नई दिल्ली। केंद्रीय विद्यालयों (Kendriya Vidyalayas) में अगले शिक्षण सत्र में पहली कक्षा में प्रवेश के लिए न्यूनतम आयु 6 वर्ष करने के केंद्रीय विद्यालय (Kendriya Vidyalayas) संगठन के फैसले का केंद्र सरकार ने बृहस्पतिवार को दिल्ली उच्च न्यायालय में बचाव किया। केंद्र के वकील ने न्यायमूर्ति रेखा पल्ली से कहा कि कक्षा-1 में प्रवेश के लिए न्यूनतम आयु छह वर्ष करने का निर्देश राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के अनुरूप है जिसका सभी केंद्रीय विद्यालयों (Kendriya Vidyalayas) को अनुसरण करना है।
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वकील ने एनईपी के पैराग्राफ 4.1 की व्याख्या की जो स्कूली शिक्षा के लिए नयी ”5 प्लस 3 प्लस 3 प्लस 4” रूपरेखा को अपनाने से संबंधित है। वकील ने कहा, ”हमने राज्यों से (एनईपी को अपनाने का) अनुरोध किया है। 21 राज्य हैं जहां छह से अधिक वर्ष की आयु का मानदंड अपनाया जाता है। राज्य बदलाव ला रहे हैं।”
दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि केंद्रीय विद्यालयों (Kendriya Vidyalayas) के लिहाज से लिये गये फैसले में उनकी कोई भूमिका नहीं है और दिल्ली सरकार के स्कूलों में पहली कक्षा में दाखिले के लिए आयु सीमा 5 से 6 साल है। अदालत ने कहा, ”हम समग्र रुख रखेंगे। इसका सभी पर असर पड़ेगा। सुनवाई सोमवार के लिए सूचीबद्ध की जाती है।” न्यायमूर्ति पल्ली ने इस सप्ताह की शुरुआत में याचिका पर केंद्रीय विद्यालय (Kendriya Vidyalayas) संगठन और केंद्र का रुख पूछा था। केवीएस ने अदालत में कहा था कि 2020 की राष्ट्रीय शिक्षा नीति का सख्ती से अनुपालन करते हुए आयु मानदंड बदला गया है।
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याचिका में पांच साल की बच्ची की ओर से दावा किया गया है कि आयु मानदंड पहले पांच साल था और इसमें बदलाव से संविधान के अनुच्छेद 14, 21 और 21-ए के तहत याचिकाकर्ता को मिले शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन होता है। इसके साथ ही दिल्ली स्कूल शिक्षा अधिनियम, 1973 और बच्चों को निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा अधिकार अधिनियम, 2009 के प्रावधानों का भी उल्लंघन होता है। याचिकाकर्ता बच्ची यूकेजी की छात्रा है। उसकी ओर से वकील अशोक अग्रवाल ने दावा किया कि केवीएस ने अचानक से कक्षा-1 में प्रवेश के आयु मानदंड को बढ़ाकर छह साल कर दिया और पिछले महीने प्रवेश प्रक्रिया शुरू होने से महज चार दिन पहले केंद्रीय विद्यालयों (Kendriya Vidyalayas) में प्रवेश के लिए उनके पोर्टल पर दिशानिर्देश डाले गये। याचिका में इस बदलाव को मनमाना, भेदभावपूर्ण, अनुचित और अतर्कसंगत कहा गया है।