Site icon 24 GhanteOnline | News in Hindi | Latest हिंदी न्यूज़

हरियाली अमावस्या पर देवताओं के साथ पितरों का भी मिलेगा आशीर्वाद, इन बातों का रखें ध्यान

Hariyali Amavasya

Hariyali Amavasya

इस सावन के महीने में आने वाली अमावस्या को श्रावणी अमावस्या या हरियाली अमावस्या (Hariyali Amavasya) के तौर पर जाना जाता हैं। इस बार यह शुभ तिथि 28 जुलाई दिन गुरुवार को है। इस दिन पुष्य नक्षत्र के साथ ही सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्धि योग बन रहे है जो कि सभी बेहद शुभ माने जाते हैं। ऐसे में इस दिन की गई पूजा और उपाय आपको देवताओं के साथ पितरों का भी आशीर्वाद दिलाते हैं।

हरियाली अमावस्या (Hariyali Amavasya) के दिन व्रत और पितृ तर्पण के साथ ही पवित्र नदियों में स्नान किया जाता हैं। इसी के साथ इस दिन कुछ उपाय भी किए जाते जो परेशानियों से छुटकारा दिलाने का काम करते हैं। हम आपको आज हरियाली अमावस्या के शुभ मुहूर्त, महत्व पूजन विधि किए जाने वाले उपायों की जानकारी देने जा रहे हैं। आइये जानते हैं इनके बारे में…

शुभ योग और शुभ मुहूर्त

हरियाली अमावस्या (Hariyali Amavasya) की तिथि की शुरुआत 27 जुलाई दिन बुधवार को रात 09 बजकर 11 मिनट से हो जाएगी, जो गुरुवार रात अर्थात 28 जुलाई की रात 11 बजकर 24 मिनट तक रहेगी। लेकिन पूजा-पाठ उदया तिथि में मान्य होती है इसलिए हरियाली अमावस्या की पूजा 28 जुलाई को की जाएगी। इसी दिन व्रत रखा जाएगा और पीपल के पेड़ की पूजा की जाएगी। हरियाली अमावस्या पर इस बार कई शुभ योग बन रहे हैं। इस दिन गुरु पुष्य योग के साथ अमृत सिद्धि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग जैसे महायोग उपस्थित हो रहे हैं। इन योग में पूजा-अर्चना करने के शुभ फलों की प्राप्ति होती है और जो भी शुभ काम इस दिन किए जाएंगे उसमें सफलता मिलेगी।

हरियाली अमावस्या (Hariyali Amavasya) का महत्व

नारद पुराण के अनुसार, हरियाली अमावस्या के दिन पितृ श्राद्ध, दान, तर्पण विधि और भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है और भक्तों की हर मनोकामना को पूरा करते हैं। साथ ही इस दिन वृक्षारोपण करने से ग्रह दोष शांत होते हैं। अगर सुहागन महिला इस दिन व्रत रखती हैं तो उनको शिव-पार्वती की तरफ से अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। जिन लोगों की कुंडली में पितृ दोष, कालसर्प दोष और शनि का प्रकोप है तो उनको इस दिन शिवलिंग का पंचामृत से अभिषेक करना चाहिए और दान-पुण्य करना चाहिए। साथ ही हरियाली अमावस्या की शाम को नदी या मंदिर में दीप दान करने का भी विधान बताया गया है।

हरियाली अमावस्या (Hariyali Amavasya) पूजन विधि

पुराणों के अनुसार, हरियाली अमावस्या के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत होकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना करनी चाहिए। इसके बाद सूर्यदेव को जल दें और पीपल के पेड़ की पूजा करें। शुभ योग में वृक्षारोपण और दान-पुण्य करें। सुहागिन महिलाओं को माता पार्वती और पीपल की पूजा करने के बाद सुहाग सामग्री किसी सुहागिन महिलाओं को देना चाहिए, ऐसा करने से घर-परिवार में सुख-शांति मिलती है और अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस दिन पीपल और तुलसी की सुबह-शाम पूजा करनी चाहिए और भोग लगाना चाहिए। पूजा-अर्चना करने के बाद गरीब व जरूरतमंद को भोजन भी करा सकते हैं। वहीं जो लोग हरियाली अमावस्या का उपवास रख रहे हैं, वे शाम के समय भोजन ग्रहण कर सकते हैं।

हरियाली अमावस्या (Hariyali Amavasya) पर करें उपाय

– सावन शिव जी का प्रिय महीना है, इसलिए हरियाली अमावस्या के दिन भगवान शिव की पूजा करना विशेष रूप से फलदायी होता है। ज्योतिष के अनुसार, हरियाली अमावस्या के दिन महादेव को आक या मदार के सफेद फूल चढ़ाने से पितृ दोष समाप्त होता है।

– श्रावणी या हरियाली अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा का विधान है। हरियाली अमावस्या के दिन सुबह-शाम पीपल के मूल में जल में दूध मिलाकर अर्पित करें और मालपुआ के साथ पांच तरह की मिठाई भी रखें। इसके बाद धूप-दीप से पूजा करें, ऐसा करने से पितरों को शांति मिलती है और पितृ दोष भी दूर होता है।

– इस दिन पीपल, बरगद, केला, नींबू अथवा तुलसी का वृक्षारोपण जरूर करें। साथ ही किसी नदी या तालाब में जाकर मछली को आटे की गोलियां खिलाएं। इसके अलावा चींटियों को चीनी या सूखा आटा खिलाएं। इससे आपको पुण्य फल की प्राप्ति होगी।

– परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए सावन की अमावस्या के दिन हनुमान मंदिर जाकर हनुमान चालीसा का पाठ करें। साथ ही हनुमानजी को सिंदूर और चमेली का तेल चढ़ाएं। इसके अलावा अमावस्या की शाम को मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए घर के ईशान कोण में घी का दीपक जलाएं।

– ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, वैवाहिक जीवन में खुशहाली के लिए हरियाली अमावस्या के दिन पति-पत्नी को साथ में महादेव और माता पार्वती की विधि पूर्वक पूजा करनी चाहिए। इससे माता पार्वती के साथ शिव जी भी कृपा प्राप्त होती है।

– इस दिन दान के साथ ही दीपदान भी करना चाहिए। इस दिन आटे के दीपक जलाकर नदी में प्रवाहित करने से पितृदेव और माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है। इस दिन शनिदेवजी के मंदिर में विधि अनुसार दीपक लगाने से वे प्रसन्न होते हैं।

Exit mobile version