सनातन धर्म में स्वस्तिक चिह्न बनाकर ही किसी शुभ कार्य को किया जाता है। इसे एक शुभ प्रतीक माना जाता है। कहा जाता है कि स्वास्तिक (Swastika) चिह्न घर में बनाया जाए, तो सकारात्मकता बढ़ती है। ऐसे में स्वस्तिक चिह्न बनाते समय कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है, जिससे आपको शुभ फल की प्राप्ति हो सके।
चार दिशाओं का प्रतिनिधित्व
हिंदू धर्म में स्वस्तिक (Swastika) चिह्न को मंगल चिह्न के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। इसे घर में बनाया जाए, तो सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। साथ ही व्यक्ति के सभी शुभ कार्य अच्छे से संपन्न होते हैं। यह भी माना जाता है कि यह सौभाग्य को आकर्षित करता है।
शास्त्रों में भी इस चिह्न को शुभ बताया गया है। ऋग्वेद में भी स्वस्तिक को सूर्य का प्रतीक माना गया है। स्वस्तिक की चार भुजाएं चार दिशाओं का प्रतिनिधित्व करती हैं।
इस दिशा में बनाएं
वास्तु शास्त्र के अनुसार, स्वस्तिक (Swastika) चिह्न उत्तर पूर्व दिशा, जिसे ईशान कोण कहा जाता है, उसमें बनाना चाहिए। इससे व्यक्ति को जीवन में सकारात्मक परिणाम मिलते हैं। इसके अलावा स्वस्तिक चिह्न को उत्तर दिशा में बनाना भी शुभ होता है। पूजा स्थल के साथ-साथ आप घर के मुख्य द्वार पर भी स्वस्तिक चिह्न लगा या बना सकते हैं। इस तरह आप वास्तु संबंधी समस्याओं से मुक्त रहेंगे और घर में सकारात्मक ऊर्जा आएगी।
इन चीजों का करें प्रयोग
स्वस्तिक (Swastika) बनाने के लिए हल्दी या सिंदूर का प्रयोग करना लाभकारी माना जाता है। शुभ परिणामों की प्राप्ति के लिए अपने घर में अष्टधातु या तांबे से बना स्वस्तिक चिह्न भी रख सकते हैं। इससे व्यक्ति के धन प्राप्ति के मार्ग भी प्रशस्त होता है।