कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन दीपावली से एक दिन पहले नरक चतुर्दशी मनाई जाती है। इसे छोटी दीपावली भी कहा जाता है। इस बार 3 नवंबर बुधवार के दिन नरक चतुर्दशी का त्योहार मनाया जाएगा। मान्यता है कि इस दिन हनुमान जयंती भी होती है।
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन मंगलवार को हनुमान जी प्रकट हुए थे। इसलिए इस दिन हनुमान जी की पूजा का भी विधान है। साथ ही, धार्मिक मान्यता के अनुसार नरक चतुर्दशी के दिन यम के नाम से दीपदान की परंपरा भी है। इस दिन हनुमान की पूजा विधि विधान से करने पर मंगल ही मंगल होता है।
शूकर क्षेत्र सोरों के ज्योतिषाचार्य गौरव दीक्षित बताते हैं कि नरक चतुर्दशी के दिन यम के लिए आटे का चौमुखा दीपक बनाकर घर के मुख्य द्वार पर जलाया जाता है। घर की महिलाएं रात के समय दीपक में तिल का तेल डालकर चार बत्तियां जलाती हैं। इस दिन रात के समय विधि-विधान से पूजा करने के बाद दीपक जलाकर दक्षिण दिशा की ओर मुख कर रखते हैं, और ‘मृत्युनां दण्डपाशाभ्यां कालेन श्यामया सह। त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यजः प्रीयतां मम्’ मंत्र का जाप करते हुए यम का पूजन करती हैं। नरक चतुर्दशी के दिन दीपक को घर के बाहर मुख्य द्वार के पास अनाज के ढेर पर रखा जाता है जिसे रातभर जलाते हैं।
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार यमराज ने दूतों से पूछा कि क्या तुम्हें प्राणियों के प्राण हरण करते समय किसी पर दया नहीं आती है। यमराज के इस प्रश्न पर पहले यमदूतों ने संकोच में पड़ते हुए मना कर दिया. परंतु यमराज के दोबारा आग्रह करने पर दूतों ने एक घटना का उल्लेख करते हुए बताया कि हेम नामक राजा की पत्नी ने एक पुत्र को जन्म दिया। ज्योतिषियों ने जन्म के बाद नक्षत्र गणना की और बताया कि यह बालक जब भी विवाह करेगा, उसके चार दिन बाद ही इसकी मृत्यु हो जाएगी।
यह जानने के बाद राजा ने बालक को यमुना तट की एक गुफा में ब्रह्मचारी के रूप में रखकर उसका लालन- पालन किया। एक दिन उसी तट पर महाराज हंस की युवा पुत्री घूम रही थी। राजकुमारी को देखते ही राजकुमार उस पर मोहित हो गया और उन्होंने गंधर्व विवाह कर लिया।
ज्योतिष गणना के अनुसार विवाह के चार दिन बाद ही राजकुमार की मृत्यु हो गई। पति की मृत्यु देखकर राजकुमारी बिलख-बिलखकर विलाप करने लगी। यमदूतों ने यमराज से कहा कि महाराज ,उस नवविवाहिता का करुण विलाप सुनकर हमारा हृदय भी कांप उठा।
यमदूतों ने बताया कि राजकुमार के प्राण हरण करते समय आंसू नहीं रुक पा रहे थे। ऐसे में एक यमदूत ने यमराज से अकाल मृत्यु से बचने का उपाय पूछा। इस पर यमराज ने उपाय के बारे में बताते हुए कहा कि नरक चतुर्दशी के दिन अकाल मृत्यु से छुटकारा पाने के लिए व्यक्ति को पूजन और दीपदान विधि-विधान के साथ करना चाहिए। मान्यता है कि नरक चतुर्दशी के दिन जिस घर में दीपदान किया जाता है। वहां लोगों को अकाल मृत्यु का भय नहीं सताता इसी कारण नरक चतुर्दशी पर यम के नाम का दीपदान करने की परंपरा है।
- अगर आपके जीवन में संकट और कष्ट समाप्त होने का नाम नहीं ले रहा, और आप कई तरह के उपाय या कोशिशें कर के थक चुके हैं, तो नरक चौदस के दिन हनुमान बाबा का चोला चढ़ाना चाहिए। कहते हैं कि चोला बाबा को अति प्रिय है। हनुमान जी चोला चढ़ाने वाले भक्तों के सभी कष्टों को हर लेते हैं। अगर आप हनुमान जी का चोला चढ़ा रहे हैं, तो इस बात का ध्यान रखें कि इस दौरान श्री राम के नाम का जप करें।
इसके अलावा, इस दिन उनको बूंदी या बेसन के लड्डू का भोग लगाएं। साथ ही एक नारियल को सिर से 7 बार उतारकर उनके चरणों में रख दें, ऐसा करने से आपके जीवन में कई तरह के बदलाव आएंगे और धीरे-धीरे संकटों से मुक्ति मिलनी शुरू हो जाएगी।
- अगर आप पैसों की तंगी से परेशान हैं तो छोटी दीपावली के दिन पीपल के 11 पत्तों पर श्री राम का नाम लिखें और उसकी माला बनाकर हनुमान जी को पहना दें। इसके साथ ही उनसे अपनी समस्या के समाधान की प्रार्थना करें। ऐसा करने से बाबा आपकी परेशानी जरूर दूर करेंगे। वहीं अगर आप बिजनेस में मुनाफा चाहते हैं तो सिंदूरी रंग का लंगोट हनुमान जी को पहनाने से बिजनेस में फायदा होगा।
- अपने दुश्मनों का नाश करने और बुरे समय को खत्म करने के लिए नरक चतुर्दशी के दिन हनुमान जी को गुलाब की माला पहनाएं। इसके बाद एक नारियल पर स्वस्तिक बनाते हुए नारियल को उनके चरणों में अर्पित करें। साथ ही उन्हें पांच देसी घी की रोटी का भोग लगाने से बुरा समय जल्द खत्म हो जाएगा और दुश्मनों से भी छुटकारा मिलेगा।
- हनुमान जी को विशेष पान का बीड़ा बहुत पसंद है। इसमें सभी मुलायम चीजें जैसे खोपरा बूरा, गुलकंद, बादाम कतरी आदि डलवाएं और उन्हें अर्पित करें। हनुमान भक्तों के सिर्फ भाव से ही प्रसन्न हो जाते हैं। ऐसे में भावपूर्वक उन्हें ये चीजें अर्पित करने से वे आपकी हर मनोकामना सुनेंगे और उसे दूर करेंगे।