हिन्दू पंचांग के अनुसार, तुलसी विवाह (Tulsi Vivah) का आयोजन हर साल कार्तिक माह शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन किया जाता है। कई जगह द्वादशी के दिन भी तुलसी विवाह किया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, तुलसी विवाह के दिन भगवान शालिग्राम और तुलसी माता का विवाह विधि-विधान के साथ किया जाता है। इस दिन तुलसी पूजा का विधान है। लेकिन तुलसी पूजा को लेकर कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है।
संध्या के समय जलाएं दीपक
घर में लगी हुई तुलसी को नियमित रुप से जल देना चाहिए, और संध्या के समय दीपक जलाना चाहिए। जिन घरों में तुलसी में सुबह-शाम प्रतिदिन दीपक जलाया जाता है, और जल दिया जाता है। मां महालक्ष्मी की कृपा उन पर हमेशा बनी रहती है। रविवार के दिन तुलसी में जल नहीं चढ़ाना चाहिए।
तामसिक चीजों से करें परहेज
तुलसी का पौधा भगवान विष्णु को अति प्रिय है। भगवान विष्णु की पूजा में किसी भी तरह से तामसिक चीजों का प्रयोग वर्जित माना गया है। इसलिए जहां पर भी तुलसी का पौधा लगा हो वहां पर कभी मांस मदिरा का सेवन भूलकर भी नहीं करना चाहिए। जो लोग अपने गले में तुलसी की माला धारण करते हैं, उन्हें भी तामसिक चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।
दिशा का रखें ध्यान
तुलसी का पौधा वास्तु दोष दूर करने में भी सक्षम होता है। जहां पर भी तुलसी लगी होती है, वहां पर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। लेकिन तुलसी का पौधा कभी भी दक्षिण दिशा में नहीं होना चाहिए। ये आपके लिए अशुभफलदायक हो सकती है। तुलसी के पौधे को हमेशा पूर्वोत्तर या उत्तर दिशा में लगाना चाहिए। अगर आपके घर में उचित स्थान है, तो तुलसी को घर के आंगन के बीच में लगाएं। यह बहुत शुभ फल देती है।
गमले में लगाएं पौधा
कुछ लोग अपने घर में जमीन में तुलसी का पौधा रोपते हैं, लेकिन तुलसी को हमेशा गमले में ही लगाना चाहिए। मान्यता है कि जमीन पर लगा हुआ तुलसी का पौधा अशुभ फल देता है। इसका प्रभाव घर के सदस्यों के स्वास्थ पर भी पड़ता है।