जल संकट से त्रस्त बुंदेलखण्ड की सूखी धरती में पैदा होने वाला कठिया गेहूं कुपोषण को जड़ से खत्म करने की ताकत रखता है। सिंचाई के अभाव वाले इलाकों में इस गेहूं की पैदावार होती है। स्थानीय लोग कठिया गेहूं के फायदों से भलीभांति परिचित भी हैं। शहरी क्षेत्रों में कठिया गेहूं के दलिया की डिमाण्ड ज्यादा है।
बुंदेलखण्ड की ऊबड़-खाबड़ और सिंचाई से वंचित जमीनों में कठिया गेहूं की खेती होती है। रंग-ढंग में कठिया गेहूं आम गेहूं की तरह होता है, मगर पिसने के बाद इसमें लालिमा झलकती है। इसकी बनी रोटी का अलग स्वाद होता है। ज्यादातर लोग कठिया गेहूं का दलिया पसंद करते हैं, जो पौष्टिक होता और खासतौर से कुपोषण पर रामबाण का काम करता है।
जिला कृषि विज्ञान केंद्र कुरारा के कृषि वैज्ञानिक डॉ.एसपी सोनकर ने रविवार को बताया कि कठिया गेहूं में प्रोटीन, बीटा किरोटीन तथा मिनरल अधिक मात्रा में होने के कारण पौष्टिकता में यह सामान्य गेहूं से बेहतर है। बुंदेलखण्ड के वातावरण को देखते हुए इसकी कई किस्में हैं, जो यहां पैदा की जाती हैं। इस गेहूं के आम गेहूं से दाम भी अच्छे मिलते हैं।
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बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी सुरजीत सिंह का कहना है कि कठिया गेहूं सुपाच्य होता है और इसमें पौष्टिक पदार्थों की मात्रा सामान्य गेहूं के मुकाबले ज्यादा होती है। प्रयास किया जा रहा है कि आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से बच्चों को कठिया गेहूं का दलिया बांटा जाए। इसका प्रस्ताव भी शासन को भेजा गया है। उन्होंने कहा कि कठिया गेहूं और मूंगदाल अगर केंद्रों के माध्यम से बंटने लगे तो कुपोषण को जड़ से समाप्त किया जा सकता है।
कठिया गेहूं के फायदों पर नजर
यदि आप खांसी और कफ से परेशान हैं तो कम से कम 20 ग्राम गेहूं के दानों को लें और उसे करीब 250 ग्राम पानी में उबाले। उबालने के दौरान इसमें नमक भी मिला लें। जब पानी की मात्रा एक तिहाई हो जाए तो इस पानी को छानकर गरमा-गर्म ही सिप लेकर पीएं। रोज सुबह-शाम इसे एक हफ्ते तक सेवन करें, खांसी और कफ से आराम मिलेगा। स्मरण शक्ति कमजोर हो या पढ़ने वाले बच्चों को गेहूं से बने हरीरा में बादाम और चीनी मिलाकर रोज खिलाएं। ये याददाश्त बढ़ाने का सबसे बेहतरीन नुस्खा है। कई बार ऐसे कीड़े या मच्छर काट लेते हैं कि खुजली खत्म ही नहीं होती।
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बरसात में फोड़े-फुंसी भी बहुत होते हैं। तो ऐसे में आप गेहूं के दानों को भिगोंकर पीस लें या गेहूं के आटे को गूंथ कर प्रभावित जगह पर लगा दें। अगर कोई जहरीला कीड़ा काट ले तो गेहूं के आटे में सिरका मिलाकर प्रभावित जगह पर लगाएं। तुरंत आराम मिलेगा। अगर आप भी पथरी से जूझ रहे तो आप गेहूं और चने के दानों को उबाल कर उसके बचे पानी को पीएं। ऐसा करने से किडनी कि पथरी बाहर आ जाती है। गेहूं के दानों का उपयोग जब आप करें तो ध्यान दें कि गेहूं बहुत पुराना न हो। इसे हमेशा भिगाकर और अच्छी तरह से धो कर ही प्रयोग करें।