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कालसर्प पूजन के नाम पर अंधविश्वास से रहे दूर

धर्म डेस्क। सावन का महीना आते ही मान लीजिए व्रत त्यौहारों का सिलसिला शुरू हो गया। कोराना काल में हालांकि होली से लेकर अब तक एहतिहात के चलते सीमित अंदाज में त्यौहार मनाए जा रहे हैं, जो सही भी है। लेकिन फिर भी हिन्दुस्तान में घर में उत्सवों को उल्लास से मनाने की परंपरा है। हर बार की तरह इस सावन के महीने में नाग पंचमी भी मनाई जाएगी। नाग पंचमी का आरंभ नाग चतुर्थी से होता है और उसके बाद नाग पंचमी और नाग षष्ठी आती है। इस बार श्रावण शुक्ल पंचमी 25 जुलाई 2020 शनिवार को है, इस दिन नाग पंचमी मनाई जाएगी।

ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि भविष्य पुराण में इस बात का जिक्र किया गया है कि इस दिन नाग पूजा और नागों को दूध चढ़ाने से नाग देवता खुश हो जाते हैं और इससे सर्पदंश का खतरा भी कम होता है। माना जाता है कि महाराज जनमेजय ने एक बार नाग यज्ञ किया था, जिसके कारण नागों का शरीर जल गया था तब आस्तिक मुनि ने उनके शरीर पर दूध डालकर उनकी रक्षा की थी।

पंचमी की पूजा का संबंध धन से

पंचमी की पूजा का संबंध धन से जुड़ा हुआ है। दरअसल शास्त्रों में ऐसा माना जाता है कि नाग देव गुप्त धन की रक्षा करते हैं। इस कारण ही नागपंचमी के दिन नागों की पूजा करने से जीवन में धन-समृद्धि का भी आगमन होता है। इस दिन व्रती को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।. जिस व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प दोष होता है। उसे इस दोष से बचने के लिए नाग पंचमी का व्रत करने की सलाह दी जाती है ।

हल्दी, धूप, दीप, अगरबत्ती से नाग का पूजन करें एवं देवताओं के समान ही मिष्ठान्न भोग प्रतीक रूप से लगाएं एवं नारियल अर्पण करने की सलाह दी जाती है। कई लोग इस दिन कालसर्प का पूजन करते हैं एवं नाग का दहनादि क्रिया करते हैं। इस तरह की बातों में नहीं आएं। यह आवश्यक नहीं है की कालसर्प का पूजन नाग पंचमी को ही किया जाए। जन्म कुंडली में एक दोष होता है जिसे सर्पदोष कहते हैं। इससे सांप का कोई लेना.देना नहीं है। उसको किसी प्रकार से प्रताड़ित नहीं करें एवं जीवित सांप का पूजन किसी भी हालत में नहीं करें। न ही उसकी दहन क्रिया करें। यह पाप को बढ़ाने वाली होगी। कालसर्प एक राहु-केतु जनित दोष है। राहु का मुख सर्प समान होने से इसको सर्प दोष कहते हैं।

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