शारदीय नवरात्रि का व्रत बिना कन्या पूजन के पूर्ण नही माना जाता है। नवरात्रि के इन 9 दिनों का समापन कन्याओं को भोज करा कर ही सम्पूर्ण माना जाता है। कई भक्त जन अष्टमी के दिन तो कुछ नवमी के दिन कन्या पूजन करते हैं। नौ कन्याएं मां का नौ स्वरूप मानी जाती हैं। इस दौरान एक लांगुर की भी पूजा होती है, जिसे भैरव का स्वरूप माना जाता है। मान्यता है कि कन्याओं को भोजन कराने से घर में सुख, शांति और संपन्नता आती है। इस बार अष्टमी व नवमी तिथि एक ही दिन पड़ रही है। शास्त्रों में अष्टमी युक्त नवमी तिथि बेहद शुभ मानी गई है। आइए पंडित जी से जानते हैं कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त, तिथि व विधि-
कन्या पूजन (Kanya Pujan) विधि
1- कोशिश करें कन्याओं को 1 दिन पहले ही आमंत्रित करें
2- सभी कन्याओं के पांव को साफ जल, दूध और पुष्प मिश्रित पानी से धोएं
3- फिर कन्याओं के पैर छूकर आशीर्वाद लें
4- कन्याओं को लाल चंदन या कुमकुम का तिलक लगाएं और कालवा बांधे
5- श्रद्धा अनुसार कन्याओं को चुनरी भी उढ़ा सकते हैं
6- अब कन्याओं को भोजन कराएं
7- दक्षिणा या उपहार देकर सभी कन्याओं के पांव छूकर आशीर्वाद लें
8- माता रानी का ध्यान कर क्षमा प्रार्थना करें
अष्टमी-नवमी पर कन्या पूजन (Kanya Pujan) का शुभ मुहूर्त
उदयातिथि के आधार पर इस बार अष्टमी और नवमी तिथि का व्रत 11 अक्टूबर को एक दिन ही रखा जाएगा। इस आधार पर महाअष्टमी और महानवमी तिथि 11 अक्टूबर को है। इसी दिन कन्या पूजा (Kanya Pujan) भी की जाएगी। आचार्य अंजनी कुमार ठाकुर के अनुसार, महाष्टमी पर कन्या पूजन 11 अक्टूबर को सुबह 07 बजकर 47 मिनट से लेकर 10 बजकर 41 मिनट तक कर सकते हैं। इसके बाद दोपहर 12 बजकर 08 मिनट से लेकर 1 बजकर 35 मिनट तक कर सकते हैं।
आचार्य अंजनी कुमार ठाकुर के अनुसार, नवरात्रि के अंतिम दिन कुंआरी कन्या पूजन (Kanya Pujan) का विशेष महत्व होता है। नौ दिन व्रत रखने वाले भक्त कन्याओं को भोजन कराने के बाद ही अपना व्रत खोलते हैं।
कन्या पूजन (Kanya Pujan) की कन्याएं 10 वर्ष से कम आयु की हों तो साधक को कभी धन की कमी नही होती और उसका जीवन उन्नतशील रहता है।