए चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद आशीर्वाद जरूर लें.