• About us
  • Privacy Policy
  • Disclaimer
  • Terms & Conditions
  • Contact
24 Ghante Latest Hindi News
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
No Result
View All Result

केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना

Writer D by Writer D
23/03/2021
in Main Slider, उत्तर प्रदेश, ख़ास खबर, मध्य प्रदेश, राजनीति, राष्ट्रीय, लखनऊ, विचार
0
Ken-Betwa River Link Project

Ken-Betwa River Link Project

14
SHARES
176
VIEWS
Share on FacebookShare on TwitterShare on Whatsapp

सियाराम पांडे ‘शांत’

केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना के क्रियान्वयन के करार पर केंद्र सरकार, मध्य प्रदेश सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने हस्ताक्षर भी कर दिए। केन नदी  का पानी बेतवा  तक भेजने के लिए दौधन बांध  बनाया जाएगा जो 22 किलोमीटर लंबी नहर को बेतवा से जोड़ेगा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है  कि वर्षा जल  के संरक्षण के साथ ही देश में नदी जल के प्रबंधन पर भी दशकों से चर्चा होती रही है, लेकिन अब देश को पानी के संकट से बचाने के लिए इस दिशा में तेजी से कार्य करना आवश्यक है। केन-बेतवा संपर्क परियोजना को उन्होंने इसी दूर-दृष्टि का हिस्सा बताया और  परियोजना को पूरा करने की दिशा में काम करने के लिए उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सरकारों की प्रशंसा की।

उन्होंने कहा कि यह परियोजना बुंदेलखंड के भविष्य को नई दिशा देगी।  इससे 10.62 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सालभर सिंचाई हो सकेगी। 62 लाख लोगों को पेयजल आपूर्ति संभव होगी। 103 मेगावॉट बिजली पैदा की जा सकेगी। पानी की कमी से जूझ रहे बुंदेलखंड क्षेत्र, खासकर मध्य प्रदेश के पन्ना, टीकमगढ़, छतरपुर, सागर, दमोह, दतिया, विदिशा, शिवपुरी तथा रायसेन और उत्तर प्रदेश के बांदा, महोबा, झांसी और ललितपुर को बहुत लाभ मिलेगा। यह परियोजना अन्य नदी-जोड़ो परियोजनाओं का मार्ग भी प्रशस्त करेगी, जिनसे यह सुनिश्चित हो सकेगा कि पानी की कमी देश के विकास में अवरोधक नहीं बने।  इस परियोजनासे वर्ष में 10.62 लाख हेक्टेयर क्षेत्र (मध्य प्रदेश में 8.11 लाख हेक्टेयर और उत्तर प्रदेश में 2.51 लाख हेक्टेयर क्षेत्र) में सिंचाई हो सकेगी। इससे करीब 62 लाख लोगों (मध्य प्रदेश में 41 लाख और उत्तर प्रदेश में 21 लाख) को पेयजल की आपूर्ति होगी।

हरिद्वार कुंभ में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं के लिए कोविड-19 निगेटिव रिपोर्ट जरूरी

इस परियोजना के तहत 9 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में पानी रोका जाएगा, जिनमें से 5,803 हेक्टेयर क्षेत्र पन्ना बाघ अभयारण्य के तहत आता है। 425 किमी लंबी केन नदी मध्य प्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व से  होकर बहती है।  सरकार ने बांध के निर्माण के लिए इस जंगल का 6.5 फीसदी भाग खाली कराने का फैसला किया है। इस प्रक्रिया में 10 गांवों से करीब 2 हजार परिवार  भी स्थानांतरित  किए जाने हैं। बताया तो यह भी जा रहा है कि मोदी सरकार नर्मदा-गंगा जोड़ने की प्रक्रिया में भी पेपर वर्क पूरा कर चुकी है। यह परियोजना गुजरात और पड़ोसी महाराष्ट्र से होकर गुजरेगी। महाराष्ट्र में अघाड़ी सरकार के बनने से  इस बावत उसकी दुविधा जरूर बढ़ गई है।नर्मदा और क्षिप्रा को जोड़कर शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने एक मिसाल तो कायम की ही है। उज्जैन, देवास और इंदौर जैसे बड़े भूभाग की पेयजल और सिंचाई समस्या को दूर करने में भी सफलता हासिल की है। इन नदियों के जुड़ने के बाद मध्य प्रदेश देश का ऐसा पहला राज्य बन गया है, जिसने नदियों को जोड़ने का ऐतिहासिक काम किया है।

असम में कांग्रेस नेता करते थे तस्करी: सीएम योगी

वर्ष 1971-72 में तत्कालीन केंद्रीय जल एवं ऊर्जा मंत्री तथा इंजीनियर डॉ. कनूरी लक्ष्मण राव ने गंगा—कावेरी को जोड़ने का प्रस्ताव तैयार किया था। यह बताना मुनासिब होगा कि डॉ. कनूरी लक्ष्मण राव जवाहरलाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री और इंदिरा गांधी  की सरकारों में जल संसाधन मंत्री भी रहे, लेकिन

उनके इस महत्वाकांक्षी प्रस्ताव को गंभीरता से नहीं लिया, अन्यथा चालीस साल पहले ही नदी जोड़ो अभियान की बुनियाद रखी जा चुकी होती। बहुत कम लोग जानते हैं कि पं. जवाहर लाल नेहरू के प्रधानमंत्रित्व काल में ही देश की नदियों को जोड़ कर एक आदर्श जलमाला भारतमाता को पहनाने की कल्पना की गई थी लेकिन दृढ़ इच्छाशक्ति  के अभाव में वे इस योजना को अमली जामा नहीं पहना सके। पहली बार अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली राजग सरकार में इस योजना को मूर्त रूप देने की योजना बनी।

तेजस्वी यादव बोले- पुलिस के जरिये मेरी हत्या कराने की जा रही है कोशिश

यह और बात है कि अटल बिहारी वाजपेयी भी एक कार्यबल गठित किए जाने के अतिरिक्त इस दिशा में कुछ खास आगे नहीं बढ़ सके।उसी साल अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी। इसमें भी परियोजना को दो भागों में बांटने की सिफारिश की गई। पहले हिस्से में दक्षिण भारतीय नदियां शामिल थीं जिन्हें जोड़कर 16 कड़ियों की एक ग्रिड बनाई जानी थी। हिमालयी हिस्से के तहत गंगा, ब्रह्मपुत्र और इनकी सहायक नदियों के पानी को इकट्ठा करने की योजना बनाई गई जिसका इस्तेमाल सिंचाई और बिजली परियोजनाओं के लिए होना था, लेकिन फिर 2004 में कांग्रेस नीत मनमोहन सिंह की सरकार आ गई और मामला फिर ठंडे बस्ते में चला गया। उस दौरान  योजना के औचित्य पर इतने सवाल खड़े हुए कि उनकी जगह कोई भी होता तो मौन रहना ही मुनासिब समझता। पर्यावरणविद नदियों के प्राकृतिक बहाव में किसी भी तरह के कृत्रिम हस्तक्षेप के खिलाफ तो थे ही, इस योजना के अमल  के लिए भारी भरकम धनराशि जुटाने और भूमि अधिग्रहण की चुनौती भी कम नहीं थी। इस योजना से जुड़ा विवाद अंतत: सर्वोच्च न्यायालय तक पहुंच गया। यह और बात है कि 28 फरवरी,2012 को न्यायालय ने सरकार को नदी जोड़ो परियोजना को चरणबद्ध तरीके से अमल में लाने की हरी झंडी दे दी। इस बाधा के दूर होने पर नर्मदा और क्षिप्रा को जोड़ने की इच्छाशक्ति शिवराज सिंह चौहान ने दिखाई और उन्होंने तय समय-सीमा में दो नदियों को जोड़ने के काम को अंजाम तक पहुंचा दिया। अब केन और बेतवा नदियों को जोड़ने की बारी है। केन नदी मध्य प्रदेश स्थित कैमूर की पहाड़ियों से निकलती है और 427 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद उत्तर प्रदेश के बांदा में यमुना में मिल जाती है। वहीं बेतवा मध्य प्रदेश के रायसेन जिले से निकलती है और 576 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद उत्तर प्रदेश के हमीरपुर में यमुना में मिल जाती है। जहां तक इस योजना के लाभ की बात है तो नदी जोड़ने से पेयजल की समस्या कम होगी। सूखे और बाढ़ की समस्या कम होगी। आर्थिक समृद्धि आने से लोगों का जीवन-स्तर सुधरेगा।

सितंबर, 2017 में नरेंद्र मोदी सरकार ने पूर्ववर्ती अटल बिहारी वाजपेयी सरकार की नदी जोड़ो परियोजना पर काम आरंभ किया था। 87 अरब डॉलर की इस परियोजना की औपचारिक शुरुआत उन्होंने केन-बेतवा के लिंकिंग योजना से  करने की बात कही थी। इस विशाल परियोजना के तहत गंगा सहित 60 नदियों को जोड़ने की योजना पर प्रकाश डाला गया था। तर्क यह दिया गया था कि इससे कृषि योग्य लाखों हेक्टेयर भूमि की  मानसून पर निर्भरता कम हो जाएगी। पर्यावरणविदों, बाघ प्रेमियों और विपक्ष के विरोध के बावजूद केन-बेतवा प्रोजेक्ट के पहले चरण के लिए मोदी ने व्यक्तिगत रूप से मंजूरी दे दी थी। ये दोनों नदियां भाजपा शासित राज्य मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश से गुजरती है। मोदी सरकार का मानना है कि केन-बेतवा योजना अन्य नदी परियोजनाओं के लिए एक उदाहरण बनेंगी।

सरकारी अधिकारी भी मानते हैं कि गंगा, गोदावरी और महानदी जैसी  बड़ी नदियों पर बांध और नहरों के निर्माण से बाढ़ और सूखे से निपटा जा सकता है। वर्ष 2015 में नदियों को जोड़ने की योजना की दिशा में एक कदम आगे बढ़ते हुए आंध्र प्रदेश में गोदावरी और कृष्णा नदियों को जोड़ने का काम पूरा हो गया है। आंध्र प्रदेश की पट्टीसीमा सिंचाई योजना देश की पहली ऐसी योजना है जिसमें नदियों को जोड़ने का काम किया गया है। हालांकि यह केंद्र की ओर से चलाई जा रही नदी जोड़ो परियोजना का हिस्सा नहीं है। इन नदियों को जोड़ने का काम पिछले पांच दशक से अटका पड़ा था, लेकिन अब 174 किलोमीटर लंबी इस परियोजना से कृष्णा, गुंटूर, प्रकासम, कुरनूल, कडपा, अनंतपुर, और चित्तूर जिले के हजारों किसानों को फायदा मिलने लगा है।

कृष्णा नदी के डेल्टा क्षेत्र में बनी 17 लाख हेक्टेयर भूमि में से 13 लाख हेक्टेयर भूमि को सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी मिल रहा है। वहीं हजारों गांवों  को पेयजल भी उपलब्ध होने लगा है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने यह आशंका जताई है कि केन और बेतवा नदियों को जोड़ने के कारण मध्य प्रदेश का पन्ना बाघ अभयारण्य तबाह हो जाएगा। नदियों को जोड़ने के लिए उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्रियों के बीच समझौते पर हस्ताक्षर होने से पहले, पूर्व पर्यावरण मंत्री रमेश ने कहा कि उन्होंने इस विषय पर दस वर्ष पहले विकल्पों के सुझाव दिए थे जिन्हें नजरंदाज कर दिया गया।

कुछेक साल पूर्व उत्तर भारत के छह राज्यों ने हिमाचल प्रदेश और उत्तर प्रदेश की सीमा पर अपर यमुना बेसिन में बनाए जाने वाले रेणुका बांध को लेकर एक समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे। रेणुका बांध का मुद्दा भी विभिन्न कारणों से दो दशकों से अधिक समय तक अधर में लटका रहा था।

भारत में नदी जोड़ो का विचार सर्वप्रथम 1858 में एक ब्रिटिश सिंचाई इंजीनियर सर आर्थर थॉमस कॉटन ने दिया था। लेकिन इस माध्यम से फिरंगी हुकूमत का मकसद देश में गुलामी के शिकंजे को और मजबूत करना, देश की बहुमूल्य प्राकृतिक संपदा का दोहन करना और नदियों को जोड़कर जलमार्ग विकसित करना था।

यह और बात है कि देश की विभिन्न नदियों को जोड़ने का सपना देश की आजादी के तुरंत बाद देखा गया था। इसे डॉ. मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया, डॉ. राम मनोहर लोहिया और डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम जैसी हस्तियों का समर्थन मिलता रहा है।

इसके पीछे राज्यों के बीच असहमति, केंद्र की दखलंदाजी के लिए किसी प्रभावी कानूनी प्रावधान का न होना और पर्यावरणीय चिंता  सबसे बड़ी बाधक रही हैं। जुलाई 2014 में केंद्र सरकार ने नदियों को आपस में जोड़ने संबंधी विशेष समिति के गठन को मंज़ूरी दी थी। हमारे देश में सतह पर मौजूद पानी की कुल मात्रा 690 बिलियन घनमीटर प्रतिवर्ष है, लेकिन इसका केवल 65 फीसदी पानी ही इस्तेमाल हो पाता है। शेष पानी बेकार बहकर समुद्र में चला जाता है, लेकिन इससे धरती और महासागरों तथा ताज़े पानी और समुद्र का पारिस्थितिकीय संतुलन बना रहता है। नदियों को आपस में जोड़ना नदियों के पानी का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करने का एक तरीका है। इस प्रक्रिया में अधिक पानी वाली नदी को कम पानी वाली नदियों से जोड़ा जाता है।

केन-बेतवा लिंक परियोजना इस वृहद नदी जोड़ो योजना की ही पहली कड़ी है। लेकिन इस योजना पर आने वाला भारी-भरकम खर्च वहन करना भारत जैसे विकासोन्मुख देश के लिए आसान नहीं है। 2002 के अनुमानों के अनुसार इस योजना पर 123 बिलियन डॉलर लागत आने का अनुमान था। अब यह लागत और बढ़ गई है।

नदियों को आपस में जोड़ना अपने आप में एक बेहद कठिन काम है, पर यह मुश्किल तब और बढ़ जाती है जब संबद्ध राज्य पानी के बंटवारे को लेकर आपस में उलझ जाते हैं। देशभर में लंबे समय से विभिन्न राज्यों के बीच नदियों के जल बंटवारे को लेकर विवाद चल रहे हैं। स्थिति इतनी गंभीर है कि विभिन्न ट्रिब्यूनल्स और सुप्रीम कोर्ट के आदेश भी इसे सुलझाने में नाकाम रहे हैं।सरकार को चाहिए कि राज्यों से विचार-विमर्श के बाद तुरंत एक ऐसी राष्ट्रीय जल नीति का निर्माण करे, जो भारत में भूजल के अत्यधिक दोहन, जल के बंटवारे से संबंधित विवादों और जल को लेकर पर्यावरणीय एवं सामाजिक चिंताओं का समाधान कर सके। इन सुधारों पर कार्य करने के बाद ही नदी जोड़ो जैसी बेहद खर्चीली परियोजना को अमल में लाया जाना चाहिए। नदियों को जोड़ना अच्छा विचार है लेकिन इसमें इस बात का ध्यान जरूर रखा जाना चाहिए कि नदियों के प्राकृतिक जल प्रवाह में किसी भी तरह का व्यवधान न हो।

केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना

 

केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना के क्रियान्वयन के करार पर केंद्र सरकार, मध्य प्रदेश सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने हस्ताक्षर भी कर दिए। केन नदी  का पानी बेतवा  तक भेजने के लिए दौधन बांध  बनाया जाएगा जो 22 किलोमीटर लंबी नहर को बेतवा से जोड़ेगा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है  कि वर्षा जल  के संरक्षण के साथ ही देश में नदी जल के प्रबंधन पर भी दशकों से चर्चा होती रही है, लेकिन अब देश को पानी के संकट से बचाने के लिए इस दिशा में तेजी से कार्य करना आवश्यक है। केन-बेतवा संपर्क परियोजना को उन्होंने इसी दूर-दृष्टि का हिस्सा बताया और  परियोजना को पूरा करने की दिशा में काम करने के लिए उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सरकारों की प्रशंसा की।

उन्होंने कहा कि यह परियोजना बुंदेलखंड के भविष्य को नई दिशा देगी।  इससे 10.62 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सालभर सिंचाई हो सकेगी। 62 लाख लोगों को पेयजल आपूर्ति संभव होगी। 103 मेगावॉट बिजली पैदा की जा सकेगी। पानी की कमी से जूझ रहे बुंदेलखंड क्षेत्र, खासकर मध्य प्रदेश के पन्ना, टीकमगढ़, छतरपुर, सागर, दमोह, दतिया, विदिशा, शिवपुरी तथा रायसेन और उत्तर प्रदेश के बांदा, महोबा, झांसी और ललितपुर को बहुत लाभ मिलेगा। यह परियोजना अन्य नदी-जोड़ो परियोजनाओं का मार्ग भी प्रशस्त करेगी, जिनसे यह सुनिश्चित हो सकेगा कि पानी की कमी देश के विकास में अवरोधक नहीं बने।  इस परियोजनासे वर्ष में 10.62 लाख हेक्टेयर क्षेत्र (मध्य प्रदेश में 8.11 लाख हेक्टेयर और उत्तर प्रदेश में 2.51 लाख हेक्टेयर क्षेत्र) में सिंचाई हो सकेगी। इससे करीब 62 लाख लोगों (मध्य प्रदेश में 41 लाख और उत्तर प्रदेश में 21 लाख) को पेयजल की आपूर्ति होगी। इस परियोजना के तहत 9 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में पानी रोका जाएगा, जिनमें से 5,803 हेक्टेयर क्षेत्र पन्ना बाघ अभयारण्य के तहत आता है। 425 किमी लंबी केन नदी मध्य प्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व से  होकर बहती है।  सरकार ने बांध के निर्माण के लिए इस जंगल का 6.5 फीसदी भाग खाली कराने का फैसला किया है। इस प्रक्रिया में 10 गांवों से करीब 2 हजार परिवार  भी स्थानांतरित  किए जाने हैं। बताया तो यह भी जा रहा है कि मोदी सरकार नर्मदा-गंगा जोड़ने की प्रक्रिया में भी पेपर वर्क पूरा कर चुकी है। यह परियोजना गुजरात और पड़ोसी महाराष्ट्र से होकर गुजरेगी। महाराष्ट्र में अघाड़ी सरकार के बनने से  इस बावत उसकी दुविधा जरूर बढ़ गई है।नर्मदा और क्षिप्रा को जोड़कर शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने एक मिसाल तो कायम की ही है। उज्जैन, देवास और इंदौर जैसे बड़े भूभाग की पेयजल और सिंचाई समस्या को दूर करने में भी सफलता हासिल की है। इन नदियों के जुड़ने के बाद मध्य प्रदेश देश का ऐसा पहला राज्य बन गया है, जिसने नदियों को जोड़ने का ऐतिहासिक काम किया है।

वर्ष 1971-72 में तत्कालीन केंद्रीय जल एवं ऊर्जा मंत्री तथा इंजीनियर डॉ. कनूरी लक्ष्मण राव ने गंगा—कावेरी को जोड़ने का प्रस्ताव तैयार किया था। यह बताना मुनासिब होगा कि डॉ. कनूरी लक्ष्मण राव जवाहरलाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री और इंदिरा गांधी  की सरकारों में जल संसाधन मंत्री भी रहे, लेकिन

उनके इस महत्वाकांक्षी प्रस्ताव को गंभीरता से नहीं लिया, अन्यथा चालीस साल पहले ही नदी जोड़ो अभियान की बुनियाद रखी जा चुकी होती। बहुत कम लोग जानते हैं कि पं. जवाहर लाल नेहरू के प्रधानमंत्रित्व काल में ही देश की नदियों को जोड़ कर एक आदर्श जलमाला भारतमाता को पहनाने की कल्पना की गई थी लेकिन दृढ़ इच्छाशक्ति  के अभाव में वे इस योजना को अमली जामा नहीं पहना सके। पहली बार अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली राजग सरकार में इस योजना को मूर्त रूप देने की योजना बनी।

यह और बात है कि अटल बिहारी वाजपेयी भी एक कार्यबल गठित किए जाने के अतिरिक्त इस दिशा में कुछ खास आगे नहीं बढ़ सके।उसी साल अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी। इसमें भी परियोजना को दो भागों में बांटने की सिफारिश की गई। पहले हिस्से में दक्षिण भारतीय नदियां शामिल थीं जिन्हें जोड़कर 16 कड़ियों की एक ग्रिड बनाई जानी थी। हिमालयी हिस्से के तहत गंगा, ब्रह्मपुत्र और इनकी सहायक नदियों के पानी को इकट्ठा करने की योजना बनाई गई जिसका इस्तेमाल सिंचाई और बिजली परियोजनाओं के लिए होना था, लेकिन फिर 2004 में कांग्रेस नीत मनमोहन सिंह की सरकार आ गई और मामला फिर ठंडे बस्ते में चला गया। उस दौरान  योजना के औचित्य पर इतने सवाल खड़े हुए कि उनकी जगह कोई भी होता तो मौन रहना ही मुनासिब समझता। पर्यावरणविद नदियों के प्राकृतिक बहाव में किसी भी तरह के कृत्रिम हस्तक्षेप के खिलाफ तो थे ही, इस योजना के अमल  के लिए भारी भरकम धनराशि जुटाने और भूमि अधिग्रहण की चुनौती भी कम नहीं थी। इस योजना से जुड़ा विवाद अंतत: सर्वोच्च न्यायालय तक पहुंच गया। यह और बात है कि 28 फरवरी,2012 को न्यायालय ने सरकार को नदी जोड़ो परियोजना को चरणबद्ध तरीके से अमल में लाने की हरी झंडी दे दी। इस बाधा के दूर होने पर नर्मदा और क्षिप्रा को जोड़ने की इच्छाशक्ति शिवराज सिंह चौहान ने दिखाई और उन्होंने तय समय-सीमा में दो नदियों को जोड़ने के काम को अंजाम तक पहुंचा दिया। अब केन और बेतवा नदियों को जोड़ने की बारी है। केन नदी मध्य प्रदेश स्थित कैमूर की पहाड़ियों से निकलती है और 427 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद उत्तर प्रदेश के बांदा में यमुना में मिल जाती है। वहीं बेतवा मध्य प्रदेश के रायसेन जिले से निकलती है और 576 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद उत्तर प्रदेश के हमीरपुर में यमुना में मिल जाती है। जहां तक इस योजना के लाभ की बात है तो नदी जोड़ने से पेयजल की समस्या कम होगी। सूखे और बाढ़ की समस्या कम होगी। आर्थिक समृद्धि आने से लोगों का जीवन-स्तर सुधरेगा।

सितंबर, 2017 में नरेंद्र मोदी सरकार ने पूर्ववर्ती अटल बिहारी वाजपेयी सरकार की नदी जोड़ो परियोजना पर काम आरंभ किया था। 87 अरब डॉलर की इस परियोजना की औपचारिक शुरुआत उन्होंने केन-बेतवा के लिंकिंग योजना से  करने की बात कही थी। इस विशाल परियोजना के तहत गंगा सहित 60 नदियों को जोड़ने की योजना पर प्रकाश डाला गया था। तर्क यह दिया गया था कि इससे कृषि योग्य लाखों हेक्टेयर भूमि की  मानसून पर निर्भरता कम हो जाएगी। पर्यावरणविदों, बाघ प्रेमियों और विपक्ष के विरोध के बावजूद केन-बेतवा प्रोजेक्ट के पहले चरण के लिए मोदी ने व्यक्तिगत रूप से मंजूरी दे दी थी। ये दोनों नदियां भाजपा शासित राज्य मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश से गुजरती है। मोदी सरकार का मानना है कि केन-बेतवा योजना अन्य नदी परियोजनाओं के लिए एक उदाहरण बनेंगी।

सरकारी अधिकारी भी मानते हैं कि गंगा, गोदावरी और महानदी जैसी  बड़ी नदियों पर बांध और नहरों के निर्माण से बाढ़ और सूखे से निपटा जा सकता है। वर्ष 2015 में नदियों को जोड़ने की योजना की दिशा में एक कदम आगे बढ़ते हुए आंध्र प्रदेश में गोदावरी और कृष्णा नदियों को जोड़ने का काम पूरा हो गया है। आंध्र प्रदेश की पट्टीसीमा सिंचाई योजना देश की पहली ऐसी योजना है जिसमें नदियों को जोड़ने का काम किया गया है। हालांकि यह केंद्र की ओर से चलाई जा रही नदी जोड़ो परियोजना का हिस्सा नहीं है। इन नदियों को जोड़ने का काम पिछले पांच दशक से अटका पड़ा था, लेकिन अब 174 किलोमीटर लंबी इस परियोजना से कृष्णा, गुंटूर, प्रकासम, कुरनूल, कडपा, अनंतपुर, और चित्तूर जिले के हजारों किसानों को फायदा मिलने लगा है।

कृष्णा नदी के डेल्टा क्षेत्र में बनी 17 लाख हेक्टेयर भूमि में से 13 लाख हेक्टेयर भूमि को सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी मिल रहा है। वहीं हजारों गांवों  को पेयजल भी उपलब्ध होने लगा है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने यह आशंका जताई है कि केन और बेतवा नदियों को जोड़ने के कारण मध्य प्रदेश का पन्ना बाघ अभयारण्य तबाह हो जाएगा। नदियों को जोड़ने के लिए उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्रियों के बीच समझौते पर हस्ताक्षर होने से पहले, पूर्व पर्यावरण मंत्री रमेश ने कहा कि उन्होंने इस विषय पर दस वर्ष पहले विकल्पों के सुझाव दिए थे जिन्हें नजरंदाज कर दिया गया।

कुछेक साल पूर्व उत्तर भारत के छह राज्यों ने हिमाचल प्रदेश और उत्तर प्रदेश की सीमा पर अपर यमुना बेसिन में बनाए जाने वाले रेणुका बांध को लेकर एक समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे। रेणुका बांध का मुद्दा भी विभिन्न कारणों से दो दशकों से अधिक समय तक अधर में लटका रहा था।

भारत में नदी जोड़ो का विचार सर्वप्रथम 1858 में एक ब्रिटिश सिंचाई इंजीनियर सर आर्थर थॉमस कॉटन ने दिया था। लेकिन इस माध्यम से फिरंगी हुकूमत का मकसद देश में गुलामी के शिकंजे को और मजबूत करना, देश की बहुमूल्य प्राकृतिक संपदा का दोहन करना और नदियों को जोड़कर जलमार्ग विकसित करना था।

यह और बात है कि देश की विभिन्न नदियों को जोड़ने का सपना देश की आजादी के तुरंत बाद देखा गया था। इसे डॉ. मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया, डॉ. राम मनोहर लोहिया और डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम जैसी हस्तियों का समर्थन मिलता रहा है।

इसके पीछे राज्यों के बीच असहमति, केंद्र की दखलंदाजी के लिए किसी प्रभावी कानूनी प्रावधान का न होना और पर्यावरणीय चिंता  सबसे बड़ी बाधक रही हैं। जुलाई 2014 में केंद्र सरकार ने नदियों को आपस में जोड़ने संबंधी विशेष समिति के गठन को मंज़ूरी दी थी। हमारे देश में सतह पर मौजूद पानी की कुल मात्रा 690 बिलियन घनमीटर प्रतिवर्ष है, लेकिन इसका केवल 65 फीसदी पानी ही इस्तेमाल हो पाता है। शेष पानी बेकार बहकर समुद्र में चला जाता है, लेकिन इससे धरती और महासागरों तथा ताज़े पानी और समुद्र का पारिस्थितिकीय संतुलन बना रहता है। नदियों को आपस में जोड़ना नदियों के पानी का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करने का एक तरीका है। इस प्रक्रिया में अधिक पानी वाली नदी को कम पानी वाली नदियों से जोड़ा जाता है।

केन-बेतवा लिंक परियोजना इस वृहद नदी जोड़ो योजना की ही पहली कड़ी है। लेकिन इस योजना पर आने वाला भारी-भरकम खर्च वहन करना भारत जैसे विकासोन्मुख देश के लिए आसान नहीं है। 2002 के अनुमानों के अनुसार इस योजना पर 123 बिलियन डॉलर लागत आने का अनुमान था। अब यह लागत और बढ़ गई है।

नदियों को आपस में जोड़ना अपने आप में एक बेहद कठिन काम है, पर यह मुश्किल तब और बढ़ जाती है जब संबद्ध राज्य पानी के बंटवारे को लेकर आपस में उलझ जाते हैं। देशभर में लंबे समय से विभिन्न राज्यों के बीच नदियों के जल बंटवारे को लेकर विवाद चल रहे हैं। स्थिति इतनी गंभीर है कि विभिन्न ट्रिब्यूनल्स और सुप्रीम कोर्ट के आदेश भी इसे सुलझाने में नाकाम रहे हैं।सरकार को चाहिए कि राज्यों से विचार-विमर्श के बाद तुरंत एक ऐसी राष्ट्रीय जल नीति का निर्माण करे, जो भारत में भूजल के अत्यधिक दोहन, जल के बंटवारे से संबंधित विवादों और जल को लेकर पर्यावरणीय एवं सामाजिक चिंताओं का समाधान कर सके। इन सुधारों पर कार्य करने के बाद ही नदी जोड़ो जैसी बेहद खर्चीली परियोजना को अमल में लाया जाना चाहिए। नदियों को जोड़ना अच्छा विचार है लेकिन इसमें इस बात का ध्यान जरूर रखा जाना चाहिए कि नदियों के प्राकृतिक जल प्रवाह में किसी भी तरह का व्यवधान न हो।

Tags: cm yogiKen-Betwa River Link ProjectNational newsshivraj singh chauhan
Previous Post

शराबी ने गला दबा कर दी बुजुर्ग साधु की हत्या, हत्यारोपी गिरफ्तार

Next Post

दो करोड़ की अफीम समेत मादक तस्कर को पुलिस ने किया गिरफ्तार

Writer D

Writer D

Related Posts

Gayatri Prajapati
Main Slider

जेल में बंद सपा के पूर्व मंत्री पर जानलेवा हमला, कैदी ने किया कैंची से वार

30/09/2025
Scaffolding collapses at Ennore Thermal Power Plant
Main Slider

एन्नोर थर्मल पावर प्लांट में गिरी मचान, 9 मजदूरों की मौत

30/09/2025
cm dhami
Main Slider

युवाओं के लिए सिर झुका भी सकता हूं, सिर कटा भी सकता हूं: सीएम धामी

30/09/2025
280-year-old Durga temple struck by lightning
Main Slider

अष्टमी के दिन हादसा, 280 साल पुराने दुर्गा मंदिर पर गिरी आकाशीय बिजली

30/09/2025
Saraswati Talkies
उत्तर प्रदेश

जल कर खाक हुआ सरस्वती टॉकीज, कुछ ही देर में शुरू होने वाला था शो

30/09/2025
Next Post
arrested

दो करोड़ की अफीम समेत मादक तस्कर को पुलिस ने किया गिरफ्तार

यह भी पढ़ें

cm yogi

सीएम योगी के रोड शो में उमड़ा भारी जनसैलाब, महिलाओं ने किया जोरदार स्वागत

16/02/2022
Janeu Sanskar

जानें क्यों किया जाता है जनेऊ संस्कार, क्या है इसका सही समय

08/07/2025
accident

तेज रफ्तार ट्रक ने महिला को रौंदा, इलाज के दौरान मौत

22/04/2021
Facebook Twitter Youtube

© 2022 24घंटेऑनलाइन

  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म

© 2022 24घंटेऑनलाइन

Go to mobile version