सनातन धर्म में भगवान गणेश को प्रथम पूज्य कहते है। मान्यता है कि किसी भी धार्मिक आयोजन में सर्वप्रथम भगवान गणेश की पूजा का विधान है। इसी तरह एकदंत संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) का व्रत भगवान गणेश को समर्पित माना जाता है। इस दिन भक्त गण मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए उपवास रखते हैं।
एकदंत संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) को महादेव और माता पार्वती के पुत्र गणेश की पूजा अर्चना की जाती है। हर साल ज्येष्ठ महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है। इस बार यह एकदंत संकष्टी चतुर्थी 26 मई को मनाई जाएगी।
एकदन्त संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) शुभ मुहूर्त
संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) तिथि प्रारम्भ – मई 26, 2024 को 06:06 पी एम बजे
संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) तिथि समाप्त – मई 27, 2024 को 04:53 पी एम बजे
संकष्टी के दिन चन्द्रोदय का समय- 10:12 पी एम
पूजा-विधि
1- भगवान गणेश जी का जलाभिषेक करें
2- गणेश भगवान को पुष्प, फल चढ़ाएं और पीला चंदन लगाएं
3- तिल के लड्डू या मोदक का भोग लगाएं
4- एकदन्त संकष्टी चतुर्थी की कथा का पाठ करें
5- ॐ गं गणपतये नमः मंत्र का जाप करें
6- पूरी श्रद्धा के साथ गणेश जी की आरती करें
7- चंद्रमा के दर्शन करें और अर्घ्य दें
8- व्रत का पारण करें
9- क्षमा प्रार्थना करें
चांद निकलने का टाइम
दृक पंचांग के अनुसार, मई 26 को रात 10 बजकर 13 मिनट पर चंद्रोदय होगा। हालांकि, अलग-अलग शहरों में चांद निकलने के समय में थोड़ा अंतर हो सकता है। चंद्र दर्शन और पूजा के बाद ही व्रत सम्पूर्ण माना जाता है।
मंत्र– ॐ गणेशाय नमः
गणेश जी की आरती
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे संत करें सेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो जाऊं बलिहारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥