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जानिए सोमवती अमावस्या की तिथि, महत्व और पूजा विधि

Desk by Desk
14/12/2020
in Main Slider, ख़ास खबर, धर्म, फैशन/शैली
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somvati amavasya

somvati amavasya

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धर्म डेस्क। हिंदू धर्म में सोमवती अमावस्या का विशेष महत्व माना जाता है। जो अमावस्या सोमवार के दिन पड़ती है उसे सोमवती अमावस्या के नाम से जाना जाता है। पूरे वर्ष में दो से तीन सोमवती अमावस्या पड़ती हैं। मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि यानि अमावस्या 14 दिसंबर, दिन सोमवार को पड़ रही है। इस दिन दान और स्नान का बहुत महत्व माना जाता है। इस दिन लोग अपने पितरों की आत्मा की शांति हेतु नदी में स्नान और प्रार्थना करते हैं। स्नान के बाद पितरों के नाम से दान भी किया जाता है साथ ही इस दिन पति की लंबी आयु के लिए व्रत भी किया जाता है। जानते हैं सोमवती अमावस्या का महत्व और व्रत विधि…

सोमवती अमावस्या की प्रचलित कथाओं के अनुसार महाभारत में भीष्म ने युधिष्ठिर को इस दिन का महत्व बताते हुए कहा था कि जो भी मनुष्य इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करेगा उसे हर तरह से सुखी-समृद्धि की प्राप्ति होगी। उसे सभी प्रकार के रोग और दुखों से मुक्ति प्राप्त होगी। माना जाता है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने और उसके पश्चात दान करने से पितरों की आत्मा को शांति प्राप्त होती है। इस दिन व्रत करने का भी विधान है। जानते हैं व्रत क्यों किया जाता है और इसकी विधि क्या है।

सोमवती अमावस्या पर मौन व्रत करने का विधान है। माना जाता है कि जो मनुष्य इस दिन मौन व्रत करता है उसे सहस्त्र गोदान के समान फल की प्राप्ति होती है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन  जो सुहागन महिलाएं व्रत करती है उनके पति की आयु लंबी होती है, इसलिए महिलाएं अपने पति की दिर्घायु की कामना करते हुए सोमवती अमावस्या पर व्रत करती हैं। जानते हैं व्रत की पूजा विधि

पूजा विधि

  • सोमवती अमावस्या के दिन सोमवार होने से शिव जी से पति की दीर्घायु की कामना की जाती है।
  • पीपल के वृक्ष के  मूल भाग में विष्णु जी और अग्रभाग में ब्रह्मा जी और तने में शिव जी का वास माना जाता है, इसलिए सोमवती अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा की जाती है।
  • इस दिन विवाहित स्त्रियों को पीपल के वृक्ष  में  दूध, जल, पुष्प, अक्षत और चंदन से पूजा करनी चाहिए।
  • उसके पीपल के वृक्ष में 108 बार धागा लपेट कर परिक्रमा करते हुए पति की दीर्घायु की कामना करनी चाहिए।
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