हिंदू धर्म में सभी प्रकार के मांगलिक कार्यों में मंगल कलश (Kalash) की स्थापना की जाती है. यह बहुत ही शुभ माना जाता है. किसी भी पूजा या अनुष्ठान में कई तरह की चीजों का इस्तेमाल किया जाता है, ताकि बिना किसी बाधा के कार्य संपन्न हो सके. मंगल कलश (Kalash) को स्थापित करते समय हमें कुछ वास्तु के नियमों का ध्यान रखना चाहिए. इससे जीवन में शुभ परिणाम मिलते हैं.
मंगल कलश (Kalash) की स्थापना ऐसे करें
मंगल कलश (Kalash) की स्थापना करने और शुभ परिणाम के लिए आपको विधिवत इसकी स्थापना करनी होगी. इसके लिए सबसे पहले मंगल कलश में साफ और स्वच्छ जल भरकर उसमें एक सिक्का डाल दें. साथ ही एक सुपारी भी रखें. फिर कलश में दूर्वा, चंदन, हल्दी, अक्षत, पान, सुपारी, लौंग और इलायची डाल दें. उसके बाद कलश (Kalash) के कंठ पर कलवा जरूर बांध दें. कलश के ऊपर एक नारियल रख दें, लेकिन ध्यान रखें कि नारियल रखने से पहले कलश में 5, 7 या 11 आम के पत्ते रखकर ही नारियल रखें. ऐसा करना शुभ माना जाता है.
ईशान कोण उत्तम दिशा
मंगल कलश (Kalash) की स्थापना करने से पहले वास्तु शास्त्र के इन नियमों का हमें विशेष ध्यान देना चाहिए. अगर आप वास्तु शास्त्र के नियम अनुसार मंगल कलश की स्थापना कर रहे हैं, तो इसके लिए ईशान कोण सबसे उत्तम दिशा है. आप चाहें तो घर के मंदिर में भी मंगल कलश की स्थापना कर सकते हैं.
सबसे पहले जिस स्थान पर आप मंगल कलश की स्थापना करना है, वहां अष्टदल कमल की आकृति बनानी चाहिए. इसके बाद कलश की स्थापना उसके ऊपर करनी चाहिए. ऐसा करने से आपको मंगल कलश के लाभ देखने को मिलेंगे.
मां लक्ष्मी होंगी प्रसन्न
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मंगल कलश (Kalash) की स्थापना करने से व्यक्ति पर सभी दुख संकट दूर होते हैं और घर में सुख समृद्धि का माहौल होता है. साथ ही मंगल कलश की स्थापना करने के बाद व्यक्ति के ऊपर मां लक्ष्मी का आशीर्वाद बना रहता है.