नई दिल्ली। भारतीय राजनीति में नामकरण की सियासत का लंबे समय से हिस्सा रही है। बात चाहे फिर इलाहाबाद के प्रयागराज हो जाने की हो या फिर औरंगाबाद के छत्रपति संभाजीनगर हो जाने की या फिर आज भारत (Bharat) के संविधान में इंडिया (India) शब्द को हटा दिए जाने की।
देश का नाम भारत है कि हिंदुस्तान, इंडिया है कि आर्यावर्त या फिर जम्बूद्वीप। ये हमेशा से बहस का मुद्दा रहा है। फिलहाल बहस सिर्फ दो नाम के ईर्द-गिर्द केंद्रित हो गई है। ये वो दो नाम हैं इंडिया और भारत। अभी तक तो हमें यही पता था कि देश का नाम भारत है, जिसका अंग्रेजी अनुवाद इंडिया होता है। यही भारत के संविधान में भी स्वीकृत है।
भारत (Bharat) के संविधान की जो प्रस्तावना है, हिंदी में उसकी शुरुआत होती है हम भारत के लोग से, जबकि अंग्रेजी में जो प्रस्तावना है, उसकी शुरुआत होती है, वी द पीपल ऑफ इंडिया से। नाम तो नाम होता है। वो हिंदी या अंग्रेजी कैसे हो सकता है। इसी वजह से पूरी बहस के केंद्र में जो नाम है, वो है भारत, जिसके तार जुड़ते हैं उसी सनातन धर्म से जो एक अलग ही वजह से बहस का मुद्दा बना हुआ है। उस बहस को फिलहाल छोड़ते हैं और कोशिश करते हैं भारत शब्द की उत्पत्ति को समझने की, जिसका जिक्र सनातन धर्म के पुराणों तक में भी हुआ है और कई बार हुआ है।
बता दें कि इस समय भारतीय राजनीति राष्ट्र के नाम को लेकर विवादों के केंद्र में है। साल 2024 के लोकसभा चुनाव में मोदी सरकार को चुनौती देने के लिए अस्तित्व में आया विपक्ष का नया गठबंधन “I.N.D.I.A” इस समय जहां पहले ही अपने नाम को लेकर ही निशाने पर वहीं अब भाजपा सांसद हरनाथ सिंह यादव ने भारतीय संविधान में लिखे इंडिया शब्द का ही विरोध कर दिया है, जबकि देश की सर्वोच्च अदालत में तो एक याचिका भी इंडिया शब्द हटाने को लेकर लगाई गई है।
प्राचीन काल से ही हमारे देश के अलग-अलग नाम रहे हैं। प्राचीन ग्रंथों में देश के अलग-अलग नाम लिखे गए- जैसे जम्बूद्वीप, भारतखंड, हिमवर्ष, अजनाभ वर्ष, आर्यावर्त तो वहीं अपने-अपने जमाने के इतिहासकारों ने हिंद, हिंदुस्तान, भारतवर्ष, इंडिया जैसे नाम दिए। लेकिन इनमें भारत सबसे ज्यादा लोकप्रिय रहा। विभिन्न स्रोतों से पता चलता है कि विष्णु पुराण में इस बात का जिक्र है कि ‘समुद्र के उत्तर से लेकर हिमालय के दक्षिण तक भारत की सीमाएं निहित हैं। विष्णु पुराण कहता है कि जब ऋषभदेव ने नग्न होकर गले में बांट बांधकर वन प्रस्थान किया तो अपने ज्येष्ठ पुत्र भरत को उत्तराधिकार दिया जिससे इस देश का नाम भारतवर्ष पड़ गया। हम भारतीय आम बोलचाल में भी इस तथ्य को बार-बार दोहराते हैं कि कश्मीर से कन्याकुमारी तक हमारा पूरा राष्ट्र बसता है। ये भारत का एक छोर से दूसरा छोर है।
भारत (Bharat) और भारतवर्ष नाम कैसे पड़ा?
इसे लेकर कई दावे किए जाते हैं। पौराणिक युग की मान्यता के अनुसार ‘भरत’ नाम के कई व्यक्ति हुए हैं जिनके नाम पर भारत नाम माना जाता रहा है। एक मान्यता यह है कि महाभारत में हस्तिनापुर के महाराजा दुष्यंत और शकुंतला के पुत्र भरत के नाम पर देश का नाम भारत (Bharat) रखा गया। वहीं भरत एक चक्रवर्ती सम्राट भी हुए, जिन्हें चारों दिशाओं की भूमि का स्वामी कहा जाता था। एक दावा यह भी है कि सम्राट भरत के नाम पर ही देश का नाम ‘भारतवर्ष’ पड़ा। संस्कृत में वर्ष का अर्थ इलाका या हिस्सा भी होता है।
सबसे प्रचलित मान्यता के अनुसार दशरथपुत्र और प्रभु श्रीराम के अनुज भरत के नाम पर इस देश का नाम भारत पड़ा। श्रीराम चरित मानस के अनुसार भरत ने राम के वनवास चले जाने के बाद उनकी खड़ाऊ को सिंहासन पर रखकर राजकाज संभाला, लेकिन कभी खुद राजा नहीं बने। उनके त्याग और अपरिमित प्रेम ने उन्हें एक महान राजा बनाया। उन्हीं के नाम पर देश का नामकरण हुआ।
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वहीं एक मान्यता यह भी है कि नाट्यशास्त्र में जिन भरतमुनि का जिक्र है, उन्हीं के नाम पर देश का नाम रखा गया। राजर्षि भरत के बारे में भी बताया जाता है जिनके नाम पर जड़भरत मुहावरा काफी प्रचलित है। इसी तरह मत्स्यपुराण में उल्लेख है कि मनु को प्रजा को जन्म देने वाले वर और उसका भरण-पोषण करने के कारण भरत कहा गया। भारत नामकरण के आधार सूत्र जैन परंपरा में भी मिलते हैं।
इंडिया नाम कैसे मिला?
अंग्रेज जब हमारे देश में आए तो उन्होंने सिंधु घाटी को इंडस वैली कहा और उसी आधार पर इस देश का नाम इंडिया कर दिया। यह इसलिए भी माना जाता है क्योंकि भारत या हिंदुस्तान कहने में मुश्किल लगता था और इंडिया कहना काफी आसान। तभी से भारत को इंडिया कहा जाने लगा।
‘इंडिया’ शब्द हटाने के मांग क्यों?
भारतीय संविधान के अनुच्छेद-1 में भारत को लेकर दी गई जिस परिभाषा में ‘इंडिया, दैट इज भारत’ यानी ‘ इंडिया अर्थात भारत’ के जिन शब्दों का इस्तेमाल किया गया है, उसमें से सरकार ‘इंडिया’ शब्द को निकालकर सिर्फ ‘भारत’ शब्द को ही रहने देने पर विचार कर रही है। साल 2020 में भी इसी तरह की कवायद शुरू हुई थी। संविधान से ‘इंडिया’ शब्द हटाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर की गई थी। याचिकाकर्ता की ओर से दलील दी गई थी कि इंडिया शब्द गुलामी की निशानी है और इसीलिए उसकी जगह भारत या हिंदुस्तान का इस्तेमाल होना चाहिए। अंग्रेजी नाम का हटना भले ही प्रतीकात्मक होगा, लेकिन यह हमारी राष्ट्रीयता, खास तौर से भावी पीढ़ी में गर्व का बोध भरने वाला होगा। हालांकि तब कोर्ट ने ये कहकर याचिका खारिज कर दी थी कि हम ये नहीं कर सकते क्योंकि पहले ही संविधान में भारत नाम ही कहा गया है।
नाम के पीछे राजनीति?
साल 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले ही विपक्षी दलों का गठबंधन I.N.D.I.A. नाम से बन रहा है। इसका मतलब (I.N.D.I.A.Full Form) इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इनक्लूसिव अलायंस है। इस अलायंस के बनने के बाद से ही जिस तरह से सत्ताधारी पक्ष के लोग इंडिया शब्द पर आपत्ति जता रहे हैं। इसीलिए इंडिया को लेकर संवैधानिक मान्यताओं पर चर्चा भी तेज हो गई है।
कैसे मिला हिंदुस्तान नाम?
अब बात करते हैं उस नाम की जो गंगाजमनी तहजीब की निशानी के तौर पर भारत की एकता और अखंडता का गौरव बखान करता है। यह नाम है हिंदुस्तान, बताया जाता है कि मध्य युग में तब तुर्क और ईरानी यहां आए तो उन्होंने सिंधु घाटी से प्रवेश किया। वो लोग ‘स’ अक्षर का उच्चारण ‘ह’ बोलकर करते थे। इस तरह सिंधु का अपभ्रंश हिंदू हुआ। इसी से मुल्क का नाम हिंदुस्तान हो गया। इसके पीछे कालांतर में हिंदू शब्द से हिंदुस्तान का जिक्र होने लगा।
जम्बूद्वीप
कहा जाता है कि जंबू पेड़ (भारतीय ब्लैकबेरी का दूसरा नाम) की वजह से जम्बूद्वीप नाम मिला था। विष्णु पुराण अध्याय 2 में जम्बू वृक्ष के फलों को हाथियों जितना बड़ा बताया गया है और जब वे सड़ जाते हैं और पहाड़ों की चोटी पर गिरते हैं, तो उनके व्यक्त रस से रस की एक नदी बन जाती है। उस नदी या जगह को परिभाषित करने के लिए जम्बूद्वीप नाम दिया गया था।
भारत खंड
वेद, पुराण, महाभारत और रामायण सहित कई अन्य भारतीय ग्रंथों में भारतखंड नाम दिया गया है, जिसका अर्थ है भारत का भाग यानी भारत की भूमि को बताने के लिए भारतखंड कहा गया।
आर्यावर्त
कहा जाता है कि आर्य भारत के मूल निवासी थे। वो समुद्री रास्तों से यहां पहुंचे और आर्यों द्वारा इस देश को बसाया गया था। इसकी वजह से इस देश को आर्यावर्त या आर्यों की भूमि कहा गया।
हिमवर्ष
हिमालय के नाम पर भारत को पहले हिमवर्ष भी कहा जाता था। वायु पुराण में कहीं एक जगह जिक्र है कि बहुत पहले भारतवर्ष का नाम हिमवर्ष था