नई दिल्ली| इसरो के पूर्व चेयरमैन डॉ. के. कस्तूरीरंगन ने बुधवार को कहा कि नई शिक्षा नीति से आने वाली पीढ़ी को न सिर्फ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलेगी बल्कि रोजगार भी हासिल होगा। क्योंकि इसमें स्कूल की आरंभिक कक्षाओं से ही व्यावसायिक शिक्षा और कौशल विकास पर जोर दिया गया है। डॉ. कस्तूरीरंगन के ही नेतृत्व में विशेषज्ञों की टीम ने नई शिक्षा नीति को अंतिम रूप देने के लिए बनाई गई समिति का नेतृत्व कर रहे थे। नई शिक्षा नीति को मंजूरी मिलने के बाद उन्होंने कहा कि शिक्षा का अंतिम उद्देश्य आखिरकार रोजगार पर हासिल करना होता है। लेकिन सिर्फ सार्टिफिकेट या डिग्रियों से रोजगार प्राप्त नहीं हो जाता है। इसलिए कक्षा छह से ही छात्रों को रोजगारपरक शिक्षा उपलब्ध कराने की कोशिश की गई है।
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वे कहते हैं कि इस नीति की दूसरी खूबी यह है कि इसमें प्राइमरी से लेकर उच्च शिक्षा की गुणवत्ता सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रीत किया गया है। इसके लिए मौजूदा स्कूली शिक्षा के स्वरूप को बदला गया है। शिक्षकों, अभिभावकों की जिम्मेदारी भी सुनिश्चित की गई है। उच्च शिक्षा में संस्थानों की ग्रेडिंग पर फोकस किया गया है। उच्च शिक्षा के नियमन के लिए बनने वाले शिक्षा आयोग के तहत चार भाग होंगे जिनमें एक नियम बनाएगा, दूसरे संस्थानों की ग्रेडिंग सुनिश्चित करेगा। तीसरा हर क्षेत्र के लिए नियामक फ्रेमवर्क तैयार करेगा तथा चौथा ग्रांट्स देने का कार्य करेगा। मौजूदा नियामकों की तुलना में यह सिस्टम बेहतर नतीजे देगा।
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वे कहते हैं कि एक बड़ा सुधार बोर्ड परीक्षाओं में बदलाव के जरिये लाया जाएगा। आज बोर्ड परीक्षाओं में कोचिंग का बोलबाला है। ज्यादा नंबर लाने की होड़ में छात्रों का ध्यान रटने पर हो गया है। बोर्ड परीक्षाओं से सभी छात्रों की योग्यताओं एवं क्षमताओं का सही आकलन नहीं हो पा रहा है। इसलिए इनके स्वरूप को बदलने की जरूरत महसूस की गई है। साल में बोर्ड परीक्षा एक से अधिक बार भी हो सकती है। इन्हें आनलाइन आयोजित करने जैसे विकल्पों पर भी कार्य किए जाने की जरूरत है। ताकि बोर्ड परीक्षाएं तनाव का कारण नहीं बनें और इनके नतीजे छात्रों के लिए आनंददायक हों।