हिंदू धर्म में वास्तु के नियमों के अनुसार ही घर का निर्माण करवाया जाता है। खुशहाल जीवन के लिए वास्तु की कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद महत्वपूर्ण माना गया है। मान्यता है कि घर का वास्तु ठीक होने पर जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और पारिवारिक जीवन में खुशियों का माहौल रहता है। वास्तु के अनुसार, घर में पूजा घर (Temple) वास्तु के नियमों के अनुसार होना चाहिए। इससे घर में पॉजिटिव एनर्जी बढ़ती है। आइए जानते हैं पूजाघर से जुड़े वास्तु टिप्स…
मंदिर (Temple) का वास्तु कैसा होना चाहिए?
– वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में मंदिर (Temple) का निर्माण ईशान कोण में होना चाहिए।
– वास्तु में ईशान कोण के स्वामी भगवान शिव माने गए हैं,जो विद्या और ज्ञान का आशीर्वाद देते हैं।
– त्योहारों और विशेष अवसरों की सामूहिक पूजा ,हवन समेत और मांगलिक कार्यों का आयोजन घर के आंगम में किया जाता है।
– ज्योतिष में आंगन को ब्रह्मा जी का स्थान माना गया है, जिनके मुख से चारों वेदों का उपदेश हुआ है।
– नियमित पूजा के लिए ईशान कोण में पूजाघर बनवाना चाहिए। वास्तु में यह दिशा में सबसे शुद्ध और पवित्र मानी जाती है।
– वास्तु के मुताबिक, पूजा घर (Temple) में देवी-देवताओं की मूर्ति या प्रतिमा को पूर्व या उत्तर दिवार के पास रखना चाहिए।
– देवी-देवता की प्रतिमा को लकड़ी की चौकी या सिंहासन पर रखना उचित माना जाता है।
– वास्तु के अनुसार, मंदिर में पूर्व या उत्तरी भाग में देवताओं की मूर्ति या प्रतिमा का मुख उत्तर की ओर नहीं होना चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से पूजा करने वाले का मुख दक्षिण की ओर हो जाएगा।
– वास्तु में दक्षिण दिशा में मुख करके पूजा करना शुभ नहीं माना गया है।
– इसके साथ ही दक्षिण दिशा में मंदिर का निर्माण भी नहीं करवाना चाहिए।
– पूजाघर के आसपास या ऊपर-नीचे टॉयलेट और बाथरूम भी नहीं बनवाना चाहिए।
– वास्तु के अनुसार, घर के मंदिर (Temple) में दीपक और हवन कुण्ड रखने का स्थाना आग्नेय कोण में होना चाहिए।