होली (Holi) का पर्व पूरे देश में उत्साह और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है, लेकिन होली से पूर्व के कुछ दिन अशुभ माने जाते हैं. इन दिनों को होलाष्टक (Holashtak ) कहा जाता है. आमतौर पर होलाष्टक 8 दिनों का होता है, लेकिन इस बार होलाष्टक 9 दिनों का होगा.
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, फाल्गुन के माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन भगवान शिव ने उनकी तपस्या भंग करने की वजह से कामदेव को भस्म कर दिया था. इस कारण से यह दिन अशुभ माने जाते हैं
झांसी के ज्योतिषाचार्य पंडित मनोज थापक के अनुसार, होलाष्टक (Holashtak ) में ग्रहों का स्वभाव बहुत उग्र होता है. इस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए. पंडित थापक ने कहा कि आमतौर पर होलाष्टक 8 दिन का होता है. इस बार 27 फरवरी को ही शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि होलाष्टक शुरू हो रहा है. जबकि होलाष्टक का समापन 7 मार्च को होलिका दहन के दिन होगा. इस कारण से इस बार होलाष्टक 9 दिन का होगा.
इन बातों का रखें विशेष ध्यान
पंडित मनोज थापक ने बताया कि होलाष्टक (Holashtak ) के दौरान किसी भी मांगलिक कार्य को नहीं करना चाहिए. इसके अलावा शादी, बच्चे का मुंडन, गृह प्रवेश, जनेऊ संस्कार इत्यादि इन दिनों में निषेध रहते हैं. उन्होंने कहा कि इस दौरान घर में पूजा पाठ किया जा सकता है. भगवान शिव को याद करते हुए मृत्युंजय मंत्र का पाठ करते रहें. इन दिनों में अधिक से अधिक भगवान का स्मरण करते रहें.