करवा चौथ ( Karva Chauth) का त्योहार इस बार 13 अक्टूबर को मनाया जायेगा। पूजा से पहले आप दुल्हन की तरह से साज-शृंगार करें। हो सके तो इस दिन अपनी शादी का जोड़ा ही पहनने की कोशिश करें।
सरगी है खास
आप पहली बार करवाचौथ ( Karva Chauth) का व्रत रखने जा रही हैं तो आपको बता दें कि इस व्रत में सरगी का काफी महत्त्व होता है। सरगी में खाने-पीने का सामान खासतौर पर होता है जिसको खाने के बाद व्रत की शुरुआत की जाती है। इसके साथ ही श्रृंगार का सामान और कपड़े भी इसमें शामिल हो सकते हैं। सरगी वैसे तो सास के द्वारा बहू को दी जाती है लेकिन जिनके साथ ऐसा नहीं हो सकता वो महिलाएं खुद से सरगी तैयार कर सकती हैं।
सरगी में ये चीजें करें शामिल
सरगी में आप फलों और ड्राई फ्रूट्स को जरूर शामिल करें। इनमें फाइबर भी होता है जिससे आपको जल्दी भूख का अहसास नहीं होगा। साथ ही ये आपको दिन भर एनर्जी देने का काम भी करेंगे। चाय-कॉफी की जगह अपनी सरगी में नारियल पानी और जूस को भी शामिल करें। जिससे आपको हाइड्रेटेड रहने में मदद मिल सके।
पहला व्रत होने की वजह से आपको किसी बात का अंदाजा नहीं होता है। इसलिए जरूरी है कि इस दिन ज्यादा काम न करें बल्कि जितना हो सके आराम करें। इससे आपको थकान और कमज़ोरी महसूस नहीं होगी। साथ ही आपकी तबियत भी सही रहेगी, जिससे आप पूजा की तैयारी, सजना-संवरना और पूजा विधि को इंट्रेस्ट के साथ पूरा कर सकेंगी। बायना और पूजा की तैयारी दोपहर भर आराम करने के बाद जरूरी है कि आप पूजा की तैयारी और बायना सही समय पर आसानी के साथ कर लें। इस दिन सास या बड़े को बायना देने की परंपरा भी है। इसके लिए भी आप समय से बायना तैयार कर लें साथ ही पूजा की तैयारी भी कर लें। जिससे पूजा के समय आपको ज्यादा परेशान न होना पड़े।
सोलह श्रृंगार
इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं और पहले व्रत में तो ये और भी ज्यादा जरूरी हो जाता है। इसलिए पूजा से पहले आप दुल्हन की तरह सज-संवर लें। हो सके तो इस दिन अपनी शादी का जोड़ा ही पहनने की कोशिश करें। किसी कारणवश ऐसा नहीं कर सकती हैं तो आप इस दिन लाल रंग का लहंगा, साड़ी या सूट कैरी कर सकती हैं।
पूजन और कथा
करवा चौथ में जितना महत्व व्रत और पूजा करने का है, उतना ही महत्त्व कथा सुनने का भी है। कहा जाता है कि इससे शुभ फल की प्राप्ति होती है। इसलिए अगर आप ग्रुप में पूजन और कथाकरवा चौथ में जितना महत्व व्रत और पूजा करने का है, उतना ही महत्त्व कथा सुनने का भी है।
कहा जाता है कि इससे शुभ फल की प्राप्ति होती है। इसलिए अगर आप ग्रुप में व्रत का पारणव्रत, पूजन के बाद रात को चन्द्रमा निकलने के बाद छत पर जाकर चंद्रदेव के दर्शन करें और उनको अर्घ्य अर्पित करें। अगर आपके यहां छलनी से चन्द्रमा देखने के बाद पति को देखने की परंपरा है तो इसको निभाएं।
इसके बाद पति को टीका लगाकर उनको मिठाई खिलाएं और उनके हाथ से पानी पीकर व्रत का पारण करें। इसके बाद आप अपनी मर्जी के अनुसार कभी भी खाना खा सकती हैं।