लाइफ़स्टाइल डेस्क। प्रेग्नेंसी में पहले तीन महीने बहुत ही खास होते हैं। ऐसे में जरा सी लापरवाही आपके साथ बच्चे के लिए खतरनाक हो सकती है।ऐसे में खानपान से लेकर चेकअप का खासतौर से ध्यान रखना चाहिए।
प्रेग्नेंसी में महिलाओं के शरीर में काफी बदलाव आते हैं, जिनके बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं होती। जरूरी नहीं कि सभी गर्भवती महिलओं में एक जैसे बदलाव होते हों, ये अलग-अलग तरह के भी हो सकते हैं। प्रेग्नेंसी के इन नौ महीनों की गिनती आखिरी पीरियड्स के पहले दिन से की जाती है। इन 9 महीनों को तीन ट्राइमेस्टर में बांटा जाता है।
पहली तिमाही (फर्स्ट ट्राइमेस्टर)
पहले 3 महीने इस चरण में आते हैं। इस समय भ्रूण का विकास होता है और वह मानव भ्रूण का आकार लेने लगता है। इस दौरान डॉक्टर से पूछे बिना कोई भी दवा लेना खतरनाक हो सकता है, क्योंकि दवाएं इस स्थिति में हानिकारक हो सकती हैं और बच्चे में संरचनात्मक विकार पैदा कर सकती हैं। इस अवधि में फोलिक एसिड के अलावा किसी दवा की जरूरत नहीं होती है।
होने वाले बदलाव
1- इस दौरान जी मिचलाने, घबराहट, थकावट और उल्टी होने जैसी शिकायतें आम होती हैं। ये तीन माह पूरे होते ही अपने आप ठीक हो जाती हैं।
2- इस दौरान आमतौर पर ब्लड प्रेशर लो होता है और पल्स रेट बढ जाती है।
3- ब्रेस्ट का आकार बढ जाता है। उससे डिस्चार्ज भी हो सकता है। ब्रेस्ट को छूने पर दर्द भी होता है।
4- पहले तीन महीने वजन बढना जरूरी नहीं है।
5- मॉर्निग सिकनेस गर्भधारण के तीन सप्ताह के भीतर शुरू हो जाती है। यह पूरे तिमाही तक रहती है। एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन का बढता स्तर पेट को धीरे-धीरे खाली करता है। भोजन के धीमी गति से पचने के कारण स्त्रियों को उल्टी जैसी समस्या होती है। ऐसी फीलिंग सुबह के समय होती है।
6- बार-बार यूरिन जाना पड सकता है। इससे निजात पाने के लिए तरल पदार्थो का सेवन कम न करें, बल्कि चाय-कॉफी की मात्रा कम कर दें।
7- गर्भावस्था के दौरान हॉर्मोन प्रोजेस्टेरोन का स्तर चढता है, जिससे नींद अधिक आती है। इसी समय ब्लड शुगर के कम स्तर और निम्न रक्तचाप के कारण थकान हो सकती है। इसलिए आराम जरूर करें। अपने आहार में पर्याप्त मात्रा में आयरन और प्रोटीन लें।
सावधानियां
1- इन दिनों लंबे समय तक खाली पेट न रहें। थोडे-थोडे अंतराल पर कुछ-कुछ खाती रहें। फल, नारियल पानी या ग्लूकोज मिला पानी आदि लेती रहें। अधिक मिर्च और तैलीय चीजों से परहेज करें।
2- नियमित रूप से जांच कराएं। हर 15 दिन में डॉक्टर से अपना चेकअप कराएं।
3- हील्स न पहनें। भीड-भाड में न जाएं। कामकाजी हैं तो सफर में झटके और गड्ढों वाली ऊबड-खाबड जगह जाने से बचें।
4- मंचिंग न करें। बजाय इसके कोई फल खाएं। डबल डाइट नहीं बैलेंस डाइट लें।
रुटीन चेकअप्स
- एंटीनेटल स्क्रीनिंग टेस्ट (ब्लड ग्रुप और आरएच, हीमोग्लोबिन, ब्लड शुगर, स्क्रीनिंग फॉर इन्फेक्शंस – एचआइवी, सिफलिस, रुबेला, हेपेटाइटिस सी, हीमोग्लोबिनोपैथीज)
- यूएसजी ताकि डिलिवरी की तारीख पता चल सके। साथ ही यह भी पता चल सके कि गर्भ में एक ही शिशु है या उससे अधिक।
- सातवें और बारहवें सप्ताह में अल्ट्रासाउंड किया जाता है यह देखने के लिए कि होने वाले शिशु में कोई विकार तो नहीं है। बारहवें सप्ताह में डबल मार्कर ब्लड टेस्ट होता है।